– डॉ. मयंक चतुर्वेदी
भारत और अमेरिका के आपसी संबंध समय-समय पर कभी बहुत मधुर और कभी अत्यधिक गर्म होने के साथ ही विरोधाभासी दिखाई देते रहे हैं। किंतु इसके बावजूद एक स्थिति है जो कभी नहीं बदली, वह है आतंक के मुद्दे पर दोनों देशों का समान दृष्टिकोण। दोनों देश, भारत-अमेरिका ने आतंक से अब तक कोई समझौता नहीं किया है। आतंक किसी भी तरह का हो उसका समाप्त होना आवश्यक है, यही इन दोनों देशों की नीति रही है। इसलिए तमाम विरोधाभासों के बीच भी यह दोनों देश आतंक के मुद्दे पर बार-बार मिलते हैं और इसके संपूर्ण समापन के लिए मिलजुल कर प्रभावी योजनाएं बनाकर रणनीतिक तौर पर परिणामकारी कार्य करते रहे हैं ।
वस्तुत: हाल ही में हुई इस विषय से संबंधित दोनों देशों की बैठक, होमलैंड सिक्योरिटी डायलॉग (एचएसडी) ने फिर एक बार साफ कर दिया है कि आतंकवाद, ऑनलाइन कट्टरपंथी कंटेंट, साइबर क्राइम, संगठित अपराध और ड्रग्स ट्रैफिकिंग समेत सुरक्षा से संबंधित विभिन्न विषयों को लेकर भारत और अमेरिका एक तरह से ही सोचते हैं। दोनों ही देशों ने फिर एक बार आतंकवादियों की अंतरराष्ट्रीय स्तर पर यात्रा करने की क्षमता को बाधित करने की दिशा में उपायों पर चर्चा की है । इनका दुनिया के सभी देशों से कहना है कि वे तत्काल ऐसे अपरिवर्तनीय कदम उठाएं जिससे यह सुनिश्चित हो कि उनके नियंत्रण वाले किसी भी क्षेत्र का उपयोग आतंकवादी हमलों के लिए नहीं किया जाएगा । मीटिंग में दोनों देशों के बीच आंतरिक सुरक्षा संवाद, सहयोग के साथ ही खुफिया जानकारी साझा करने पर भी बात हुई है।
आज जब देश की राजधानी दिल्ली में भारत की तरफ से केंद्रीय गृह सचिव अजय भल्ला और अमेरिका से होमलैंड सिक्योरिटी डिपार्टमेंट की कार्यवाहक उप-सचिव क्रिस्टी केनेगेलो और इनके प्रतिनिधिमंडल आपस में मिले हैं, तब फिर से आतंकवाद से जुड़े कई विषयों पर समान रूप से सहमति बनती दिखाई दी है। दोनों पक्षों ने आतंकवादी वित्तपोषण का मुकाबला करने, नार्को-तस्करी और आतंकवाद से इसके जुड़ाव, संगठित अपराध और टेरर फंडिंग, कट्टरता को रोकने और उसका मुकाबला करने, आतंकवादी उद्देश्यों के लिए इंटरनेट का उपयोग, मानव रहित एरियल सिस्टम, वर्चुअल एसेट्स और डार्क वेब और उभरती प्रौद्योगिकियों का आतंकवादी उद्देश्यों के लिए उपयोग समेत आतंकवाद रोधी चुनौतियों पर जोर देने पर गहरा विचार-विमर्श हुआ है।
यहां अमेरिका से भारत ने संगठित अपराध और टेरर फंडिंग के मुद्दे पर अपनी चिंताएं व्यक्त की हैं । मीटिंग में भारत की तरफ से अमेरिका की धरती का उपयोग भारत के खिलाफ न हो और खालिस्तानी समर्थकों की गतिविधियों पर अमेरिका पूरी निगरानी रखने के साथ उनकी रोकथाम करने का उपाय भी करे, इसके लिए भी कहा गया है । भारत से साक्ष्यों के साथ अमेरिका का आज यह बताया है कि कैसे यूएस में बैठे कुछ खालिस्तानी समर्थक भारत में अलगाववाद तत्वों को वित्तीय और अन्य तरह से मदद मुहैया करा रहे हैं। जिसे तत्काल रोके जाने पर भारत का जोर है । इसमें कुल मिलाकर भारतीय पक्ष ने खालिस्तानी आतंकवाद के मुद्दे पर अपना रुख पूरी तरह से अमेरिका के समक्ष स्पष्ट कर दिया है।
बातचीत के दौरान, दोनों पक्षों ने आतंकवाद-रोधी और सुरक्षा क्षेत्रों में चल रहे सहयोग की समीक्षा की है। साथ ही आज द्विपक्षीय सुरक्षा सहयोग को और गहरा करने के लिए, दोनों पक्षों ने अमेरिकी संघीय कानून प्रवर्तन प्रशिक्षण केंद्र और भारत के सरदार वल्लभभाई पटेल राष्ट्रीय पुलिस अकादमी के बीच कानून प्रवर्तन प्रशिक्षण पर सहयोग के एक ज्ञापन पर हस्ताक्षर भी किए गए हैं । इसके साथ ही आगे के लिए यह तय हो गया है कि भारत और अमेकिरा दोनों देशों के वरिष्ठ अधिकारी होमलैंड सुरक्षा वार्ता के अगले दौर के लिए आगे वाशिंगटन डीसी में मिलेंगे और इस बात की समीक्षा करेंगे कि हमने संयुक्त रूप से मिलकर जो लक्ष्य आतंकवाद के खिलाफ तय किया था, उसमें कितनी सफलता पाई है।
