– प्रभुनाथ शुक्ल
उत्तर प्रदेश के जनपद भदोही के औराई के नरथुवा में पूजा पंडाल में रविवार रात करीब नौ बजे आरती के समय लगी आग ने बड़े सवाल खड़े किए हैं। आखिर क्यों हम धर्म की आड़ में सुरक्षा और संरक्षा से आंखें बंद कर लेते हैं। यह पीड़ा उन परिवारों से पूछो जिन्होंने अपने मासूमों को खोया है। दिल पर हाथ रख उन परिवारों की दुखती रग को देखिए। क्यों होते हैं ऐसे हादसे। कौन है इसके लिए जिम्मेदार। क्या गुनाह बै उन तीन निर्दोष मासूमों और दो महिलाओं का, जो आग की लपटों में समा गए। ऐसी घटनाएं समूचे देश में होती रहती हैं। बावजूद हम सबक नहीं लेते। आरती के समय पूजा पंडाल में तकरीबन डेढ़ से 200 लोग जमा थे। पंडाल में मंचन का कार्यक्रम भी चल रहा था। अचानक आग भड़की और देखते ही देखते पूरे पंडाल को अपने आगोश में ले लिया। जान बचाने के लिए लोगों में भगदड़ मच गई।
कुछ लोग जान की बाजी लगाकर आग बुझाते भी दिखे। तब तक 70 से अधिक लोग झुलस गए। इनमें से अंकुश सोनी (12), जया देवी (45), नवीन उर्फ उज्जवल (10), आरती चौबे (48), हर्षवर्धन (8) की मौत हो गई। सूचना मिलते ही प्रशासन के होश उड़ गए। जिलाधिकारी गौरांग राठी और पुलिस अधीक्षक डॉ. अनिल कुमार आनन-फानन में मौके पर पहुंचे। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सूचना मिलते ही मानिटरिंग शुरू की। मंडल और जोन स्तर के आला पुलिस और प्रशासनिक अधिकारियों ने दौरा किया। लेकिन सवालों की सूई एक जगह अटक आकर अटक जाती है। आमतौर पर धार्मिक आयोजनों को लेकर प्रशासन नरमी बरतने के मूड में होता है। यही कारण है कि सुरक्षा गौण हो जाती है। जिलाधिकारी राठी की तरफ से गठित एसआईटी ने अपनी सांकेतिक जांच रिपोर्ट में कहा है कि हाइलोजन के गर्म होने से आग लगी। लेकिन सवाल उठता है कि आयोजन समिति ने क्या पूजा पंडाल स्थापना के पहले प्रशासनिक अनुमति ली थी। बिजली विभाग से क्या नो ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट लिया गया था। अगर पुलिस प्रशासन से पंडाल स्थापन की मंजूरी ली गई थी तो क्या पूजा पंडाल में विद्युत कनेक्शन की अनुमति थी। पंडाल में आग शार्ट सर्किट से लगी या फिर जेनरेटर की लाइन से। बिजली विभाग ने क्या पंडाल में पहुंचकर इसकी निगरानी की थी कि कनेक्शन वैध है?
दुर्गा पूजा पंडालों, रामलीला या मुशायरा समेत अन्य धार्मिक कार्यक्रमों में आमतौर पर देखा गया है कि पुलिस अपनी सर्वे रिपोर्ट के दौरान यह सुनिश्चित करती है कि यहां पूजा पंडाल पहले से स्थापित हो रहा है। आयोजकों की स्वीकृति के बाद पूजा पंडालों की स्थापना की अनुमति दी जाती है। कानून व्यवस्था और सुरक्षा के मद्देनजर पुलिस भी वहां मौजूद रहती है। लेकिन अग्निशमन और बिजली विभाग की भूमिका समझ से परे होती है। कभी नहीं देखा जाता कि पूजा पंडालों के पास पानी बालू या आग बुझाने के अन्य संयंत्र रखे गए हैं या नहीं।
बिजली विभाग भी अपनी जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ता दिखता है। पंडाल में लगे बिजली यंत्र कितना लोड ले रहे हैं। कनेक्शन वैध या नहीं इसका ख्याल नहीं रखा जाता है। ऐसे पूजा पंडालों की जांच कर बिजली विभाग नो ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट भी नहीं देता है। कुल मिलाकर धार्मिक आयोजन के नाम पर सुरक्षा से खिलवाड़ की खुली छूट दी जाती है। और यही उदासीनता हादसों का सबब बन जाती है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भदोही की घटना का संज्ञान लेते हुए दुर्गा पूजा सहित धार्मिक आयोजनों से जुड़ी समितियों से पूजा पंडालों के निर्माण में विद्युत एवं अग्नि सुरक्षा मानकों का पूर्णतया पालन करने की अपील की है।
(लेखक, स्वतंत्र टिप्पणीकार हैं।)