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आचार्य शंकर: राष्ट्रीय एकता एवं सांस्कृतिक राष्ट्रवाद के प्रवर्तक

आचार्य शंकर: राष्ट्रीय एकता एवं सांस्कृतिक राष्ट्रवाद के प्रवर्तक

अवर्गीकृत
- वीरेन्द्र सिंह परिहार जगतगुरु श्री शंकराचार्य का जन्म उस समय हुआ था, जब बौद्ध धर्म पतनात्मक स्थिति की ओर जा रहा था, धर्म के नाम पर अनाचार फैल रहा था। विडम्बना यह कि अनेक वर्षों तक राजाश्रय प्राप्त होने के चलते बौद्धों को सत्ता का स्वाद लग चुका था। विदेशियों ने ढलती हुई बौद्ध सत्ता का उन्नायक बनकर भारत में प्रवेश किया और बौद्धों ने बिना सोचे-समझे उनका सहयोग किया। लेकिन प्रखर राष्ट्रीयता का पोषक हिन्दू समाज इसे सहन न कर सका, जिसके चलते कुमारिल भट्ट द्वारा प्रज्ज्वलित चिंगारी शंकराचार्य के रूप में दावानल बनकर प्रगट हुई- जिसने सभी झाड़-झंखाड़ को भस्मीभूत कर दिया, जिसके चलते देश एवं धर्म की रक्षा हुई। पुत्र की प्राप्ति पर भगवान शंकर का वरदान मानकर उनके पिता शिवगुरु ने उनका नाम शंकर रखा। शंकर की असाधारण बुद्धि को देखते हुए शिवगुरु ने तीन वर्ष की उम्र में ही उनका अक्षराभ्यास आरंभ करा दिया। पांच...
आचार्य शंकर ने किया चारों दिशाओं में भारत को जोड़ने का कार्य: मुख्यमंत्री शिवराज

आचार्य शंकर ने किया चारों दिशाओं में भारत को जोड़ने का कार्य: मुख्यमंत्री शिवराज

देश, मध्य प्रदेश
- मप्र में मनाया गया आचार्य शंकर प्रकटोत्सव-"एकात्म पर्व" भोपाल (Bhopal)। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान (Chief Minister Shivraj Singh Chouhan) ने कहा कि आचार्य शंकर (Acharya Shankar) ने पूर्व-पश्चिम-उत्तर-दक्षिण चारों दिशाओं में मठ स्थापित (Maths established in all four directions) कर भारत को जोड़ने का कार्य (work of connecting india) किया। उनके प्रयास से हमारी संस्कृति की पहचान बनी हुई है। उनका अद्वैत वेदांत दर्शन ही लोगों को सही दिशा दे रहा है। उनके संदेश को जन-जन तक पहुंचाया जाएगा। मुख्यमंत्री चौहान मंगलवार शाम को भोपाल के कुशाभाऊ ठाकरे सभागार में आचार्य शंकराचार्य सांस्कृतिक एकता न्यास और मध्यप्रदेश शासन के संस्कृति विभाग के तत्वावधान में आयोजित आचार्य शंकर प्रकटोत्सव, एकात्म पर्व को संबोधित कर रहे थे। इससे पहले स्वामी अवधेशानंद गिरि महाराज और मुख्यमंत्री चौहान ने दीप प्रज्ज्वल...