– डॉ. दिलीप अग्निहोत्री
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू की सूरीनाम यात्रा का संदेश अनेक देशों तक विस्तृत रहा। इनमें वह देश शामिल हैं, जहां बड़ी संख्या में भारतीय मूल के लोग विगत छह पीढ़ियों से निवास कर रहे हैं। उन्होंने अपनी सभ्यता संस्कृति को कायम रखा है। मॉरीशस की तरह सूरीनाम में भी प्रवासी दिवस मनाया जाता है। मॉरिशस की राजधानी पोर्ट लुइस के अस्थाई निवास को अप्रवासी घाट कहा जाता है। प्रत्येक दो नवम्बर को अप्रवासी दिवस मनाया जाता है। सूरीनाम का प्रवासी दिवस पांच जून को मनाया जाता है। द्रौपदी मुर्मू इस समारोह की मुख्य अतिथि थीं। उनको सूरीनाम के सर्वोच्च सम्मान से सम्मानित किया गया।
इस वर्ष जनवरी में सूरीनाम के राष्ट्रपति चंद्रिकाप्रसाद संतोखी भारत यात्रा आए थे। उन्होंने भारत को कैरेबियाई देशों में हिन्दी सिखाने वाले संस्थान खोलने का सुझाव दिया था। उन्होंने कैरेबियाई क्षेत्र में फिल्म, योग, आयुर्वेद, आध्यात्मिक जीवन पद्धति, सूचना प्रौद्योगिकी और कौशल विकास का प्रशिक्षण देने के लिए भारत की ओर से संस्थान स्थापित करने का आह्वान किया था। उन्होंने इसके लिए अपने देश मे जमीन उपलब्धि कराने के वादा किया था।
कुछ वर्ष पहले मोदी सरकार के प्रयास से हुगली नदी के तट पर सूरीनाम मेमोरियल बनाया गया था। इसमें बब्बा और माई की वैसी मूर्ति हैं जैसी सूरीनाम मे हैं। प्रतिमा सूरीनाम की राजधानी पारामारिबो में बाबा और माई स्मारक की प्रतिकृति हैं , जो सूरीनाम पर कदम रखने वाले पहले भारतीय पुरुष और महिला का प्रतीक है। परिमारिबो में यह प्रतिमा उस स्थान को चिह्नित करती है, जहां 5 जून, 1873 को जहाज लल्ला रूख में पहले भारतीय मजदूरों ने सूरीनाम में प्रवेश किया था। ये वह देश हैं, जिनसे भारत के रिश्ते बन्धुत्व पर आधारित हैं। भौगोलिक दूरी बहुत ज्यादा होने के बावजूद भावनात्मक लगाव बना रहता है। सूरीनाम ऐसा ही देश है। उसे भारत से गए लोगों ने सजाया-संवारा है। कई पीढ़ी पहले श्रमिक बन कर भारत से गए लोगों ने ही इस भूखण्ड को इंसानों के रहने लायक बनाया। आज यहां सभी आधुनिक संसाधन उपलब्ध हैं।
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू की सूरीनाम यात्रा को कई सन्दर्भों में देखा जा सकता है। इसमें आर्थिक, सामाजिक और सांस्कृतिक पक्ष समाहित हैं। सामाजिक आधार पर भारत और सूरीनाम का रिश्ता करीब डेढ़ शताब्दी पुराना है। प्रथम स्वतन्त्रता संग्राम से पहले अंग्रेजों ने पूर्वी उत्तर प्रदेश से श्रमिकों को सूरीनाम,फीजी, मॉरीशस भेजने शुरुआत की थी। यह क्रम करीब सत्तर वर्षों तक चलता रहा। गिरमिटिया मजदूर के रूप में उनको वहां भेजा गया था।
कई पीढ़ी बीतने के बावजूद यहां के लोग भारत से अपने जुड़ाव को भूलना नहीं चाहते। वहां के सामान्य नागरिक से लेकर राष्ट्रपति तक जब अपने पूर्वजों का गांव तलाश करते हैं, तब भारत को खुशी और गर्व की अनुभूति होती है। राष्ट्रपति की सूरीनाम यात्रा का उद्देश्य दक्षिण अमेरिकी देश के साथ भारत के द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत बनाना है। पिछले साल जुलाई में पदभार ग्रहण करने के बाद मुर्मू की यह पहली विदेश यात्रा है। वह सूरीनाम के पारामारिबो पहुंचीं। सूरीनाम के राष्ट्रपति सी संतोखी ने हवाई अड्डे पर राष्ट्रपति का स्वागत किया। राष्ट्रपति की सूरीनाम में शीर्ष नेताओं के साथ बातचीत हुई। वह प्रवासी भारतीयों के एक वर्ग से भी मिलीं।
सूरीनाम की जनसंख्या में भारतीय मूल के लोग 27 प्रतिशत से अधिक है। राष्ट्रपति मुर्मू ने सूरीनाम के बच्चों को मेड इन इंडिया चॉकलेट दी। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू सूरीनाम में भारतीयों के आगमन की एक सौ पचासवीं वर्षगांठ मनाने के लिए सूरीनाम की राजधानी पारामारिबो पहुंचीं थीं। उन्होंने अपने समकक्ष चंद्रिकाप्रसाद संतोखी के साथ प्रतिनिधिमंडल स्तर की वार्ता की। दोनों राष्ट्रपतियों ने भारत-सूरीनाम संबंधों को गहरा करने के तरीकों पर चर्चा की और रक्षा, कृषि, आईटी और क्षमता निर्माण सहित कई क्षेत्रों पर व्यापक चर्चा की। भारत और सूरीनाम ने स्वास्थ्य और कृषि सहित विभिन्न क्षेत्रों में चार समझौता ज्ञापनों का आदान-प्रदान किया।
राष्ट्रपति मुर्मू और उनके समकक्ष के बीच सामान्य द्विपक्षीय बैठकों के अलावा सूरीनाम में आम लोगों के साथ उनकी बातचीत सबसे अलग रही। राष्ट्रपति मुर्मू ने सूरीनाम में भारतीय समुदाय को संबोधित किया। राष्ट्रपति ने दोनों देशों के बीच वार्ता के निष्कर्षों पर संतोष व्यक्त किया। उन्होंने सूरीनाम की छठी पीढ़ी को विदेशों में रह रहे भारतीय वाला कार्ड दिए जाने पर भी प्रसन्नता व्यक्त की।
राष्ट्रपति ने लल्लारूख पोत पर समुद्री मार्ग के रास्ते भारतीयों के सूरीनाम पहुंचने की घटना के पुनरावलोकन का साक्षात्कार किया। उन्होंने महात्मा गांधी की प्रतिमा पर पुष्पांजलि अर्पित की। उन्होंने ने बाबा और माई प्रतिमा, लेडी श्रनन की स्मारक तथा गैलबर्न हिडन के स्मारक पर भी श्रद्धांजलि दी। लल्लारूख संग्रहालय का दौरा किया और आर्य दिवाकर मंदिर और श्री विष्णु मंदिर में पूजा अर्चना की। राष्ट्रपति मुर्मू को सूरीनाम की अंतरधार्मिक परिषद की भी जानकारी दी गई। राष्ट्रपति की इस यात्रा से भारत सूरीनाम के सम्बन्ध सुदृढ़ हुए हैं। इसका अनेक रूप में महत्व है। सूरीनाम में अनेक स्थल लघु भारत की अनुभूति देने वाले हैं। राष्ट्रपति की यात्रा में यह संस्कृतिक पहलू भी सम्मलित था।
(लेखक, स्वतंत्र टिप्पणीकार हैं।)