नई दिल्ली। जस्टिस उदय उमेश ललित (Uday Umesh Lalit ) 27 अगस्त को देश के 49वें मुख्य न्यायाधीश (chief justice) के रूप में शपथ लेंगे. वो दो महीने दो हफ्ते यानी कुल 75 दिन तक सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) की अगुआई करेंगे. इसके बाद देश के 50वें मुख्य न्यायाधीश के रूप में जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ (DY Chandrachud) पद संभालेंगे. जस्टिस चंद्रचूड़ ठीक दो साल यानी 10 नवंबर 2025 तक इस पद पर रहेंगे. महाराष्ट्र (Maharashtra) के ललित परिवार का कानून में 102 साल की विरासत है. जस्टिस यूयू ललित के दादा रंगनाथ ललित भारत की आजादी से बहुत पहले सोलापुर में एक वकील थे. शनिवार को जब जस्टिस यूयू ललित सीजेआई के रूप में शपथ लेंगे, तो उस समय तीन पीढ़ियां मौजूद रहेंगी.
जस्टिस यूयू ललित (CJI UU Lalit) ने न्यायपालिका (Judiciary) के प्रमुख के रूप में अपने 74 दिनों के कार्यकाल के दौरान तीन क्षेत्रों पर काम करने का इरादा जताया. उन्होंने कहा कि वे यह सुनिश्चित करने के लिए कड़ी मेहनत करेंगे कि सुप्रीम कोर्ट में कम से कम एक संविधान पीठ साल भर काम करे. शनिवार को 49वें CJI बनने वाले जस्टिस ललित ने कहा कि अन्य दो क्षेत्र हैं – शीर्ष अदालत में सुनवाई के लिए मामलों को सूचीबद्ध करना और जरूरी मामलों को मेंशन करना.
जस्टिस ललित ने कहा कि जिन क्षेत्रों में वह काम करना चाहते हैं उनमें से एक संविधान पीठों के समक्ष मामलों की सूची और विशेष रूप से तीन जजों की पीठ को भेजे गए मामलों के बारे में है. मामलों की लिस्टिंग करने के मुद्दे पर उन्होंने कहा, … अत्यावश्यक मामलों को मेंशन करने के संबंध में वह निश्चित रूप से गौर करेंगे.
क्रिमिनल लॉ के हैं स्पेशलिस्ट
जस्टिस उदय उमेश ललित (Justice UU Lalit) क्रिमिनल लॉ के स्पेशलिस्ट हैं. उन्हें 13 अगस्त 2014 को सीधे बार से सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश के रूप में पदोन्नत किया गया था. इसके बाद उन्हें मई 2021 में राष्ट्रीय कानूनी सेवा प्राधिकरण (NALSA) के कार्यकारी अध्यक्ष के रूप में नियुक्त किया गया. वे सुप्रीम कोर्ट के आदेश के तहत सभी 2G मामलों में CBI के पब्लिक प्रोसिक्यूटर के रूप में ट्रायल्स में हिस्सा ले चुके हैं. वे दो कार्यकालों के लिए सुप्रीम कोर्ट की लीगल सर्विस कमेटी के सदस्य के रूप में भी अपनी सेवाएं दे चुके हैं.
अयोध्या केस से खुद को किया था अलग
10 जनवरी 2019 को जस्टिस यू यू ललित (UU Lalit) ने खुद को अयोध्या मामले की सुनवाई कर रही 5 जजों की बेंच से खुद को अलग कर लिया था. उन्होंने तर्क दिया था कि करीब 20 साल पहले वह अयोध्या विवाद से जुड़े एक आपराधिक मामले में यूपी के पूर्व सीएम कल्याण सिंह के वकील रह चुके थे.
तीन तलाक से लेकर पॉक्सो तक दे चुके हैं जजमेंट
जस्टिस ललित ने सुप्रीम कोर्ट के जज के रूप में कई महत्वपूर्ण निणय दिये हैं. जिनमें सबसे महत्वपूर्ण तीन तलाक, केरल में पद्मनाभस्वामी मंदिर पर त्रावणकोर शाही परिवार का दावा और पॉक्सो से जुड़े कानून पर उन्होंने महत्वपूर्ण फैसले दिए हैं.