Friday, November 22"खबर जो असर करे"

इस रक्षाबंधन पर 12 हजार करोड़ रुपये के कारोबार होने का अनुमान

नई दिल्‍ली। देश के व्यापारियों के शीर्ष संगठन कन्‍फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) ने कहा कि सोमवार, 19 अगस्त को मनाए जाने वाला भाई-बहन के प्रेम के प्रतीक का त्‍याेहार रक्षाबंधन पर इस वर्ष करीब 12 हजार करोड़ रुपये का कारोबार होने अनुमान है।

कैट के राष्‍ट्रीय महामंत्री और चांदनी चौक से सांसद प्रवीन खंडेलवाल ने जारी एक बयान में कहा कि देशभर में धूमधाम से रक्षाबंधन की तैयारियां चल रही हैं। उन्‍होंने कहा कि अच्छी बात ये है कि बाजार से चीन में बनी राखियां गायब हैं। कारोबारियों ने मेक इन इंडिया को बढ़ावा देते हुए सिर्फ देश में बनी हुई राखियों को ही प्राथमिकता दी है।

खंडेलवाल ने कहा कि लोगों के उत्साह को देखते हुए व्‍यापारियों को उम्मीद है कि रक्षाबंधन के अवसर पर इस साल लगभग 12 हजार करोड़ रुपये का कारोबार हो सकता है। उन्हाेंने कहा कि देशभर के बाजारों में राखी की खरीदारों की जबरदस्‍त भीड़ उमड़ी है, लोगों में त्याेहार के प्रति बहुत उत्साह भी है। पिछले कई वर्षों से देश में स्वदेशी राखियों ही बिक रही हैं और इस वर्ष भी चीन की बनी राखियों की न तो कोई मांग थी और बाजार में चीनी राखियां दिखाई भी नहीं दी।

खंडेलवाल ने बताया कि पिछले दिनों में राखियों की मांग में वृद्धि को देखते हुए इस वर्ष रक्षाबंधन पर 12 हजार करोड़ रुपये के व्यापार होने की उम्मीद है, जबकि पिछले वर्ष ये कारोबार लगभग 10 हजार करोड़ रुपये का था। वहीं, वर्ष 2022 में करीब 7 हजार करोड़ रुपये, 2021 यह व्यापार 6 हजार करोड़ रुपये का रहा था। वर्ष 2020 में 5 हजार करोड़, जबकि वर्ष 2019 में यह 3500 करोड़ रुपये तथा वर्ष 2018 में 3 हजार करोड़ रुपये का कारोबार हुआ था।

उन्हाेंने बताया कि इस वर्ष राखियों की एक विशेषता यह भी है कि इनमें देश के विभिन्न शहरों के मशहूर उत्पादों से विशेष प्रकार की राखियां बनाई गईं है, जिनमें नागपुर में बनी खादी राखी, जयपुर में सांगानेरी कला राखी, पुणे में बीज राखी, मध्य प्रदेश के सतना में ऊनी राखी, आदिवासी वस्तुओं से बनी बांस की राखी, असम में चाय पत्ती राखी, कोलकाता में जूट राखी, मुंबई में रेशम राखी, केरल में खजूर राखी, कानपुर में मोती राखी, बिहार में मधुबनी और मैथिली कला राखी, पुडूचेरी में सॉफ्ट पत्थर की राखी, बेंगलुरु में फूल राखी आदि शामिल हैं। इसके साथ ही देश का गर्व प्रदर्शित करने वाली तिरंगा राखी, वसुधैव कुटुंबकम की राखी, भारत माता की राखी आदि शामिल हैं, जिनकी मांग बहुत अधिक है। इसके अलावा डिजाइन राखियां तथा चांदी की राखियां भी बाज़ार में खूब बिक रही हैं।

कैट की वैदिक कमेटी के अध्यक्ष तथा उज्जैन के प्रसिद्ध वेद मर्मज्ञ आचार्य दुर्गेश तारे ने बताया कि 19 अगस्त, साेमवार को दोपहर 1.30 मिनट तक भद्रा काल है। इसमें कोई भी मंगल कार्य निषेध है। इसलिए देशभर में रक्षाबंधन का पवित्र त्याेहार दोपहर 1 बजकर 31 मिनट से ही रक्षाबंधन का त्‍याेहार मनाया जाए। कैट ने इस तरह की एडवाइजरी को देश के सभी व्यापारी संगठनों को भेजी है। इसके साथ ही कहा गया है कि सभी व्यापारी शुभ समय में ही रक्षाबंधन का पर्व मनाएं।

कैट महामंत्री ने उम्मीद जतायी है कि 19 अगस्त, रक्षाबंधन से शुरू होकर 15 नवंबर को तुलसी विवाह के दिन तक त्‍याेहारी अवधि के दौरान सामानों की बिक्री के माध्यम से देशभर के बाजरों में लगभग 4 लाख करोड़ रुपये से अधिक की बिक्री होने की उम्मीद है जो मूल रूप से भारतीय वस्तुओं की ख़रीदी से ही होगी। गौरतलब है कि कैट पिछले चार साल से देश में खास तौर पर त्याेहारों के समय भारतीय उत्पाद खरीदने के साथ चीनी सामान के बहिष्कार की सफल मुहिम चला रहा है।