Friday, November 22"खबर जो असर करे"

सामाजिक परिवर्तन और उद्यमिता को प्रोत्साहन

– सौरभ गर्ग

सामाजिक परिवर्तन के एक शक्तिशाली उपकरण के रूप में उद्यमिता की मान्यता पर अधिक ध्यान देने की आवश्यकता है। उद्यमिता न केवल आर्थिक मूल्य सृजित करती है, बल्कि यह लोगों को अपने अधिकारों का प्रयोग करने तथा पारंपरिक मानदंडों से मुक्त होने के लिए सशक्त भी बनाती है। स्टार्ट-अप इंडिया, स्टैंड-अप इंडिया जैसे विभिन्न कार्यक्रमों के साथ एकीकृत करने की दृष्टि से, सरकार ने हाशिए पर रहने वाले एवं कमजोर समुदाय के लोगों के भीतर उद्यमिता को प्रोत्साहित करने हेतु कई सक्रिय कदम उठाए हैं। उद्यमिता के प्रोत्साहन का यह दृष्टिकोण उस समावेशी विकास के इर्द-गिर्द घूमता है, जहां कोई भी पीछे नहीं छूटे और सभी नागरिकों, चाहे उनकी पृष्ठभूमि या सामाजिक हैसियत कुछ भी हो, को अवसर समान रूप से सुलभ हों। विभिन्न रणनीतिक पहलों एवं अभिनव कार्यक्रमों के माध्यम से, सरकार का उद्देश्य हाशिए पर रहने वाले समुदायों को सशक्त बनाते और उनकी क्षमता को सामने लाते हुए देश को व्यापक विकास की ओर ले जाना है।

वर्ष 2015 में, सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय ने रियायती वित्त प्रदान करके अनुसूचित जातियों के बीच उद्यमिता को बढ़ावा देने हेतु अनुसूचित जातियों के लिए उद्यम पूंजी कोष (वेंचर कैपिटल फंड) की स्थापना की। लगभग 726 करोड़ रुपये की मौजूदा निधि के साथ, इस कोष ने सभी उद्योगों में ग्रीन-फील्ड एवं विस्तार परियोजनाओं के लिए 10 लाख रुपये से लेकर 15 करोड़ रुपये तक की फंडिंग की पेशकश करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। इस वित्तीय सहायता ने उन उभरते उद्यमियों के लिए एक जीवन-रेखा के रूप में काम किया है, जिनके लिए शायद फंडिंग के पारंपरिक मार्गों तक पहुंचना संभव नहीं होता।

इस कोष के सबसे उल्लेखनीय पहलुओं में से एक चार प्रतिशत प्रति वर्ष की रियायती ब्याज दर है, जिसे महिला उद्यमियों एवं अनुसूचित जाति वर्ग के दिव्यांग उद्यमियों के लिए घटाकर 3.75 प्रतिशत प्रति वर्ष कर दिया गया है। ब्याज दरों में यह उल्लेखनीय कमी यह सुनिश्चित करती है कि हाशिए की पृष्ठभूमि से उभरने वाले उद्यमी अपेक्षाकृत अधिक विशेषाधिकार प्राप्त पृष्ठभूमि से संबंध रखने वाले अपने समकक्षों के साथ समान धरातल पर प्रतिस्पर्धा कर सकें।

आम्बेडकर सोशल इनोवेशन इनक्यूबेशन मिशन (एएसआईआईएम) सामाजिक परिवर्तन की दिशा में एक और महत्वपूर्ण कदम है। उद्यम पूंजी (वेंचर कैपिटल) से जुड़ी पहल के हिस्से के रूप में, अनुसूचित जाति समुदाय के युवाओं के भीतर अभिनव विचारों के विकास एवं प्रसार को बढ़ावा देने के उद्देश्य से एएसआईआईएम का 2020 में शुभारंभ किया गया था। कुल 30 लाख रुपये तक की फंडिंग के माध्यम से, एएसआईआईएम ने अनुसूचित जाति समुदाय के छात्रों एवं शोधकर्ताओं द्वारा शुरू की गई प्रौद्योगिकी-उन्मुख परियोजनाओं व स्टार्ट-अप का समर्थन किया है। इस पहल ने उद्यमिता के मोर्चे पर सरकार की ओर से डाले जाने वाले प्रभाव में एक और गतिशील एवं अभिनव आयाम जोड़ा है।

इन पहलों का प्रभाव गहरा रहा है। कुल मिलाकर 20 राज्यों में अनुसूचित जाति के उद्यमियों के स्वामित्व वाले 200 उद्यमों को समर्थन देने के लिए 483 करोड़ रुपये स्वीकृत किए गए। ये उद्यम विभिन्न क्षेत्रों से जुड़े हुए हैं और क्षेत्रीय विकास एवं राष्ट्र-निर्माण के व्यापक प्रयास में अहम योगदान दे रहे हैं। इसके अलावा, अनुसूचित जाति समुदाय के पहली पीढ़ी के उद्यमियों को महत्वपूर्ण मार्गदर्शन प्रदान करके उनकी सफलता सुनिश्चित करने के उद्देश्य से मार्गदर्शन सत्र की पेशकश करने वाले प्लेटफॉर्म aye-mentor.in की स्थापना की गई है।

