Friday, November 22"खबर जो असर करे"

रिकॉर्ड लो लेवल तक गिरने के बाद दूसरे कारोबारी सत्र में संभला रुपया

नई दिल्ली। भारतीय मुद्रा रुपये (Indian currency rupee) ने मंगलवार को पहली बार डॉलर के मुकाबले 80 रुपये (Rs 80 level against dollar) के स्तर को पार किया। हालांकि डॉलर इंडेक्स में आई मामूली कमजोरी (Slight weakness in dollar index) के कारण भारतीय मुद्रा को संभलने का मौका मिल गया। दिन भर के कारोबार के दौरान भारतीय मुद्रा ने पहले 80.06 रुपये प्रति डॉलर के स्तर पर पहुंच कर ऑल टाइम लो का नया रिकॉर्ड (New record for all time low) बनाया। दिन के दूसरे कारोबारी सत्र में डॉलर इंडेक्स की कमजोरी का फायदा उठाकर निचले स्तर से करीब 11 पैसे की रिकवरी करके 79.95 रुपये प्रति डॉलर (अस्थाई) के स्तर पर बंद हुआ।

इंटर बैंक फॉरेन एक्सचेंज मार्केट में आज भारतीय मुद्रा ने सोमवार की तुलना में 0.03 प्रतिशत की कमजोरी के साथ 79.99 रुपये प्रति डॉलर के स्तर पर कारोबार की शुरुआत की। वैश्विक कारोबार की स्थिति को देखते हुए डॉलर की मांग में तेजी की आशंका के कारण कारोबार की शुरुआत में ही रुपया 3 पैसे फिसल कर पहली बार 80 रुपये के मनोवैज्ञानिक स्तर को तोड़ते हुए डॉलर के मुकाबले 80.02 रुपये के निचले स्तर पर पहुंच गया। हालांकि इस तेज गिरावट के बाद रुपये की कीमत में हल्की स्थिरता आती हुई नजर आई, लेकिन थोड़ी देर बाद ही एक बार फिर डॉलर की मांग में तेजी आने की आशंका ने रुपये की कीमत पर दबाव बना दिया।

इस दबाव के कारण दिन के पहले ही कारोबारी सत्र में भारतीय मुद्रा डॉलर के मुकाबले 80.06 के रिकॉर्ड लो लेवल तक पहुंच गई। हालांकि इसके बाद डॉलर इंडेक्स में मामूली कमजोरी आने की खबर पहुंचने के साथ ही रुपये की कीमत में भी तेजी से सुधार हुआ। कारोबार के दौरान भारतीय मुद्रा आज के निचले स्तर से करीब 22 पैसे की रिकवरी करके 79.84 रुपया प्रति डॉलर के स्तर पर भी पहुंची। रुपये की ये मजबूती अधिक देर तक कायम नहीं रही। दिन के दूसरे कारोबारी सत्र में रुपया एक बार फिर कमजोर होने लगा और इसने 79.95 रुपये प्रति डॉलर (अस्थाई) के स्तर पर पहुंच कर आज के कारोबार का अंत किया।

मार्केट एक्सपर्ट्स मयंक मोहन के मुताबिक वैश्विक परिस्थितियों के कारण रुपये समेत दुनिया भर की ज्यादातर मुद्राओं की कीमत पर दबाव की स्थिति बनी हुई है। डॉलर इंडेक्स की मजबूती का असर दुनियाभर के देशों की मुद्रा की कमजोरी के रूप में सामने आया है। इसके साथ ही वैश्विक स्तर पर बढ़ी महंगाई और भारत के आयात बिल में हुई बढ़ोतरी ने भी रुपये पर दबाव बना दिया है, जिसकी वजह से डॉलर के मुकाबले रुपये की कीमत में लगातार गिरावट का रुख बना हुआ है।

मयंक मोहन के मुताबिक 26 और 27 जुलाई को अमेरिकी फेडरल रिजर्व की होने वाली बैठक के परिणामों से भी डॉलर इंडेक्स की मजबूती पर असर पड़ेगा। अगर फेडरल रिजर्व अमेरिका में महंगाई को काबू करने के लिए ब्याज दरों में पहले की घोषणा के मुताबिक 1 प्रतिशत तक बढ़ोतरी करता है, तो इससे डॉलर इंडेक्स को और मजबूती मिलेगी, जिससे रुपये पर दबाव और बढ़ जाएगा। दूसरी ओर अगर ब्याज दरों की ये बढ़ोतरी 0.75 प्रतिशत या इससे कम रही, तो डॉलर इंडेक्स में अपेक्षित तेजी आने की जगह मामूली गिरावट भी आ सकती है, जिसका फायदा भारतीय मुद्रा यानी रुपये की कीमत में मजबूती के रूप में सामने आ सकता है। (एजेंसी, हि.स.)