– मकुंद
मशहूर कॉमेडियन राजू श्रीवास्तव अब हमारे बीच नहीं हैं। जीते जी दुनिया को हंसाने वाले राजू श्रीवास्तव उर्फ गजोधर भइया ने एम्स दिल्ली में आखिरी सांस ली। उन्हें देखने भर से ठहाका मारकर हंसने वाले करोड़ों लोग रो पड़े। उत्तर प्रदेश के कानपुर शहर में 25 दिसंबर, 1963 को जन्मे राजू का असल नाम सत्य प्रकाश श्रीवास्तव था। वह बचपन से ही मिमिक्री और कॉमेडी करते थे। उन्हें कॉमेडी शो द ग्रेट इंडियन लॉफ्टर चैलेंजर से बड़ी पहचान मिली। इसके बाद उन्होंने सफलता का आसमान चूमा। कामयाबी के रास्ते खुलते गुए। राजू श्रीवास्तव ने 1993 में शिखा श्रीवास्तव से शादी की। उनके दो बच्चे हैं।
हंसने-हंसाने की दुनिया के इस बादशाह ने राजनीति में भी अपना हाथ आजमाया। समाजवादी पार्टी ने 2014 में कानपुर से लोकसभा चुनाव के लिए टिकट दिया। उन्होंने सपा को हाथ जोड़कर चुनाव लड़ने से मना कर दिया। मजेदार यह है कि इस चुनाव से पहले ही वो भारतीय जनता पार्टी में शामिल हो गए। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने उन्हें स्वच्छ भारत अभियान का हिस्सा बनाया। इसके बाद उन्होंने देशव्यापी स्वच्छता अभियान में हिस्सा लिया। राजू श्रीवास्तव को 2019 में यूपी फिल्म विकास परिषद का अध्यक्ष बनाया गया था। राजू का हास्य जगत में बिना किसी गॉडफादर के इतनी सफलता हासिल करना इंस्पायरिंग है।
राजू श्रीवास्तव अपने स्वास्थ्य का सदैव ध्यान रखते थे। वह जिम और वर्कआउट से कभी बंक नहीं मारते थे। सोशल मीडिया पर सक्रिय राजू हमेशा अपने चाहने वालों को हंसाते रहे। उनके इंस्टाग्राम अकाउंट पर तमाम फनी और मजेदार वीडियोज हैं। वह अब इन्हीं कॉमिक वीडियोज के जरिए चाहने वालों की यादों में बने रहेंगे। उन्होंने कॉमेडी करना उस दौर में शुरू किया था, जब यूट्यूब, टीवी चैनल, सीडी, और डीवीडी नहीं हुआ करती थी। उनका पहला कॉमेडी स्केच ‘हंसना मना है’ भी एक ऑडियो कैसेट की शक्ल में सामने आया था। राजू ने एक इंटरव्यू में इसका जिक्र भी किया है। उन्होंने कहा था- ‘ये 1980 के दशक की बात है। उन दिनों इतने सारे चैनल नहीं हुआ करते थे। सिर्फ दूरदर्शन था। मैं उस जमाने का आदमी हूं। उस समय डीवीडी, सीडी ये सब नहीं था। पेन ड्राइव तो था ही नहीं बेचारा…। उस समय हमारे ऑडियो कैसेट रिलीज होते थे जो फंस जाते थे तो उनमें पेंसिल डालकर ठीक करना होता है। टी सीरीज में हमारा कैसेट आया था।’ राजू श्रीवास्तव ने खुलासा किया था- ‘उस जमाने की खासियत ये थी कि वो भी हिट हो गया था। लेकिन बड़ी चुलबुलाहट होती थी कि हम जिस रिक्शे में बैठे हैं, उसमें हमारा कैसेट बज रहा है। लेकिन वो सुनने वाला हमें जानता ही नहीं। कभी-कभी हम उसे छेड़ने के लिए कह भी देते थे, ये क्या सुन रहे हो यार। बंद करो कुछ अच्छा लगाओ। इस पर रिक्शे वाला कहता था कि अरे नहीं, भइया, कोई श्रीवास्तव है, बहुत हंसाता है।’
राजू ने इस इंटरव्यू में एक किस्सा और साझा किया था- ‘एक बार की बात है कि हम ट्रेन में अपने एक किरदार मनोहर के अंदाज में किसी को शोले की कहानी सुना रहे थे…। ऊपर की बर्थ पर एक चचा सो रहे थे। हमें सुनकर वो नीचे उतरे और बोले कि ऐसा है, तुम ये जो कर रहे हो, इसको और ढंग से करो। इसमें थोड़ी और मेहनत करके इसको जो है…कैसेट बनवाओ। बंबई जाओ। गुलशन कुमार का होगा स्टूडियो वहां। तुम वहां सुनाओ अपना ये…। तुम्हारा भी कैसेट आएगा। एक श्रीवास्तव का कैसेट निकला है, उससे आइडिया लो।’ इस वाकये को सुनाकर राजू जोर का ठहाका लगाकर हंसे थे। उन्होंने शर्माते हुए कहा था कि चचा जिस श्रीवास्तव का जिक्र कर रहे थे, वो हम ही थे।
राजू ने गजोधर भइया के पात्र को इस तरह हंसने-हंसाने में जीया कि वो ही उनकी असल पहचान बन गया। देश में गजोधर नाम के व्यक्ति भी खुद पर फक्र करने लगे। राजू के न रहने से आज हजारों-लाखों ऐसे गजोधर खुद को अकेला महसूस करते हुए मानो कह रहे हैं, राजू एक बार फिर हंसा दो। पर यह कहां मुमकिन है। हंसने- हंसाने की दुनिया का ये अजीम फनकार हमेशा-हमेशा के लिए सो चुका है। कॉमेडी की दुनिया में अमिताभ बच्चन की मिमिक्री करने वाला यह राजू हास्य के संसार का महानायक बनकर इस फानी दुनिया से कूच कर गया। राजू श्रीवास्तव का जाना सबको रुला गया। उन्हें अश्रुपूरित श्रद्धांजलि देने वाले राजनेताओं में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, गृहमंत्री अमित शाह, रक्षामंत्री राजनाथ सिंह, भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा, उत्तर प्रदेश के उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य और पूर्व मुख्यमंत्री एवं सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव प्रमुख हैं। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी राजू श्रीवास्तव के निधन पर शोक व्यक्त किया है।
उन्होंने कहा- ‘वो एक अच्छे कलाकार थे। जीवन पर्यंत अपनी पीड़ा को दबाते हुए बिना किसी भेदभाव के सबका मनोरंजन करते रहे। मैं प्रदेशवासियों की ओर से उनकी आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना करता हूं।’ कवि कुमार विश्वास ने कहा है- ‘राजू भाई ने आखिर ईश्वर के लोक की उदासी से लड़ने के लिए, सांसारिक यात्रा से विराम ले ही लिया। उनके संघर्ष के दिनों से लेकर यश के शिखर तक की यात्रा के सैकड़ों संस्मरण आंखों के आगे तैर रहे हैं। उदास लोगों को मुस्कुराहट की ईश्वरीय सौगात देने वाले सिकंदर को अंतिम प्रणाम भाई।’
(लेखक, हिन्दुस्थान समाचार से संबद्ध हैं।)