दरअसल, प्रधानमंत्री शेर बहादुर देउबा की नेपाली कांग्रेस के नेतृत्व वाली पांच पार्टियों का गठबंधन 275 सदस्यीय प्रतिनिधि सभा में 136 सीटें हासिल करने के बाद बहुमत से दो सीट दूर है। ऐसे में आरएसपी के वरिष्ठ नेता बिराज भक्त श्रेष्ठ ने कहा कि अगर हमारी भागीदारी के बिना नई सरकार नहीं बन सकती है तो हम विपक्ष में बैठने के लिए तैयार हैं।
नवगठित राजनीतिक दल ने काठमांडू शहर में चार सीटों पर विजयी हुई है। सरकार गठन में अनिश्चितता को देखते हुए आरएसपी ने समर्थन की पेशकश की है ताकि देश में दोबारा चुनाव से बचा जा सके। उन्होंने कहा कि ऐसी स्थिति में सरकार का समर्थन करना और उसमें शामिल होना हमारा नैतिक दायित्व बन जाता है, हालांकि हमारा मुख्य उद्देश्य सत्ता हासिल करना नहीं है। अगर सरकार गठन में हमारे समर्थन की जरूरत नहीं है तो हम विपक्ष में बैठने के लिए तैयार हैं।
श्रेष्ठ ने आगे कहा कि सरकार में शामिल होने से पहले, हम चाहते हैं कि गठबंधन दल प्रशासन और भ्रष्टाचार मुक्त नौकरशाही में पारदर्शिता के लिए तत्काल जोर दें।
इससे पहले नेपाल में पांच दलों के सत्ताधारी गठबंधन के नेताओं ने यहां शुक्रवार को एक बैठक करके आम चुनाव के नतीजों की समीक्षा करने के साथ नई सरकार के गठन और सत्ता-साझेदारी के समझौते पर चर्चा की।
नेपाल कांग्रेस के नेता रामचंद्र पौडेल (माओवादी सेंटर), अध्यक्ष पुष्प कमल दहल ‘प्रचंड’, नेपाल समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष डॉ. बाबूराम भट्टराई ने काठमांडू में मुलाकात की। बैठक में नेपाल समाजवादी पार्टी के नेता महेंद्र आर. यादव भी मौजूद रहे। चुनाव के बाद नेपाली कांग्रेस (एनसी) 89 सीट के साथ सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरी है।