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श्रीराम की अयोध्या और जीवन संस्कार का संदेश

श्रीराम की अयोध्या और जीवन संस्कार का संदेश

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- प्रभुनाथ शुक्ल श्रीराम हमारे आराध्य हैं। वह सनातन संस्कृत के ध्वजवाहक हैं। राम सिर्फ मर्यादा पुरुषोत्तम ही नहीं हमारे समग्र संस्कार में समाहित हैं। राम के बिना पूरी हिंदू संस्कृति अधूरी है। वह जीवन दर्शन हैं। श्रीराम हमारे संस्कार हैं। हमें सद्चरित्र देते हैं। अत्याचार से लड़ने की ताकत देते हैं। विषम परिस्थितियों में भी जीवन को कैसे जिया जाए यह भी बताते हैं। श्रीराम के लिए धन, वैभव, यश, मान, सम्मान से कहीं अधिक ऊंचा उनका आचरण है। उन्हें सत्ता नहीं सदाचार प्रिय है। वह हमेशा मर्यादा में रहना चाहते हैं और हर प्राणी के सम्मान की रक्षा चाहते हैं। वह प्रजारंजक हैं। उपकार और परोपकार उनका जीवन दर्शन है। इसलिए राम हमारे कण-कण में विराजमान है। श्रीराम को भगवान के रूप में पूजने के बजाय हम उन्हें लोकनायक के रूप में अधिक समझ सकते हैं। तभी हमें चैत रामनवमी की सार्थकता समझ में आएगी। अयोध्या श्रीराम क...
भारत के अंदर-बाहर सभी जगह राम का नाम

भारत के अंदर-बाहर सभी जगह राम का नाम

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- आर.के. सिन्हा भारत के कण-कण में राम बसे हैं। भारत की राम के बिना कल्पना करना ही असंभव है। सारा भारत राम को अपना आराध्य और पूजनीय मानता है। डॉ. राम मनोहर लोहिया कहते थे कि भारत के तीन सबसे बड़े पौराणिक नाम– “राम, कृष्ण और शिव ही हैं।” उनके काम के बारे में थोड़ी-बहुत जानकारी प्राय: सभी को, कम से कम दो में एक भारतीय को तो होगी ही। उनके विचार व कर्म, या उन्होंने कौन से शब्द कब कहे, उसे विस्तारपूर्वक दस में एक तो जानता होगा। कभी सोचिए कि एक दिन में भारत में कितनी बार यहां की जनता प्रभु राम का नाम लेती है। पर भगवान राम को सिर्फ भारत तक सीमित करना उचित नहीं होगा। वैसे तो थाईलैंड बौद्ध देश हैं, पर वहां भी राम आराध्य हैं। राजधानी बैंकॉक से सटा है अयोध्या शहर। वहां के लोगों की मान्यता है कि यही थी भगवान श्रीराम की राजधानी। थाईलैंड के बौद्ध मंदिरों में आपको ब्रह्मा, विष्णु और महेश की मूर्तियां और...