– एस.एन.सिंह
कांग्रेस नेता राहुल गांधी की ‘भारत जोड़ो यात्रा’ ने अब एक सौ बीस दिन से अधिक दिन पूरे कर लिए हैं लेकिन यात्रा के दौरान हुयी गतिविधियों और राहुल गांधी के बयानों ने इसे ‘भारत तोड़ो यात्रा’ बना दिया है। राहुल गांधी भले ही कह रहो हों कि नफरत के इस बाजार में वो मोहब्बत का पैगाम लेकर चल रहे हैं जबकि हकीकत कुछ और ही है। राहुल गांधी की यात्रा एक प्रायश्चित यात्रा है क्योंकि उनके पूर्वजों ने भारत को तोड़ने में कोई कसर नहीं छोड़ी है। उनकी यात्रा का अब तक का पूरा समय या तो ऐसे लोगों से मिलने में बीता है जो या तो देश के विकास, राष्ट्रवाद और हिन्दू विरोधी रहे हैं या फिर भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लिए अपशब्द का इस्तेमाल करते रहते हैं। चीन ने अरुणाचल के तवांग में शरारत करने की हिमाकत की जिनको हमारे वीर जांबाज जवानों ने लाठी -डंडों से सबक सिखाया और उनको दुम दबाकर भागने के लिए मजबूर कर दिया लेकिन दुर्भाग्यवश राहुल गांधी इन वीर सैनिकों का मनोबल बढ़ाने की बजाय केंद्र सरकार खासकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को घेरने के लिए उनका अपमान करते रहे।
लगता है कांग्रेस 1962 की लड़ाई का इतिहास भूल चुकी है। एक वो भी दौर था जब देश का कोई भी प्रधानमंत्री अरुणाचल सहित पूर्वोत्तर राज्यों की यात्रा करने से परहेज करता था और इन राज्यों का विकास नहीं के बराबर हो रहा था। जबकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भारत चीन सीमा से सटे आखिरी गांवों तक की यात्रा कर रहे हैं और सैनिकों का हौसला बढ़ाने के साथ ही विकास कार्यों को ग्रामीणों की भागीदारी को बढ़ाने में लगे हैं।
भारत जोड़ो यात्रा में राहुल गांधी हर राज्य में अलग-अलग बयान देते हैं और जितनी बयानबाजी करते हैं उतनी ही उनकी कलई खुलती जाती है। जब उनकी यात्रा ने महाराष्ट्र में प्रवेश किया था तब उन्होंने महान स्वतंत्रता सेनानी वीर सावरकर पर आपत्तिजनक टिप्पणी की थी, जिसके कारण महाराष्ट्र की राजनीति में उनकी खूब फजीहत हुई।
भारत जोड़ो यात्रा के दौरान राहुल गांधी ने मध्य प्रदेश में शिवभक्ति का नाटक करते हुए उज्जैन में महाकाल के दर्शन किए और एक बार फिर ‘जय श्रीराम’ बनाम ‘जय सियाराम’ बोलने का भ्रम फैलाने की कोशिश की। इतना ही नहीं, यात्रा के दौरान राहुल गांधी बीजेपी और आरएसएस को झूठ के आधार पर बदनाम करने के लिए तरह-तरह की कहानियां सुना रहे हैं जिससे वो खुद ही मजाक का पात्र बन रहे हैं। मध्य प्रदेश की एक जनसभा में स्थानीय भील आदिवासी क्रांतिकारी टंटया मामा पर उन्होंने झूठ बोला। उन्होंने सफेद झूठ बोला कि आरएसएस के कारण ही टंटया मामा को फांसी हुई थी, जबकि हकीकत ये है कि जब टंट्या को फांसी हुई थी उस समय आरएसएस अस्तित्व में ही नहीं था। राहुल गांधी की इस तरह की बयानबाजी से सम्पूर्ण भारतीयता का अपमान हो रहा है।
राजस्थान में अलवर की जनसभा में उन्होंने हिंदी भाषा और हिंदी भाषियों का ये कहकर अपमान किया कि बीजेपी वालों को अंग्रेजी सीखनी चाहिए। राहुल गांधी ने कहा है कि अमेरिका-इंग्लैंड वालों से बात करते समय हिंदी वालों को काफी दिक्कत होती है। वैसे हिंदी भाषा का अपमान कांग्रेस के लिए कोई नई बात नहीं है। कांग्रेस सांसद शशि थरूर, पी चिदंबरम और दक्षिण भारत के राज्यों के कांग्रेसी नेता समय-समय पर हिंदी को अपमानित करते रहते हैं। शशि थरूर ने तो एक बार कहा था कि हिंदी को संयुक्त राष्ट्र की मान्यता नहीं मिलनी चाहिए क्योंकि जब कोई दक्षिण का नेता पीएम बनेगा तो उसे समस्या होगी। पी. चिदंबरम भी हिंदी विरोध में लिखते रहते हैं। जबकि वास्तविकता ये है कि हिंदी भाषा के कारण ही देश एकजुट है। आजादी के बाद अभी तक कांग्रेस के किसी भी मंत्री ने संसद में रेल और आम बजट हिंदी में नहीं पेश किया। कांग्रेस के शासनकाल में संसद और सरकारी कार्यालयों में अंग्रेजी और उर्दू का बोलबाला हो गया था। तमिल सहित अन्य क्षेत्रीय भाषाओं के साथ निचले स्तर का बर्ताव किया जाता था। स्वर्गीय मोरारजी देसाई, अटल बिहारी वाजपेयी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रयासों से देश में हिंदी भाषा को अहमियत मिली है।
जर सोचिए कि कांग्रेस आए दिन स्वतंत्रता सेनानियों का अपमान कर रही है, देश की सीमाओं पर खड़े प्रहरियों को गाली दे रही है, हिन्दुओं की सांस्कृतिक विरासत को नुकसान पहुंचा रही है और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को अपशब्द कह रही है और राहुल गांधी कहते हैं कि वो भारत जोड़ो यात्रा के जरिए मोहब्बत बांटने निकले हैं इससे बड़ी विडंबना और क्या होगी? जो लोग भारत को तोड़ने के लिए जिम्मेदार हैं, जिनकी नीतियों ने समाज को तोड़ा, जिन्होंने कश्मीर में धारा-370 लगाई, जिसने जातिवाद, परिवारवाद, सम्प्रदायवाद, क्षेत्रवाद, आतंकवाद, नक्सलवाद को बढ़ावा दिया, वो आज भारत जोड़ो यात्रा पर निकले हैं। जिनका इतिहास भारत को तोड़ने का रहा है, जिन्होंने देश में लोकतंत्र को कमजोर करने काम किया वो भारत जोड़ो यात्रा से लोगों को भ्रमित करने की कोशिश में जुटे हैं।
(एस.एन.सिंह भारतीय जनता पार्टी के प्रवक्ता हैं )