
प्रतिभा कुशवाहा
गिबली है कि जिबली है, यह तय करने में काफी गफलत थी। वैसे भी किसी ने कहा है कि नाम में क्या रखा है। बेशक, बात तो काम की होनी चाहिये। तो यह सोशल मीडिया में गदर काट रहा गिबली… गिबली या जिबली… जिबली का चक्कर क्या है। कहीं इसके चक्कर में हम घनचक्कर तो नहीं बने जा रहे हैं।
यूं तो सोशल मीडिया ट्रेंड की भरमार हमेशा रहती है। लेकिन बात जिबली टे्रंड की करें, तो इसकी बात बिलकुल जुदा ही है। यह जिबली क्या है, शायद अब यह बताने वाली बात नहीं रह गई है। बच्चे, युवा, बूढे़ सभी जिबली…. जिबली खेल रहे हैं। वैसे तो जिबली एक अनोखा जापानी आर्टवर्क है, जिसे जापान के एक स्टूडियो जिबली ने विकसित किया था। इस एनीमेशन स्टूडिया की स्थापना हायाओ मियाजाकी और उनके दोस्तों ने 1985 में की थी जिसने एनीमेशन फील्ड में कई मशहूर फिल्मों का निर्माण किया था। यहां निर्मित हर फिल्म के हर फ्रेम को हाथों से बनाया जाता था। इसे खासतौर पर डिटेल्ड बैकग्राउंड, वॉटरकलर रंगों, ड्रीम लाइक सीनरी और इमोशनल कैरेक्टर डिजाइन के लिए जाना जाता है।
पिछले कुछ दिनों से सोशल मीडिया में जिबली तस्वीरें नजर आ रही हैं। ये सभी तस्वीरें एनीमेटेड फाॅर्म में हैं। 24 मार्च को ओपन एआई ने जीपीटी-40 इमेज जनरेशन फीचर लांच किया था। ओपन एआई के चैट जीपीटी का प्रयोग करके अपनी असली तस्वीरों को जिबली एनीमेटेड तस्वीरों में चेंज कर शेयर करने का टे्रंड चल पड़ा है। ऐसा नहीं है कि इस ट्रेंड में युवा ही भाग ले रहे हैं, सिनेमा के सितारे, और राजनेताओं ने भी इस ट्रेंड को बढ़ाने में अपनी भूमिका अदा की। इन तस्वीरों का लुक हूबहू असली तस्वीरों से मिलता-जुलता रहता है, लेकिन एनीमेटेड फाॅर्म में होता है। इन तस्वीरों का लुक इतना आकर्षक लगता है कि लोगों की दिलचस्पी कम होने का नाम नहीं ले रही है। उनकी इसी दिलचस्पी को भांपते हुये ओपेन एआई के सीईओ सैम अल्टमस ने एक बार में तीन तस्वीरों को जीपीटी-40 इमेज जनरेशन फीचर इस्तेमाल का अश्वासन दे दिया है।
सवाल है कि इस टें्रड यानी भेड़चाल का किसे नफा और किसे नुकसान होगा। जिबली… जिबली का खेल किस पर भारी पड़ने वाला है। जिस तेजी से हम खेल और मनोरंजन के लिये अपनी फोटो ओपन एआई को सौंप रहे हैं, उनका होगा क्या। ऐसा करके हम क्या खतरा मोल ले रहे हैं, इस बात पर सोचने का वक्त सोशल मीडिया के जमाने में हमारे पास कम ही बचा है, क्योंकि यह तो सब कर रहे हैं। वास्तव में एआई का पूरा कारोबार डेटा पर टिका हुआ है। एआई उतना ही काम कर सकता है जितना उसके पास सटीक उपलब्ध डेटा उसे अलाउ करेगा। जिबली के इस खेल में हमारे ‘फेशियल’ डेटा हम खुशी से एआई को सौंप रहे हैं। सवाल है कि एआई इससे क्या करेगा। तो बात दें कि इससे कमाल की टेक्नोलॉजी विकसित की जाती है, जिसे फेशियल रिकाॅग्निशन टेक्नोलॉजी कहते हैं।
फेशियल रिकॉग्निशन एक बायोमेट्रिक तकनीक है, जो इंसान के चेहरे को स्कैन करके उसकी पहचान करने के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) और मशीन लर्निंग (एमएल) का उपयोग करती है। इसके लिये डेटा कलेक्शन का काम किया जाता है। कैमरे या इमेज सेंसर के माध्यम से व्यक्ति के चेहरे की तस्वीर या वीडियो बनायी जाती है। एआई आधारित एल्गोरिदम चेहरे की मुख्य विशेषताओं (जैसे आंख, नाक, होंठ, ठोड़ी आदि) को पहचानता है और उन्हें डिजिटल डेटा में बदल देता है। पहचाने गए फीचर्स को डेटाबेस में पहले से स्टोर की गई छवियों से मिलाया जाता है। अगर चेहरे का डेटा डेटाबेस में मौजूद डेटा से मेल खाता है, तो व्यक्ति की पहचान सत्यापित हो जाती है। यह तकनीक कई क्षेत्रों में उपयोग की जा रही है, जैसे सुरक्षा, स्मार्टफोन अनलॉकिंग, बैंकिंग, हेल्थ सेक्टर और कानून प्रवर्तन।
फेशियल रिकॉग्निशन तकनीक आज के डिजिटल युग में तेजी से विकसित हो रही है। यह सुरक्षा, स्वास्थ्य, और वित्तीय लेन-देन जैसे कई क्षेत्रों में उपयोगी साबित हो रही है। जाहिर है कि इसका मार्केट वैल्यू भी होगा और बाजार भी। आज फेशियल रिकॉग्निशन टेक्नोलॉजी का वैश्विक बाजार तेजी से बढ़ रहा है, जिससे संबंधित कंपनियों की आय में उल्लेखनीय वृद्धि हो रही है। काॅग्निटिव मार्केट रिसर्च के अनुसार 2024 में इसका वैश्विक बाजार मूल्य लगभग 6515.2 मिलियन अमेरिकी डॉलर था। 2024 से 2031 के बीच 17 फीसदी की चक्रवृद्धि वार्षिक वृद्धि दर (सीएजीआर) से इसके बढ़ने का अनुमान है।
अब इससे हमें क्या नुकसान हो सकता है। इसे जानना भी जरूरी है। इस खेल के चक्कर में जब हम अपनी फोटो खुद एआई प्लेटफार्म पर अपलोड करते हैं, तो हम अपनी परमीशन दे देते हैं, इससे एआई या संबंधित एप को निजी डाटा प्रोसेस करने में आसानी हो जाती है। साथ ही फोटो को एआई पर शेयर कर उनके इस्तेमाल पर प्राइवेसी नहीं लगा सकते। इससे एआई उन तस्वीरों का भी प्रयोग कर सकता है। खुद चैट जीपीटी से जब इस बावत पूछा गया तो उसने कहा कि अगर एआई आधारित स्टूडिया जिबली आॅर्ट जेनरेटर एक सुरक्षित और विश्वसनीय प्लेटफाॅर्म है, तो इसका उपयोग किया जा सकता है। अगर इसकी डेटा प्राइवेसी पाॅलिसी संदिग्ध है या यह अनजान बेवसाइट पर होस्ट किया गया है, तो अपनी निजी फोटो अपलोड करना सुरक्षित नहीं है। तो समझा जा सकता है कि यह जिबली…जिबली का क्या है खेला।