इंदौर (Indore)। उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (Chief Minister Yogi Adityanath) ने कहा कि कुछ लोग हैं जो भारत (India) के बारे में सवाल उठाते हैं। भारतीयता के बारे में सवाल उठाते हैं। सनातन धर्म को लेकर सवाल उठाते हैं। ये वही लोग हैं जो कभी राम के अस्तित्व पर सवाल उठाते थे, कभी कृष्ण के अस्तित्व को नकारते थे। ये वहीं हैं जिन्होंने भारत को हर काल खंड में अपमानित करने में कोई कसर नहीं छोडी, लेकिन मैं बताना चाहता हूं कि सनातन धर्म (Sanatan Dharma) न कभी डिगा है डीगेगा। जो सनातन न तो बाबर और न ही औरंगजेब के अत्याचारों के सामने झुका, वह कभी नहीं झुकेगा।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ बुधवार शाम को इंदौर प्रवास के दौरान यहां रविंद्र नाट्य गृह में देवी अहिल्याबाई की 228वीं पुण्यतिथि (228th death anniversary of Goddess Ahilyabai) के अवसर पर आयोजित गुणीजन सम्मान एवं पुरस्कार वितरण कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि जब भी लोक आराध्यों की बात होगी, महापुरुषों की बात होगी, देवी अहिल्याबाई होलकर का नाम पूरे सम्मान के साथ लिया जाएगा। वे लोकमाता हैं। उनकी 228वीं पुण्यतिथि पर आयोजित इस कार्यक्रम में शामिल कर मुझे अनुगृहित किया गया है।
योगी ने कहा कि कोई भी शासक यूं ही पूज्य नहीं हो जाता है। डॉ. राममनोहर लोहिया ने कहा था कि अगर किसी के न रहने पर 50 वर्ष बाद भी उसे याद किया जा रहा है तो इसका मतलब है कि वह व्यक्ति सामान्य नहीं बल्कि असमान्य है। उन्होंने कहा कि देवी अहिल्याबाई होलकर की महानता को इसी से समझा जा सकता है कि हम उन्हें 228 वर्ष बाद भी याद कर रहे हैं। एक शासक परिस्थितियों को निर्माता होता है। देवी अहिल्याबाई ने विपरीत परिस्थितियों में जिस तरह से और जो लोक कल्याण कार्य किए हैं वे अनुकरणीय हैं। उन्होंने कहा कि काशी विश्वनाथ और सोमनाथ का मंदिर देवी अहिल्या की देन है। वाराणसी साड़ी और माहेश्वरी साड़ी की परंपरा भी देवी अहिल्या ने ही दी है।
कार्यक्रम की अध्यक्षता पूर्व लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन ने की। इस अवसर पर सांसद शंकर लालवानी, मंत्री तुलसीराम सिलावट, उषा ठाकुर, महापौर पुष्यमित्र भार्गव भी उपस्थित थे।
इससे पहले मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ माधवनाथ महाराज की समाधिस्थल श्रीनाथ मंदिर साउथ तुकोगंज पहुंचे। इस मौके पर उन्होंने 48 फीट ऊंचे अष्टधातु से निर्मित नाथ संप्रदाय के ध्वजा स्तंभ का लोकार्पण किया। यहां एक घंटे के कार्यक्रम के दौरान उन्होंने यहां समाधि स्थल पर दर्शन-पूजनकर स्वल्पहार भी लिया। इस मौके पर उन्होंने कहा कि माधवनाथ महाराज नाथ संप्रदाय की उस सनातन धर्म की परंपरा के संत है जहां अगर आपके प्रति किसी ने कुछ किया है तो उसके लिए कृतिज्ञता का श्रेष्ठ भाव रखते हैं।
उन्होंने कहा कि शाश्वत सनातन परंपरा को ही आज कुछ लोग कोसने का कार्य कर रहे हैं। ऐसे लोग भारत के आदर्श व सिद्धांतों पर प्रहार करते हैं। यह हर काल खंड में हुआ है। यह ऐसे लोग हैं जो ईश्वर की वास्तविकता पर अविश्वास करते हैं। रावण, कंस, हिरण्यकश्यप इसी परिपाटी के थे। महाकाल मंदिर, अयोध्या में राम मंदिर और काशी विश्वनाथ जैसे मंदिरों पर प्रहार किया। देवी अहिल्या ने उस काल खंड में काशी विश्वनाथ मंदिर को पुन: स्थापित किया।
योगी ने कहा कि जिस समय हम स्वतंत्र हुए उस वक्त देश की स्वतंत्रता का उत्सव सभी नहीं मना पाए, क्योंकि उसके साथ विभाजन की त्रासदी भी जुड़ गई थी, इसलिए आजादी का अमृत महोत्सव मनाया गया। हर घर तिरंगा अभियान चलाया गया। इस दौरान कई उपलब्धियां हासिल की और ब्रिटेन को पछाड़कर देश की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बना।
उन्होंने कि भारतीय मूल के ब्रिटेन के प्रधानमंत्री ऋषि सुनक कहते हैं कि उन्हें हिंदू होने पर गर्व है। वे गौ माता का पूजन करने, मंदिर जाने में हिचकते नहीं है। वे सनातन धर्म के आदर्श से जुड़े हुए हैं। माधवनाथ महाराज जैसे योगी जन्म-मरण से परे होते हैं। मृत्यु भी उनके लिए एक नया जन्म है। उन्होंने अपने शिष्यों को संदेश दिया कि लोक कल्याण के कार्य करने वालों के साथ मैं सदा रहूंगा।