इससे पहले पिछले जब पिछले साल दिसंबर में अमेरिकी सिक्योरिटी एजेंसी एफबीआई के डायरेक्टर क्रिस्टोफर रे का भारत आना हुआ था, तब भी इसी प्रकार से भारत-अमेरिका ने आतंक के विषय पर एक समान नीति को आगे बढ़ाने पर जोर दिया था । साथ ही इससे पहले विदेश मंत्रालय के अनुसार, दोनों पक्षों ने संयुक्त राष्ट्र द्वारा घोषित आतंकवादी संगठनों से उत्पन्न खतरों पर विचारों का आदान-प्रदान किया और अल-कायदा, आईएसआईएस-दाएश, लश्कर-ए-तैयबा, जैश-ए-मोहम्मद और अल बदर जैसे आतंकवादी संगठनों के खिलाफ ठोस कार्रवाई की जरूरत पर बल दिया गया था ।
आज यह ठोस और परिणामकारी भारतीय विदेश नीति का ही असर है जो अमेरिका ने अपनी अधिकारिक सरकारी वेबसाइट स्टेट डॉट जीओवी के माध्यम से आतंकवाद के विषय में भारत-अमेरिका द्वारा लिए गए निर्णयों को बहुत विस्तार से सार्वजनिक रूप से स्पष्ट किया है । जिसमें उसने साफ कहा है कि भारत आतंकवाद के खतरे से अत्यधिक प्रभावित रहा है। भारत ना सिर्फ आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में बल्कि भू-रणनीतिक एवं अन्य सुरक्षा संबंधी विषयों में भी सदैव अमेरिका का अहम साझेदार रहा है और रहेगा। हम भारत द्वारा उसके लोकतांत्रिक मूल्यों और नियमों के संदर्भ में आतंकवाद से निपटने के तौर-तरीकों का सम्मान करते हैं।
इसके साथ ही यहां पर एक आतंकवाद से निपटने के लिए अमेरिका-भारत का संयुक्त घोषणा पत्र (U.S.-India Joint Declaration on Combatting Terrorism) भी पढ़ने को मिलता है। जिसमें साफ कहा गया है कि आतंकवाद, जो वैश्विक शांति और सुरक्षा के लिए गहरा खतरा है, का मुकाबला करने और लोकतंत्र, न्याय और कानून के शासन के हमारे सामान्य मूल्यों को बनाए रखने के लिए भारत और संयुक्त राज्य अमेरिका की प्रतिबद्धता एक दूसरे के साथ परस्पर स्पष्ट है । अल-कायदा और उसके सहयोगियों, लश्कर-ए-तैयब्बा, जैश-ए-मोहम्मद, डी कंपनी और हक्कानी नेटवर्क और अन्य क्षेत्रीय समूहों जैसी संस्थाओं द्वारा उत्पन्न खतरे से निपटने के लिए आज दोनों ही देश मिलकर कार्य करने के लिए संकल्पित हैं। साथ ही यहां पर भारत में हुए सभी आतंकवादी हमलों एवं आर्थिक रूप से किए गए हमलों की भी निंदा की गई है और भविष्य में इस प्रकार की हमलों को कैसे रोका जा सकता है इसके लिए प्रभावी कदम उठाए जाने पर बल दिया गया है।
कहना होगा कि इस वक्त जो भारतीय विदेश नीति कार्य कर रही है, उसका ही आज यह परिणाम है कि दुनिया के तमाम देशों के साथ भारत के मधुर संबंध बने हैं और बन रहे हैं सामाजिक, सांस्कृतिक या आर्थिक ट्रेड हो, सभी में भारतीय प्रभावी भूमिका में नजर आ रहे हैं । आतंकवाद को रोकने के संदर्भ में भी यही बात यहां लागू हो रही है। जिस तरह से आज भारत और अमेरिका आतंकवाद से मुकाबला करने के लिए मिलकर काम कर रहे हैं, वह न सिर्फ भारत या अमेरिका के हित में है, बल्कि पूरी मानव जाति के हित में है।
आज विदेश मंत्रालय बता भी रहा है कि अमेरिका ने आतंकवाद का मुकाबला करने के वैश्विक प्रयासों में भारत के नेतृत्व की सराहना की है । वह संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) आतंकवाद रोधी समिति की एक विशेष बैठक की भारत द्वारा मेजबानी किए जाने की सराहना कर रहा है । इसके साथ ही अन्य क्षेत्रों में आगे बढ़ते भारत की अमेरिका द्वारा की जा रही प्रशंसा आज यह बताने के लिए पर्याप्त है कि केंद्र की नरेंद्र मोदी की सरकार सभी नीतिगत निर्णयों के मामले में बहुत अच्छा कार्य कर रही है। आज इतना अच्छा कार्य हो रहा है कि दुनिया भर में भारत का सम्मान बढ़ता हुआ हर भारतीय को साफ दिखाई देता है।