Friday, November 22"खबर जो असर करे"

विशेष: आप करें रक्तदान, दूसरों की बचाएं जान

– योगेश कुमार गोयल

रक्तदान को समस्त विश्व में सबसे बड़ा दान माना गया है, क्योंकि रक्तदान ही है, जो न केवल किसी जरूरतमंद का जीवन बचाता है बल्कि जिंदगी बचाकर उस परिवार के जीवन में खुशियों के ढेरों रंग भी भरता है लेकिन विड़म्बना है कि रक्तदान के महत्व को जानते-समझते हुए भी रक्त के अभाव में आज भी दुनियाभर में हर साल लाखों लोग असमय ही काल के ग्रास बन जाते हैं, जिनमें अकेले भारत में ही रक्त की कमी के चलते होने वाली ऐसी मौतों की बड़ी संख्या होती है क्योंकि देश में प्रतिवर्ष करीब चालीस लाख यूनिट रक्त की कमी रह जाती है।

दरअसल रक्तदान के महत्व को लेकर किए जाते रहे प्रचार-प्रसार के बावजूद आज भी बहुत से लोगों के दिलोदिमाग में रक्तदान को लेकर कुछ गलत धारणाएं विद्यमान हैं, जैसे रक्तदान करने से संक्रमण का खतरा रहता है, शरीर में कमजोरी आती है, बीमारियां शरीर को जकड़ सकती हैं या एचआईवी जैसी बीमारी हो सकती है।

स्वास्थ्य विशेषज्ञों के अनुसार रक्तदान करने से शरीर को किसी भी तरह का कोई नुकसान नहीं होता बल्कि रक्तदान से तो शरीर को कई फायदे ही होते हैं। जहां तक रक्तदान से संक्रमण की बात है तो सभी स्वास्थ्य केन्द्रों द्वारा रक्त लेते समय विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा तय मानक तरीके अपनाए जाते हैं, इसलिए संक्रमण का कोई खतरा नहीं होता। 18 साल से अधिक उम्र का शारीरिक रूप से स्वस्थ कम से कम 45 किलोग्राम से अधिक वजन का कोई भी व्यस्क स्वेच्छा से कम से कम तीन माह के अंतराल पर साल में तीन-चार बार रक्तदान कर सकता है। कुछ लोगों को रक्तदान के समय हल्की कमजोरी का अहसास हो सकता है किन्तु यह चंद घंटों के लिए अस्थायी ही होता है। इसके उलट रक्तदान के फायदों की चर्चा करें तो रक्तदान करते रहने से खून की प्राकृतिक रूप से सफाई होती है और रक्त कुछ पतला हो जाने से खून में थक्के नहीं जमते, जिससे हार्ट अटैक की संभावना बेहद कम हो जाती है।

रक्तदान के बाद शरीर में जो नए ब्लड सेल्स बनते हैं, उनमें किसी भी बीमारी से लड़ने की अपेक्षाकृत अधिक ताकत होती है और यह स्वच्छ व ताजा रक्त शरीर से विषैले तत्वों को बाहर निकालने में मददगार होता है, जिससे न सिर्फ कोलेस्ट्रॉल और रक्तचाप नियंत्रित रहता है बल्कि कैंसर जैसी बड़ी बीमारियों से बचाव, कुछ हद तक मोटापे पर नियंत्रण तथा कई संक्रामक बीमारियों से बचाव होता है। रक्त में आयरन की मात्रा नियंत्रित हो जाने से लीवर की कार्यक्षमता बढ़ जाती है।

