ऋषि परंपरा वाहक अभाविप का सत्तरवां सोपान
- प्रवीण गुगनानी
यदि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ एक परिवार है तो अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद का छात्र समूह इस परिवार का युवावर्ग है। इस युवावर्ग के आदर्श स्वामी विवेकानंद हैं। संघ ने अपने परिवार के इस युवा सदस्य को जो सिखाया है, उसका मूल यही है-
काक चेष्टा, बको ध्यानं, स्वान निद्रा तथैव च।
अल्पहारी, गृहत्यागी, विद्यार्थी पंच लक्षणं॥
(कौवे की तरह जानने की चेष्टा वाला, बगुले की तरह ध्यान लगाने वाले, कुत्ते की तरह जागृत अवस्था में सोने वाला व अल्पाहारी होकर आवश्यकतानुसार खाने वाला और गृह-त्यागी यही विद्यार्थी के पंच लक्षण हैं।)
निश्चित ही अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद की विगत उनहत्तर 69 वर्षों की अनथक यात्रा इन पांच लक्षणों के साथ ही हुई है। इतना यश, कीर्ति, पराक्रम, संयम, गौरव, पुण्य, उपलब्धि, वितान, विस्तार, उड़ान, गहनता, बहाव, उठाव, परिपक्वता, अल्हड़ता और सबसे बड़ी बात किसी सुंदर सी...