Friday, September 20"खबर जो असर करे"

समाज कानूनों से नहीं, नैतिकता और संस्कारों से चलता हैः डॉ निवेदिता शर्मा

भोपाल। राज्य बाल संरक्षण आयोग की सदस्य डॉ निवेदिता शर्मा ने राजधानी भोपाल में आयोजित परिसंवाद कार्यक्रम में कहा कि भारत सरकार द्वारा तीन नए कानून लागू किए हैं। तीनों पुराने कानून हैं, जिनका कुछ हिस्सा हटाया गया है और इनका नाम बदला गया है। इनमें कुछ नया जोड़ा भी गया है। इनमें दंड की न्याय शब्द का इस्तेमाल कर भारतीय न्याय संहिता 2023, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता 2023 और भारतीय साक्ष्य संहिता 2023 हो गए हैं। उन्होंने 2012 में आए माता-पिता भरण पोषण कानून का जिक्र करते हुए कहा कि इसकी जरूरत क्यों पड़ी, यह सोचने की जरूरत है, लेकिन समाज कानूनों से नहीं, नैतिकता और संस्कारों से चलता है। कानूनों की शिक्षा देने की आवश्यकता है।

डॉ निवेदिता शर्मा शनिवार को हिन्दुस्थान समाचार न्यूज एजेंसी और धर्म संस्कृति समिति द्वारा भू अतिक्रमण और समान नागरिक संहिता को लेकर राजधानी भोपाल में आयोजित एक दिवसीय परिसंवाद कार्यक्रम को बतौर विशिष्ट अतिथि संबोधित कर रही थीं। उन्होंने कहा कि भू अतिक्रमण और समान नागरिक सहिता पर बात करने की आवश्यकता है। कानून की भारतीय प्राथमिकता क्या हो सकती है। हर किसी को इस देश में न्याय पाने का अधिकार है। अंग्रेजों के समय में हमें व्यवस्थित न्याय नहीं मिला, हम यह समझते हैं तो ऐसा नहीं है। क्या कोई किसी किसी महिला के साथ व्यभिचार करेगा तो उसको सजा मिलनी चाहिए। यह व्यवस्था प्राचीन समय से चली आ रही है।

उन्होंने अयोध्या के राजा सदर का उदाहरण देते हुए कहा कि उनके राजकुमार का नाम असमंजस था। लोगों ने राजा से शिकायत करते हुए कहा कि राजकुमार असमंजस हमारे छोटे-छोटे बच्चों को उठाकर तेज जलधारा में फेंक देता था। इससे हमारे बच्चे चिल्लाते हैं और उसे मजा आता है। तब राजा उठे और उन्होंने अपने मंत्रिपरिषद को बुलाया और सभा के लिए उन्होंने कहा राजकुमार से अपना पक्ष रखने के लिए कहा। जब उन्होंने अपना पक्ष रखा तुमने कहा माफ कर दीजिए, लेकिन क्या राजा का बेटा है तो उसे माफ कर देना चाहिए, लेकिन उस समय उसे राजद्रोह के नाते उसे देश से निकाल दिया। किसी की मृत्यु नहीं हुई थी, इसलिए उसे मृत्युदंड नहीं मिला। ऐसी न्याय व्यवस्था भारत में देखने को मिलती है।

उन्होंने कहा कि नई न्याय व्यवस्था कैसी होगी, शासन कैसा होगा, उसके गुण कैसे होंगे, यह सब कुछ कानूनों में है। मौर्य युग में न्याय व्यवस्था का पूरा वर्णन देखने को मिलता है। कौटिल्य के अर्थशास्त्र में भी दो प्रकार का न्याय देखने को मिलता है। उन्होंने कहा कि देवी अहिल्या को लोक माता कहा जाता है। क्योंकि आधुनिक भारत को आधुनिक भारत की बात कर रहे हैं तब देवी अहिल्या जिन्होंने 70 सालों तक शासन को चलाया और सुशासन कैसे स्थापित करते हैं, इसका उदाहरण पेश किया। समाज ने उन्हें स्वीकार किया। उनके समय में तीन तरह की न्याय प्रणाली हुआ करती थी। जब कोई पंचायत निर्णय के फैसले से संतुष्ट नहीं है जिला न्यायालय में अपील करता था फिर मंत्रिपरिषद की भूमिका एवं होती थी। लोक माता के समय कोई मंत्री परिषद से संतुष्ट नहीं होता था तो लोक माता के पास जाकर अपना पक्ष रख सकता था। कानून भारत में अंग्रेजों ने केवल अपने स्वार्थ के लिए कानून बनाए। उन्होंने इंडियन फारेस्ट एक्ट का उदाहरण दिया, जो 1987 में केवल टिंबर उत्पादन पर अपना होल्ड कर सके, इसके लिए लाया गया, जो आज भी नहीं बदला गया।