भारत 2035 तक अंग्रेजियत से मुक्ति पाने की ओर अग्रसर
- डॉ. विपिन कुमार
हमारी हिन्दी दुनिया की सबसे सरल और सहज भाषाओं में से एक है। हिन्दी की मूल भाषा संस्कृत है। वह दुनिया की सबसे प्राचीन भाषा है। उसे 'देव भाषा' का भी दर्जा हासिल है। आज संपूर्ण विश्व में हिन्दी बोलने और समझने वालों की संख्या 80 करोड़ से भी अधिक है और यह चीनी के बाद सबसे बड़ी भाषा मानी जाती है। लेकिन, इस विषय में यदि हिंदी शोध संस्थान, देहरादून के महानिदेशक डॉक्टर जयंती प्रसाद नौटियाल की 'शोध अध्ययन - 2021' की मानें, तो आज हिन्दी विश्व की सबसे बड़ी भाषा बन चुकी है और उनका यह शोध केंद्रीय हिन्दी निदेशालय, भारत सरकार,आगरा द्वारा नियुक्त भाषा विशेषज्ञों द्वारा पूर्णतः प्रमाणित भी है।
हिन्दी ने अपना यह स्वरूप कई सदियों के पश्चात हासिल किया है। इसकी लिपि देवनागिरी है, जो कई अन्य देशज भाषाओं में भी सहायक है। यही कारण है कि हिन्दी हमारी राष्ट्रीय एकता, अखंडता और अस्मिता की प्रतीक ...