अन्य पिछड़ा वर्ग के उद्यमियों की असीम क्षमताओं को पहचानते हुए, सरकार ने 2019 में पिछड़े वर्ग के लिए उद्यम पूंजी कोष (वेंचर कैपिटल फंड) की स्थापना की। कुल 143 करोड़ रुपये की मौजूदा निधि के साथ, यह कोष पिछड़े वर्ग के उद्यमियों को रियायती वित्तपोषण प्रदान करता है। इससे सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम (एमएसएमई) क्षेत्र में पिछड़े वर्ग के उद्यमियों की सक्रिय भागीदारी को प्रोत्साहन मिला है। सभी उद्योगों में ग्रीन-फील्ड एवं विस्तार परियोजनाओं के लिए 20 लाख रुपये से लेकर 15 करोड़ रुपये तक की फंडिंग की पेशकश करके, हम आर्थिक समावेशिता को बढ़ावा दे रहे हैं।

इस कोष ने मैन्यूफैक्चरिंग, सेवाओं एवं कृषि से संबंधित उद्योगों सहित विभिन्न क्षेत्रों से जुड़े अन्य पिछड़ा वर्ग के उद्यमियों के स्वामित्व वाली 29 कंपनियों को 106 करोड़ रुपये स्वीकृत किए हैं। इस वित्तीय सहायता ने अन्य पिछड़ा वर्ग समुदाय के बीच विकास एवं समावेशिता को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। वर्ष 2021 में, ‘सिल्वर इकोनॉमी’ के रूप में जाने जाने वाले वरिष्ठ नागरिकों के कल्याण एवं भलाई के लिए अटल वयो अभ्युदय योजना (एवीवीएवाई) के तहत ‘सेज’ (सीनियर एजिंग ग्रोथ इंजन) नाम की पहल शुरू की गई थी। कुल 21.50 करोड़ रुपये की वर्तमान निधि और 106 करोड़ रुपये की इच्छित निधि के साथ, सेज उद्यम कोष (वेंचर फंड) इस क्षेत्र में उद्यमिता को बढ़ावा देते हुए बुजुर्गों की बेहतरी के लिए नवीन समाधान पेश करने वाले स्टार्ट-अप का समर्थन करता है।

ये पहल हाशिए पर रहने वाले समुदायों की क्षमताओं को सामने लाने और उन्हें अपनी नियति का निर्धारण करने के कार्य में सक्षम बनाने में समर्थ रहे हैं। उद्यम पूंजी कोष (वेंचर कैपिटल फंड) के माध्यम से वित्तीय सहायता के प्रावधान के परिणामस्वरूप अर्थव्यवस्था में 700 करोड़ से अधिक मूल्य की परिसंपत्तिओं का निर्माण हुआ है और इससे 3000 से अधिक व्यक्तियों के लिए रोजगार के अवसर सृजित हुए हैं। हाशिए पर रहने वाले एवं कमजोर समुदायों के 400 से अधिक उद्यमियों ने अपनी उद्यमशीलता संबंधी आकांक्षाओं को सफलतापूर्वक साकार किया है। ये उद्यमी अब “मेक इन इंडिया” पहल में सक्रिय रूप से योगदान दे रहे हैं और इस प्रकार भारत की आर्थिक विकास एवं समृद्धि को आगे बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं।

सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय हाशिए पर रहने वाले समुदायों को सशक्त बनाने तथा सामाजिक सशक्तिकरण एवं राष्ट्र-निर्माण के वाहक के रूप में उद्यमिता को बढ़ावा देने की अपनी प्रतिबद्धता पर अडिग है। अनुसूचित जाति एवं पिछड़े वर्गों के लिए उद्यम पूंजी कोष (वेंचर कैपिटल फंड) के साथ-साथ सेज उद्यम कोष (वेंचर फंड) जैसी रणनीतिक पहलों के माध्यम से सरकार ने सभी लोगों, चाहे उनकी पृष्ठभूमि या सामाजिक हैसियत कुछ भी हो, के लिए अवसर सृजित करने का काम जारी रखा है। समावेशी प्रगति का दृष्टिकोण महज एक सपना भर नहीं है, बल्कि यह परिवर्तनकारी पहलों के माध्यम से तैयार की गई एक ऐसी वास्तविकता है जो लोगों को सशक्त बनाती है, नवाचार को बढ़ावा देती है और राष्ट्र को व्यापक विकास के मार्ग पर अग्रसर करती है। अपेक्षाकृत अधिक समावेशी एवं समृद्ध भारत के निर्माण के लिए, इस तरह के प्रयास प्रत्येक नागरिक की अप्रयुक्त क्षमताओं का दोहन करते हुए सार्थक परिणाम देते रहेंगे और एक प्रगतिशील एवं एकजुट भारत के सामूहिक दृष्टिकोण को साकार करेंगे।

(लेखक, सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय में सचिव हैं।)