– मृत्युंजय दीक्षित
स्वतंत्रता के बाद देश में अभी तक जितने भी लोकसभा या विधानसभा चुनाव हुए हैं उनमें पहली बार कांग्रेस के नेतृत्व में बना गठबंधन हर दृष्टि से कमजोर नजर आ रहा है । जब से लोकसभा चुनाव के लिए कांग्रेस व इंडी गठबंधन के नेताओं ने प्रचार आरम्भ किया है तभी से राहुल गांधी व उनके प्रवक्ता तमाम मंचों पर केवल एक ही बहस कर रहे हैं कि अगर मोदी जी तीसरी बार 400 सीटों के साथ प्रधानमंत्री बन जाते हैं तो भाजपा संविधान को फाड़ कर फेंक देगी। दोबारा चुनाव नहीं। इसके अतिरिक्त यह लोग प्रधानमंत्री और केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह के डीप फेक वीडियो वायरल कर झूठ फैला रहे हैं। शाह के वीडियो प्रकरण में गिरफ्तारी भी हुई हैं।
चुनाव प्रचार में जुटे प्रधानमंत्री मोदी ने इस फर्जी वीडियो प्रकरण को अपने पक्ष में मोड़कर मुद्दा बनाने में सफलता प्राप्त कर ली है साथ ही। वो संविधान और आरक्षण के नाम पर विगत 70 साल में पिछली सरकारों ने जो किया उसे बेनकाब कर रहे हैं। विपक्ष वर्ष 2014 में प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में भाजपा सरकार आने के बाद से ही राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के खिलाफ आरक्षण विरोधी होने का अभियान चला रहा है। बिहार में 2015 के विधानसभा चुनाव में नीतीश कुमार और लालू यादव के बीच गठबंधन हुआ था तब इन दलों ने संघ के खिलाफ विष वमन किया था।
मायावती ने भी एक पुस्तक घर-घर बंटवाकर संघ को आरक्षण विरोधी करार करने की कोशिश कर चुकी हैं। अब समय बदल चुका है। यह 2024 की बदली हुई भाजपा और संघ है। दोनों दुष्प्रचार के प्रति पूरी तरह सतर्क और सशक्त हैं। इस बार कांग्रेस नेताओं का यह दांव जमीनी धरातल पर नहीं उतर पा रहा है। संघ ने साफ कर दिया है कि वह हमेशा संविधान सम्मत आरक्षण का पक्षधर रहा है। संघ का मानना है कि जब तक सामाजिक भेदभाव है या आरक्षण देने के कारण हैं तब तक आरक्षण जारी रहे।
राहुल गांधी आजकल भाजपा को संविधान विरोधी साबित करने में दिन-रात एक किए हुए हैं जबकि वास्तविकता यह है कि अगर आज आम नागरिक अपने संविधान को जान रहा है, पढ़ रहा है और उसके अनुरूप आचरण करना चाह रहा है और उसके पीछे प्रधानमंत्री मोदी के प्रयास ही हैं। अब हर वर्ष 26 नवंबर को संविधान दिवस मनाया जा रहा है। भारतीय संविधान को अब वेबसाइट पर आसानी से पढ़ा जा सकता है। नए संसद भवन के उद्घाटन और सेंगोल स्थापना के अवसर पर सदन के सदस्यों को भी संविधान की मूल प्रति दी गई ।
सच यह है कि संविधान का सत्यानाश कांग्रेस ने ही किया है। इंदिरा गांधी ने अपनी सत्ता बचाने के लिए संविधान में मूलभूत परिवर्तन करके उसमें धर्मनिरपेक्ष और समाजवादी जैसे शब्द जोड़कर उसकी आत्मा ही नष्ट कर दी। आपातकाल लगाकर अपनी विकृत तानाशाही मानसिकता का परिचय दिया। मनमर्जी से विपक्षी दलों की प्रदेश सरकारों को गिराया । कांग्रेस के कार्यकाल में संविधान एक परिवार का बंधक होकर रह गया था व एक धर्म विशेष का तुष्टीकरण कर रहा था। इसी प्रकार कांग्रेस अयोध्या में प्रभु राम की जन्मभूमि और उस पर बन रहे भव्य मंदिर के प्रति भी नकारात्मक रही है।
जन-जन के आराध्य प्रभु राम को काल्पनिक कहने वाली कांग्रेस पहले तो मुद्दे को लटकाने और भटकाने के लिए जी जान लगाती रही, इसमें असफल रहने पर अपने मुस्लिम तुष्टीकरण को मजबूती प्रदान करने के लिए प्राण प्रतिष्ठा समारोह का बहिष्कार कर बैठी। उसके बाद राहुल गांधी व विपक्ष के नेता जनसभाओं में बयान देने लगे कि राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा समारोह में दलित आदिवासी होने के कारण राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को नहीं बुलाया गया। पिछले दिनों राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने अयोध्या में रामलला के दर्शन करके राहुल गांधी के इस झूठ का करारा उत्तर दिया। राम मंदिर के गर्भगृह में राष्ट्रपति की उपस्थिति ने कांग्रेस नेता के आरोप को बुरी तरह से धो डाला। श्रीराम जन्मभूमि तीर्थक्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय ने राहुल के बयान को मिथ्या बताया।
राहुल गांधी अपनी जनसभाओं में यह आरोप भी लगा रहे हैं कि वहां कोई गरीब, महिला, किसान और युवा दर्शन के लिए नहीं गया। सच यह है कि अब तक दो करोड़ से अधिक लोग राम मंदिर के दर्शन कर चुके हैं। इसके अलावा हताश कांग्रेस और विपक्ष बार-बार अपनी पराजय का बहाना खोजने के लिए ईवीएम पर ही संदेह पैदा कर रहे हैं। सुप्रीम कोर्ट तक गए। वहां से मिले जवाब से बोलती बंद हो गई है। जब कुछ नहीं मिला तो कोरोना वैक्सीन कोविशील्ड को लेकर विपक्ष ने प्रधानमंत्री की छवि को खराब करने का अभियान प्रारम्भ कर दिया है। एक टूल किट की तरह इन आभासी मुद्दों को बार-बार सोशल मीडिया के विभिन्न प्लेटफार्मों पर उठाया जा रहा है । अपने झूठे और फरेबी टूल किट की वजह से वह गहरे दलदल में फंसता जा रहा है।
(लेखक, स्वतंत्र टिप्पणीकार हैं।)