– डॉ. दिलीप अग्निहोत्री
नए भारत की विकास यात्रा में चंद्रयान का सफल अभियान भी शामिल हुआ। आत्मनिर्भर भारत का यह अभूतपूर्व अध्याय है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी सरकार के प्रयासों से संकल्प सिद्ध हो रहे हैं। इसके पहले कोरोना की दो वैक्सीन बना कर भारत ने अपनी प्रतिभा का दुनिया को प्रमाण दिया था। सैकड़ों देशों तक भारतीय वैक्सीन पहुंची थी। पिछले दिनों अमृत रेलवे-स्टेशन निर्माण कार्य का शुभारंभ हुआ था। डिजिटल अभियान में भारत की प्रगति शानदार है। यह सब अमृतकाल की गरिमा बढ़ा रहे हैं। इसी अवधि में भारत जी-20 का अध्यक्ष बना। दुनिया भारत के विचारों से परिचित हो रही है। प्रधानमंत्री मोदी ने इससे पहले चंद्रयान अभियान की विफलता पर इसरो के वैज्ञानिकों का हौसला बढ़ाया था।
उन्होंने कहा था कि हमारे संस्कार, हमारा चिंतन, हमारी सोच, इस बात से भरी पड़ी है, जो हमें कहते हैं- वयं अमृतस्य पुत्राः। हम अमृत की संतान हैं जिसके साथ अमरत्व जुड़ा हुआ रहता है। अमृत के संतान के लिए न कोई रुकावट है, न हो कोई निराशा। हमें पीछे मुड़कर निराशा की तरफ नहीं देखना है, हमें सबक लेना है, सीखना है, आगे ही बढ़ते जाना है और लक्ष्य की प्राप्ति तक रुकना नहीं है। हम निश्चित रूप से सफल होंगे। मिशन के अगले प्रयास में भी और उसके बाद के हर प्रयास में कामयाबी हमारे साथ होगी। 21वीं सदी में भारत के सपनों और आकांक्षाओं को पूरा करने से पहले हमें कोई भी क्षणिक बाधा रोक नहीं सकती। उनका कथन सत्य साबित हुआ।
चंद्रयान-3 की चंद्रमा पर सफलतापूर्वक लैंडिंग होते ही प्रधानमंत्री मोदी ने तिरंगा लहराया। कहा, जब हम ऐसे ऐतिहासिक क्षण देखते हैं तो हमें बहुत गर्व होता है। ये नए भारत का सूर्योदय है। हमने धरती पर संकल्प किया और चांद पर उसे साकार किया। भारत अब चंद्रमा पर है। ये क्षण मुश्किलों के महासागर को पार करने जैसा है। ये क्षण जीत के चंद्रपथ पर चलने का है। ये क्षण 140 करोड़ धड़कनों के सामर्थ्य का है। ये भारत में नई ऊर्जा, नई चेतना का है। अमृतकाल की प्रथम प्रभा में सफलता की ये अमृतवर्षा हुई है। हमने धरती पर संकल्प लिया और चांद पर उसे साकार किया। जब हम अपनी आंखों के सामने इतिहास बनते देखते हैं तो जीवन धन्य हो जाता है। यह पल विकसित भारत के शंखनाद का है। इससे पहले कोई भी देश चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव तक नहीं पहुंचा है। हमारे वैज्ञानिकों की मेहनत से हम वहां तक पहुंचे हैं। भारत का सफल चंद्रमा मिशन अकेले भारत का नहीं है।यह सफलता पूरी मानवता की है।
प्रधानमंत्री मोदी ने नए भारत का रोडमैप बनाया था। उसमें भारत को विकसित देशों की श्रेणी में पहुंचाने का लक्ष्य निर्धारित किया गया था।अंतरिक्ष क्षेत्र में क्षमता का वाणिज्यिक उपयोग के लिए न्यू स्पेस इंडिया लिमिटेड नाम से नए सार्वजनिक उपक्रम का गठन किया गया है। इसका मकसद इसरो के लाभ का पूरा उपयोग करना है। यह संकल्प सिद्ध हुआ। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के न्यू इंडिया विजन में विकास और लोक कल्याण का समावेश है। भारत को विकसित बनाने का संकल्प है। संकल्प को सिद्ध करने की इच्छाशक्ति है। उनकी नौ वर्ष की यह यात्रा यही प्रमाणित करती है।
इस नये भारत का रेलवे भी नया है, क्योंकि रेलवे में विकास की दृष्टि से भी नौ साल बेमिसाल हैं। देश के विभिन्न ऐतिहासिक स्थलों और तीर्थ स्थानों को जोड़ने के लिए इन दिनों भारत गौरव यात्रा ट्रेन और भारत गौरव टूरिस्ट ट्रेन भी चल रही है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी विश्व कल्याण के दृष्टिगत दुनिया को भारतीय विरासत से परिचित करा रहे हैं। उनके प्रयासों से अन्तरराष्ट्रीय योग दिवस मनाया जा रहा है।
आजादी के अमृतकाल में भारत के जी-20 की अध्यक्षता करना बड़ा अवसर है। यह ऐसे देशों का समूह है जो विश्व के सकल घरेलू उत्पाद जीडीपी में 85 प्रतिशत की भागीदारी रखता है। इन देशों में दुनिया की दो तिहाई जनसंख्या रहती है। विश्व व्यापार में इसकी पचहत्तर प्रतिशत की भागीदारी है। भारत का प्रयास रहेगा कि विश्व में कोई ‘पहली दुनिया’ या ‘तीसरी दुनिया’ न हो, बल्कि एक दुनिया’ हो।
(लेखक, स्वतंत्र टिप्पणीकार हैं।)