लोक ही नहीं परलोक सुधारने का जतन है ‘मां के नाम एक पेड़’
- डॉ. राघवेन्द्र शर्मा
मध्य प्रदेश की भाजपा सरकार ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की प्रेरणा से 'मां के नाम एक पेड़' योजना को हाथ में लेकर केवल पर्यावरण को सुधारने का प्रयास ही नहीं किया है, बल्कि इसके माध्यम से प्रकृति को अपने अनुकूल बनाने की कोशिश शुरू कर दी है। यदि इस योजना को साकार करने हेतु सरकार के साथ जनता जनार्दन के कदम मिल जाएं तो आने वाले समय में एक नए भविष्य की संभावना प्रबल होती दिखाई देती है। जनश्रुति और ग्रंथों में दर्ज परंपराओं पर ध्यान दें तो हमें पता चलेगा कि भारतीय संस्कृति और संस्कार, दोनों इस प्रकृति के प्रादुर्भाव से ही पर्यावरण के हितकारी रहे हैं। उदाहरण के लिए- हमारे देश में आस्था का इतना गहन महत्व है कि यहां अनेक नदियों को मां के समान पूजा जाता है। पत्थरों से मूर्तियां तराशकर हम उनके भीतर अपने देवताओं के दर्शन करते हैं। इसे भी महत्वपूर्ण स्थान हमारे जीवन में पेड़-प...