– डॉ. दिलीप अग्निहोत्री
समय बलवान होता है। एक समय था जब भारत के ही कई सांसदों ने नरेन्द्र मोदी को वीजा न देने का अमेरिका से लिखित निवेदन किया था। एक समय यह है जब मोदी के नेतृत्व में अमेरिका और भारत के रिश्ते सर्वाधिक बुलंद हुए हैं। मोदी की अमेरिका की राजकीय यात्रा से यह तथ्य एक बार फिर प्रमाणित हुआ। यहां नरेन्द्र मोदी का अभूतपूर्व स्वागत हुआ। न्यूयॉर्क से लेकर वाशिंगटन और व्हाइट हाउस तक मोदी-मोदी की गूंज हुई। अमेरिका से साथ मजबूत रिश्तों की शुरुआत नरेन्द्र मोदी के पहले कार्यकाल में हो चुकी थी। उस समय बराक ओबामा अमेरिका के राष्ट्रपति थे। उन्होंने कतिपय भारतीय सांसदों की मोदी को वीजा न देने की अपील वाली चिट्ठी रद्दी की टोकरी में फेंक दी थी।
उन्होंने स्वयं नरेन्द्र मोदी को आमंत्रित किया। मोदी के लिए अमेरिका में रेड कार्पेट बिछाई गई। बराक भी भारत आए और इस तरह सामरिक व व्यापारिक साझेदारी आगे बढ़ी। बराक के जिन चुनिंदा विश्व नेताओं से अति घनिष्ठ संबंध थे, उनमें नरेन्द्र मोदी शीर्ष पर रहे हैं। बराक की यह परम्परा उनके उत्तराधिकारी डोनाल्ड ट्रम्प ने भी आगे बढ़ाई। उनके कार्यकाल में भी दोनों देशों के रिश्ते मजबूत हुए।नरेन्द्र मोदी के कार्यकाल में भारत की भूमिका का विस्तार हुआ। अंतरराष्ट्रीय राजनीति में भारत का महत्व बढ़ा है। इसको भी बाइडेन समझते हैं। नरेन्द्र मोदी और निवर्तमान अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के बीच बेहतर आपसी समझ थी। उस दौर में दोनों देश के बीच साझेदारी का विस्तार हुआ था।
उनके उत्तराधिकारी जो बाइडेन के दृष्टिकोण को लेकर आशंका व्यक्त की जा रही थी। कहा गया कि वह अनेक मुद्दों पर भारत का विरोध कर चुके है। लेकिन यह उस समय की बात है जब वह राष्ट्रपति नहीं बने थे। राष्ट्रपति बनने के बाद उनका निजी रुख ही महत्वपूर्ण नहीं रह जाता। बल्कि अमेरिकी अवाम का रुख देखना भी राष्ट्रपति के लिए अपरिहार्य हो जाता है। अमेरिका के लोग भी आतंकवाद के विरोधी हैं। इस पर नरेन्द्र मोदी का स्पष्ट रुख वहां चर्चा में रहता है। आमजन इससे प्रभावित है। इसके अलावा भारत व अमेरिका की आर्थिक व्यापारिक सामरिक साझेदारी को भी नजरअंदाज नहीं किया जा सकता।
दोनों देशों के बीच आपसी विश्वास बढ़ा है। सहयोग का नया अध्याय शुरू हुआ है। नेतृत्व के आधार पर विदेश नीति का प्रभाव निर्धारित होता है। देश वही रहता है, लेकिन नेतृत्व बदलते ही अंतरराष्ट्रीय जगत में उसकी भूमिका में बदलाव आ जाता है। नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में भारतीय विदेश नीति का प्रभाव बढ़ा है। व्हाइट हाउस के ओवल कार्यालय में मोदी और अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन के बीच आमने-सामने की बैठक हुई। बैठक के बाद उन्होंने ड्रोन, जेट इंजन और स्पेस समेत कई समझौतों का ऐलान किया। भारत ने आर्टेमिस समझौते में शामिल होने का फैसला किया है। यह समान विचारधारा वाले देशों को नागरिक अंतरिक्ष खोज के मुद्दे पर एक साथ लाता है।
नासा व इसरो 2024 में अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन के लिए एक संयुक्त मिशन पर सहमत हुए हैं। मोदी और अमेरिकी राष्ट्रपति ने जनरल एटॉमिक्स एमक्यू-9 रीपर सशस्त्र ड्रोन की खरीद पर एक मेगा सौदे की घोषणा की। एमक्यू-9 रीपर ड्रोन भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। इसकी तैनाती हिंद महासागर, चीनी सीमा के साथ अन्य अंतरराष्ट्रीय सीमाओं की सुरक्षा सुनिश्चित करेगी। अमेरिका और भारत के बीच जेट इंजन के सह-उत्पादन पर भी समझौता हुआ है। दोनों देशों ने भारत में एफ 414 जेट इंजन का साझा उत्पादन करने के जनरल इलेक्ट्रिक के प्रस्ताव का स्वागत किया। जीई और हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड ने एक समझौते पर करार किया है। यह भारत में एफ 414 इंजन बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल है और इससे अमेरिकी जेट इंजन प्रौद्योगिकी का पहले से कहीं अधिक हस्तांतरण (टेक्नोलॉजी ट्रांसफर) हो सकेगा।
