छह दिसंबर, 1992 …कभी न भूल पाने वाले पल
- डा. रमेश शर्मा
श्रीराम जन्म भूमि आंदोलन का इतिहास लगभग आठ सौ वर्ष पुराना है। यानी बाबर से भी 300 वर्ष पूर्व से अनेक राजा और रानियों ने सेना सहित तथा भक्तों ने व्यक्तिगत अथवा सामूहिक तौर पर अपने प्राण न्योछावर किए और इनकी कुल संख्या लाखों में है। अस्सी के दशक के अंतिम वर्षों में गहन चिंतन और मनन के बाद हिंदू संगठनों ने पहले विश्व हिंदू परिषद उपरांत भाजपा और विविध सहयोगियों के साथ इस धार्मिक आंदोलन को अपनाने का जोखिम पूर्ण निर्णय लिया था। पालमपुर में आयोजित बैठक में इसे विधिवत घोषित भी कर दिया गया । इस सांस्कृतिक आंदोलन का मैंने नजदीक से अध्ययन और अवलोकन करने का मन बनाया । इस विषय में शेष राजनीतिक और सामाजिक ढांचे के विरोध का आलम ऐतिहासिक और भीषण था।
इसी क्रम में मुलायम सिंह यादव के समय 1990 में कारसेवकों पर लाठीचार्ज और गोलीबारी ने हिन्दू समाज को अत्यंत आक्रोशित किया जिस के कारण 199...