Friday, November 22"खबर जो असर करे"

सीमित किए जाएं वक्फ बोर्ड के अधिकार, विधेयक लाकर लें फैसला : रघुनंदन शर्मा

भोपाल। भाजपा के वरिष्ठ नेता और पूर्व सांसद रघुनंदन शर्मा ने कहा कि जब अंत:वृक्ष से बात प्रस्फुटित होती है तो मैं अपने को रोक नहीं सकता। मैं कहना चाहता हूं कि वक्फ बोर्ड के अधिकार सीमित किए जाएं। विधानसभा में विधेयक लाकर इसे सीमित अधिकार वाला बनाना चाहिए। राज्य शासन का एक सर्कुलर है, यह भाजपा की सरकार आने के बाद जारी हुआ है। जहां पर भी कब्र होगी, मजार होगी या अल्पसंख्यक समुदाय का कुछ हिस्सा होगा, वह रकबा नम्बर राजस्व रिकार्ड में चढ़ जाएगा। इसे रोकने की जरूरत है।

रघुनंदन शर्मा ने यह बात शनिवार को हिन्दुस्थान समाचार और धर्म संस्कृति समिति द्वारा भू अतिक्रमण और समान नागरिक संहिता को लेकर राजधानी भोपाल में आयोजित परिसंवाद कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए अपने संबोधन में कही। उन्होंने मंदसौर जिले में एक खेत में बनी मजार का उदाहरण देते हुए कहा कि इस मामले में कलेक्टर से शिकायत करने पर कहा गया कि सिर्फ मजार एरिया की नाप में ही मजार होगी। इसके अलावा कोई जमीन मजार की नहीं होगी। कलेक्टर ने ऐसा करके भी दिखाया। अब ऐसे कलेक्टर नहीं होते हैं। शर्मा ने मुस्लिम संगठनों से जुड़े कई बोर्ड को भंग करने की भी आवश्यकता भी जताई।

 

देश भक्ति की गंगा कभी सूख नहीं सकती
शर्मा ने कहा कि 1948 में महात्मा गांधी की हत्या के बहाने देश भक्ति की गंगा को रोकने की कोशिश की गई थी, लेकिन देश भक्ति की गंगा कभी सूख नहीं सकती। यह निरंतर प्रवाहमान है। कानून बदलते रहते हैं, राष्ट्र भक्ति कभी नहीं बदलती। मां के प्रति श्रद्धा कभी बदलती नहीं है। मां, मां होती है और वत्स, वत्स ही रहता है। भारतवासियों की भारत माता के प्रति भक्ति कभी खत्म नहीं हो सकती।

पूर्व सांसद शर्मा ने हिन्दू-मुस्लिम आबादी का जिक्र करते हुए कहा कि एक षड़यंत्र हुआ। परिवार नियोजन के नाम पर जिसमें पहले हम दो हमारे दो कहा गया और फिर हम एक पर आ गए। दो को तीन करने की बजाय एक करके हिन्दू की आबादी घटाई गई। इसका उदाहरण देखना हो तो कश्मीर में जाकर देखो। यह षड़यंत्र आजादी के बाद से चला है। अब दूसरा षड़यंत्र जिसकी जितनी संख्या उसकी उतनी हिस्सेदारी के नाम पर हो रही है। सनातन को मिटाने वाले यह षड़यंत्र कर रहे हैं। शर्मा ने कहा कि सनातन धर्म को बचाना है तो हर परिवार में राम, लक्ष्मण, भरत, शत्रुध्न होना ही चाहिए।

कार्यक्रम के मुख्य वक्ता सर्वोच्च न्यायालय के वरिष्ठ अधिवक्ता और संविधान विशेषज्ञ (पीआईएल मैन आफ इंडिया) अश्विनी उपाध्याय थे, जबकि कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के तौर पर विधायक भगवान दास सबनानी और विशिष्ट अतिथि के तौर पर राज्य बाल संरक्षण आयोग की सदस्य डॉ निवेदिता शर्मा मौजूद रहे।