कंप्यूटर चिप बनाने वाली कंपनी माइक्रोन गुजरात में अपना सेमीकंडक्टर असेंबली और परीक्षण संयंत्र स्थापित करेगी, जिस पर कुल 2।75 अरब डॉलर का निवेश किया जाएगा। इसको लेकर भी दोनों देशों की बीच समझौता हुआ है। अमेरिका बेंगलुरु और अहमदाबाद में दो नए वाणिज्य दूतावास खोलेगा। भारत लोगों के बीच संबंधों को बढ़ावा देने के लिए सिएटल में एक मिशन स्थापित करेगा। भारत की राजधानी में अमेरिका का दूतावास दुनिया के सबसे बड़े अमेरिकी राजनयिक मिशनों में से एक है। यह दूतावास मुंबई, कोलकाता, चेन्नई और हैदराबाद में चार वाणिज्य दूतावासों की गतिविधियों का समन्वय करता है। मोदी पहली बार राजकीय यात्रा पर अमेरिका पहुंचे। इस यात्रा के लिए खुद अमेरिकी राष्ट्रपति मेहमान नेता को आमंत्रित करते हैं। अमेरिकी राजकीय यात्रा को सबसे उच्च स्तर का दर्ज मिला है।
राजकीय यात्रा पर आने वाले मेहमान का अमेरिकी राष्ट्रपति खुद स्वागत करते हैं। अमेरिकी राजकीय यात्रा पर जाने वाले नेता को इक्कीस तोपों की सलामी दी जाती है। राजकीय यात्रा पर आने वाले नेता का भव्य स्वागत किया जाता है। यात्रा पर आने वाला सारा खर्च अमेरिका उठाता है। राजकीय यात्रा पर जाने वाले नेता अमेरिकी राष्ट्रपति और प्रथम महिला के साथ डिनर करते हैं। इस यात्रा पर आयोजित होने वाले डिनर कार्यक्रम को ‘स्टेट डिनर’ कहा जाता है। राजकीय यात्रा पर आने वाले नेता को ब्लेयर हाउस में ठहराया जाता है, जो राष्ट्रपति का गेस्ट हाउस है। नरेन्द्र मोदी ने वाशिंगटन में अमेरिकी सीईओ के विभिन्न वर्गों से मुलाकात की और उनसे भारत में तकनीकी सहयोग की मांग की। बैक-टू-बैक बैठकों की शृंखला में मोदी ने एप्लाइड मैटेरियल्स के प्रेसिडेंट और सीईओ गैरी ई डिकर्सन से मुलाकात की और उनकी कंपनी को भारत में सेमीकंडक्टर इकोसिस्टम को मजबूत करने और प्रक्रिया प्रौद्योगिकी और उन्नत पैकेजिंग क्षमताओं को विकसित करने में योगदान देने के लिए आमंत्रित किया।
मोदी और डिकर्सन ने कुशल कार्यबल बनाने के लिए भारत में शैक्षणिक संस्थानों के साथ एप्लाइड मैटेरियल्स के सहयोग की क्षमता पर चर्चा की। इसके बाद प्रधानमंत्री ने जनरल इलेक्ट्रिक के सीईओ लॉरेंस कल्प जूनियर से मुलाकात की। इस दौरान मोदी ने भारत में विनिर्माण की दीर्घकालिक प्रतिबद्धता के लिए कंपनी की सराहना की।भारत में विनिर्माण को बढ़ावा देने के लिए जीई के बड़े प्रौद्योगिकी सहयोग पर केंद्रित थी।मोदी ने कंपनी को भारत में विमानन और नवीकरणीय ऊर्जा क्षेत्रों में बड़ी भूमिका निभाने के लिए भी आमंत्रित किया। भारत और अमेरिका आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस और अंतरिक्ष जैसे क्षेत्रों में सहयोग करते मजबूत संबंध बना रहे हैं।
अल्पसंख्यकों के साथ भेदभाव के सवाल पर मोदी ने कहा, ”लोकतंत्र हमारी रगों में है और जाति, पंथ एवं धर्म के आधार पर किसी के साथ भेदभाव का कोई सवाल ही नहीं है। हमारी सरकार सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास, सबका प्रयास के सिद्धांत पर चलती है और भारत के लोकतांत्रिक मूल्यों में कोई भेदभाव नहीं।” राष्ट्रपति बाइडन ने भी कहा कि भारत और अमेरिका दोनों के डीएनए में लोकतंत्र है।
(लेखक, स्वतंत्र टिप्पणीकार हैं।)