मास्क्वासिस । कनाडा (Canada) में पोप फ्रांसिस (Pope Francis) ने कैथोलिक चर्च के आवासीय विद्यालयों में बच्चों के साथ यौन दुराचार (sexual misconduct) सहित कई तरह के अत्याचारों के लिए सोमवार को माफी मांगी। पोप ने यहां के स्थानीय लोगों से माफी मांगते हुए कहा कि अत्याचार की यह घटनाएं एक विनाशकारी नीति का नतीजा थीं। वह रविवार को अल्बर्टा प्रांत के एडमॉन्टन (Edmonton) पहुंचे थे। यहां प्रधानमंत्री जस्टिन त्रूडो और गवर्नर जनरल मैरी मे साइमन ने उनका स्वागत किया।
पोप की ओर से जारी की गई ऐतिहासिक माफीनामे में कहा गया है कि यहां के मूल निवासियों को बलपूर्वक ईसाई समाज में समाहित कराने से उनकी संस्कृति तबाह हो गई, उन्हें परिवारों से दूर होना पड़ा। अलग-अलग परिवारों और हाशिए पर रहने वाली पीढ़ियों को आज भी महसूस किया जा रहा है। फ्रांसिस ने कहा, ‘‘मैं उन सभी अत्याचारों के लिए माफी मांगता हूं जो कई इसाइयों ने मूल निवासियों पर ढाए।’’
अल्बर्टा प्रांत के एडमॉन्टन के दक्षिण में एक पूर्व आवासीय स्कूल में बचे लोगों और स्वदेशी समुदाय के सदस्यों की तालियों की गड़गड़ाहट के साथ कनाडा में फ्रांसिस के सप्ताह भर चलने वाले “प्रायश्चित तीर्थयात्रा” का पहला कार्यक्रम शुरू हुआ। पोप 24 से 30 जुलाई की यात्रा के दौरान पीड़ितों और उनके परिवारों से माफी मांगेंगे।
कनाडा पहुंचने के बाद फ्रांसिस ने चार क्री (उत्तर अमेरिकी मूलनिवासी लोग, जो पहले कनाडा में रहते थे) देशों की भूमि पर एक समाधि स्थल पर जाकर प्रार्थना की। इसके बाद फ्रांसिस पूर्व एर्मिंस्किन इंडियन रेजिडेंशियल स्कूल की जगह पर पहुंचे, जो अब काफी हद तक टूट गया है। यहां उन्होंने कहा, “मैं स्वदेशी लोगों के खिलाफ ईसाइयों द्वारा की गई बुराई के लिए विनम्रतापूर्वक क्षमा मांगता हूं।”
उनके शब्द मिशनरियों के “निंदनीय” कृत्यों के लिए उनकी पिछली माफी से परे थे। साथ ही उन्होंने “विनाशकारी” आत्मसात नीति के साथ चर्च के संस्थागत सहयोग की जिम्मेदारी ली, जिसे कनाडा के सत्य और सुलह आयोग ने “सांस्कृतिक नरसंहार” की राशि बताया।
डेढ़ लाख से ज्यादा बच्चों को किया गया था जबरन भर्ती
1800 से 1990 के बीच पूरे कनाडा में कैथोलिक चर्च के 139 आवासीय विद्यालयों में मूलनिवासी, मेटिस और इनुइट समुदायों के डेढ़ लाख से ज्यादा बच्चों को जबरन भर्ती किया गया। उन्हें कैथोलिक रीति-रिवाजों को आत्मसात करने का प्रशिक्षण दिया गया। इन्हें उनकी मूल संस्कृति से अलग कर दिया जाता।इसका उद्देश्य उन्हें मुख्यधारा के समाज में ईसाई बनाना और आत्मसात करना था, जिसे पिछली कनाडाई सरकारें श्रेष्ठ मानती थीं। उन्हें मातृभाषा बोलने की भी अनुमति नहीं थी। इन बच्चों में से छह हजार से ज्यादा अत्याचारों के कारण मारे गए।