जीवनदायी रक्त की महत्ता के मद्देनजर लोगों को स्वैच्छिक रक्तदान के लिए जागरूक करने के उद्देश्य से 14 जून 1868 को जन्मे कार्ल लैंडस्टीनर की जयंती पर 14 जून 2004 को रक्तदान दिवस की शुरुआत की गई थी। पहली बार विश्व स्वास्थ्य संगठन, इंटरनेशनल फेडरेशन ऑफ रेडक्रॉस तथा रेड क्रिसेंट सोसायटीज द्वारा ‘रक्तदान दिवस’ मनाया गया था, तभी से यह दिन ‘रक्तदान’ के नाम कर दिया गया। विश्व रक्तदान दिवस की शुरुआत का उद्देश्य यही था कि चूंकि दुनियाभर में लाखों लोग समय पर रक्त न मिल पाने के कारण मौत के मुंह में समा जाते हैं, अतः लोगों को रक्तदान करने के लिए जागरूक किया जाए। हमारे शरीर में शरीर के कुल वजन का करीब सात फीसदी रक्त होता है और अगर हम उसमें से तीन फीसदी भी दान कर दें तो भी स्वास्थ्य संबंधी कोई समस्या नहीं होती।

वैसे विश्व स्वास्थ्य संगठन के निर्देशानुसार एक बार में किसी भी व्यक्ति का एक यूनिट अर्थात् 450 मिलीलीटर से अधिक रक्त नहीं लिया जा सकता और इस रक्त की पूर्ति हमारा शरीर खुद ही 2-3 दिनों में ही कर लेता है। रक्तदान के बाद प्राप्त रक्त से आवश्यकतानुसार लाल रक्त कणिकाएं, प्लेटलेट्स, प्लाज्मा और क्रायोप्रेसिपिटेट अलग कर मरीजों के लिए उपयोग किए जाते हैं। आरबीसी का उपयोग रक्त लिए जाने के 42 दिन बाद तक किया जा सकता है जबकि प्लेटलेट्स सिर्फ पांच दिन के अंदर उपयोग की जा सकती हैं।

रक्तदान करते समय कुछ महत्वपूर्ण बातों का ध्यान अवश्य रखा जाना चाहिए, तभी आप द्वारा किया गया रक्तदान सार्थक होगा। आपको एड्स, मलेरिया, हेपेटाइटिस, अनियंत्रित मधुमेह, किडनी संबंधी रोग, उच्च या निम्न रक्तचाप, टीबी, डिप्थीरिया, ब्रोंकाइटिस, अस्थमा, एलर्जी, पीलिया जैसी कोई बीमारी हो तो रक्तदान न करें। माहवारी के दौरान या गर्भवती अथवा स्तनपान कराने वाली महिलाएं रक्तदान करने से बचें। यदि आपको टाइफाइड हुआ हो और ठीक हुए महीना भर ही हुआ हो, चंद दिनों पहले गर्भपात हुआ हो, तीन साल के भीतर मलेरिया हुआ हो, पिछले छह महीनों में किसी बीमारी से बचने के लिए कोई वैक्सीन लगवाई हो, आयु 18 से कम या 60 साल से ज्यादा हो तो रक्तदान न करें। जब भी रक्तदान करें, उससे कुछ समय पहले और कुछ समय बाद तक पर्याप्त पानी पीएं। भोजन में हरी सब्जियां तथा आयरन व विटामिन से भरपूर पौष्टिक आहार लें लेकिन रक्तदान से पहले जंक फूड, अधिक वसायुक्त भोजन के अलावा धूम्रपान, मद्यपान इत्यादि किसी भी प्रकार के नशे का सेवन करने से बचें। शराब पीते हैं तो 2-3 दिन पहले शराब का सेवन बंद कर दें।

विश्व स्वास्थ्य संगठन के आंकड़ों के अनुसार भारत में प्रतिवर्ष एक करोड़ से भी ज्यादा यूनिट रक्त की आवश्यकता पड़ती है किन्तु सिर्फ 75 लाख यूनिट रक्त ही उपलब्ध हो पाता है। यह बेहद चौंकाने वाली स्थिति है और आधुनिक विज्ञान के युग में भी रक्त की कमी के चलते लाखों लोगों की मौतों के मद्देनजर यह नितांत आवश्यक है कि आमजन को रक्तदान के लिए प्रेरित करने और उसके फायदे समझाने के लिए व्यापक स्तर पर जन-जागरण अभियान चलाया जाए।

(लेखक, स्वतंत्र टिप्पणीकार हैं।)