– डॉ. दिलीप अग्निहोत्री
शक्ति पीठों में मां विंध्यवासिनी धाम का विशेष महत्व है। एक तरफ मां गंगा दूसरी तरफ विंध्य पर्वत शृंखला इस पूरे क्षेत्र को सुरम्य बनती है। इसके साथ ही यहां काली खोह और अष्टभुजा देवी का भी धाम है।विंध्यवासिनी काली खोह और अष्टभुजा धाम आध्यात्मिक त्रिकोण का निर्माण करते हैं। साधना की दृष्टि से यह सिद्ध क्षेत्र है। नवदुर्गा की अवधि में यहां साधक विशेष अनुष्ठान करते हैं। दूर-दूर से यहां दर्शनार्थी पहुंचते हैं। दुर्भाग्य से इस सिद्ध क्षेत्र के विकास पर पिछली सरकारों ने अपेक्षित ध्यान नहीं दिया। श्रीकाशी विश्वनाथ धाम की भांति यह भी उपेक्षित रहा। तीर्थयात्रियों की सुविधाओं का यहां नितांत अभाव था। श्रीकाशी विश्वनाथ धाम की भांति इसका इस मंदिर का निर्माण भी गंगा नदी के पावन तट पर हुआ था। मंदिर से ही गंगा मैया के दर्शन होते थे। लेकिन अनियोजित निर्माण से यह धाम संकरी गलियों में सिमट कर रह गए। मंदिर स्थल से गंगा मैया के दर्शन भी असंभव हो गए। केंद्र में नरेन्द्र मोदी और उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ की सरकार बनने के साथ ही परिवर्तन की शुरुआत हुई। दोनों सरकारों ने तीर्थाटन और पर्यटन को विकास की मुख्यधारा में शामिल किया। सांस्कृतिक राष्ट्रवाद का नया अध्याय शुरू हुआ। श्रीकाशी विश्वनाथ धाम का भव्य निर्माण हो चुका है।
अब गंगा किनारे के पुराने घाटों से सीधे बाबा विश्वनाथ तक पहुंचा जा सकता है। सात तरह के पत्थरों से विश्वनाथ धाम को सुशोभित किया गया है। यहां आने वाले श्रद्धालु रुद्र वन यानी रुद्राक्ष के पेड़ों के बीच से होकर बाबा विश्वनाथ के दर्शन करने पहुंच रहे है। काशी विश्वनाथ धाम कॉरिडोर पचास हजार वर्गमीटर में बना है। काशी विश्वनाथ धाम का चौक मां गंगा की लहरों से बाईस मीटर की ऊंचाई पर है। ऐसी ही भव्यता के साथ विंध्यवासिनी धाम का निर्माण हो रहा है। योगी आदित्यनाथ ने नवरात्री की पूर्व संध्या पर विंध्यवासिनी धाम में पूजा-अर्चना भी की। इसके बाद उन्होंने निर्माणाधीन विंध्य कॉरिडोर के निर्माण कार्यों का निरीक्षण किया। कॉरिडोर के मॉडल और मानचित्र का अवलोकन किया। जनप्रतिनिधियों एवं अधिकारियों के साथ निर्माणाधीन विंध्य कॉरिडोर की प्रगति एवं नवरात्रि मेले की तैयारियों की समीक्षा की। उन्होंने निर्देश दिए कि विंध्य कॉरिडोर के कार्य पूर्ण गुणवत्ता के साथ तय समय में कार्ययोजना बनाकर आगे बढ़ाए जाएं। निर्माणाधीन विंध्य कॉरिडोर के कार्यों को अगले छह माह में पूर्ण किया जाए।
मां विंध्यवासिनी देवी मंदिर एवं विंध्य कॉरिडोर निर्माण के साथ-साथ काली खोह, अष्टभुजा मंदिर निर्माण तथा त्रिकोण मार्ग के चौड़ीकरण एवं सौन्दर्यकरण के लिए कार्ययोजना बनायी जा रही है। श्रद्धालुओं के लिए अच्छी धर्मशालाओं एवं होटलों की की व्यवस्था की गई है। योगी आदित्यनाथ ने कहा कि विंध्य कॉरिडोर में प्रयुक्त होने वाले पत्थरों को तराशने के लिए यहीं पर कार्यशाला स्थापित की जाए,ताकि स्थानीय लोग प्रशिक्षित होकर आत्मनिर्भर बन सकें।
परकोटा एवं परिक्रमा पथ पर एक सौ तीस पिलर बनाए जाने हैं। दो शिफ्टों में कार्य शुरू है। श्रद्धालुओं के लिए बुनियादी सुविधाओं एवं सुरक्षा का प्रबन्ध किया गया है। केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह और और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कॉरिडोर का शिलान्यास किया था। विंध्य सर्कल के लिए रोप-वे का उद्घाटन हो चुका है। डेढ़ सौ करोड़ रुपये की विंध्याचल कॉरिडोर परियोजना के निर्माण कार्य को देखकर लोग खुश हैं। इसके लिए विंध्याचल मंदिर के आसपास चिह्नित करीब सौ भवनों को खरीदने के बाद हटाया जा चुका है। यहां का नया परिक्रमा मार्ग पचास फीट चौड़ा होगा। मंदिर तक पहुंचने वाली हर सड़क चौड़ी होगी। पार्किंग जोन, गेस्ट हाउस, शॉपिंग कॉम्प्लेक्स, रिटायरिंग रूम आदि अत्याधुनिक होंगे। विंध्याचल त्रिकोण की अष्टभुजा और काली खोह पहाड़ियों के मध्य बनने वाला यह रोप-वे पूर्वी यूपी का पहले रोप-वे है।
(लेखक, स्वतंत्र टिप्पणीकार हैं।)