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मुकदमों के अंबार पर न्यायमूर्तियों की सकारात्मक पहल

अवर्गीकृत
- डॉ. राजेन्द्र प्रसाद शर्मा हाल के दिनों में सुप्रीम कोर्ट के न्यायमूर्तियों ने अदालतों में लंबित मुकदमों, अनावश्यक मुकदमों से न्यायालय का समय खराब करने और अंतिम निर्णय को लंबा खींचने की प्रवृति को लेकर गंभीर चिंता जताई है। इसे सकारात्मक पहल समझना चाहिए। एक मामले में सुनवाई के दौरान वरिष्ठ वकील के उपस्थित नहीं होने पर जूनियर वकील के अगली तारीख मांगने पर सुप्रीम कोर्ट के न्यायमूर्ति डीवाई चन्द्रचूड़ की तारीख पर तारीख वाली अदालत की छवि को बदलने वाली हालिया टिप्पणी इस मायने में महत्वपूर्ण हो जाती है। जयपुर के एक समारोह में सुप्रीम कोर्ट के न्यायमूर्ति अजय रस्तोगी की टिप्पणी की केसेज में डिस्पोजल नहीं डिसीजन करें कोर्ट महत्वपूर्ण है। न्यायमूर्ति अजय रस्तोगी की यह टिप्पणी भी मायने रखती है कि चालीस साल पहले वे वकील बने तब भी अदालतों की पेंडेंसी मुद्दा थी।आज 40 साल बाद भी स्थिति वहीं की वहीं है...