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वैज्ञानिकों ने बनाया दिमाग के इशारे से चलने वाला बायोनिक हाथ, छह महीने हुआ तैयार

सिडनी । नई तकनीक (new technology) की दिशा में वैज्ञानिकों (scientists) ने एक खास बायोनिक हाथ (bionic hand) बनाया है, जिसे मनचाही कमांड दी जा सकती है। यह दिमाग के इशारे (brain signals) पर काम करता है। इसे बार-बार निकालने या पहनने की जरूरत नहीं पड़ती। अपनी जरूरत के हिसाब से इसे नया काम भी सिखाया जा सकता है।

वैज्ञानिकों ने बायोनिक हाथ को ऑस्ट्रेलिया की 37 वर्षीय पैरालम्पियन जेसिका स्मिथ को सफलतापूर्वक लगाया है। ऑस्ट्रेलियन तैराक जेसिका बिना बाएं हाथ के पैदा हुई थी। इसके बाद उनके माता-पिता ने उन्हें आर्टिफिशियल हाथ लगवाया। लेकिन वह उनके लिए हमेशा परेशानी बना रहा।

साल 2004 की एथेंस पैरालम्पियन को प्रोस्थेटिक हाथ लगवाए गए। लेकिन इस हाथ पर मानसिक नियंत्रण नहीं होने की वजह से इससे हादसे हो जाते थे। इस हाथ के कारण एक बार उनके शरीर पर गर्म दूध भी गिर गया था। जिससे वह 15 फीसदी तक जल चुकी थीं।

उत्तरी ब्रिटेन में मौजूद ब्रिटिश कंपनी कोववी ने प्रोस्थेटिक हाथ को चुनौती के रूप में लेते हुए महज छह महीने में एक बायोनिक हाथ बना दिया। कंपनी ने जेसिका को अप्रैल, 2022 में इसे लगाया। इसकी मदद से अब वह पानी का गिलास उठाने से लेकर मेकअप करने तक के तमाम काम आसानी से कर सकती हैं।

ऐसे करता है काम
बायोनिक हाथ कंधे के पास से मांसपेशियों में पैदा होने वाली इलेक्ट्रिकल तरंगों के आधार पर संचालित होता है। इससे हाथ वो काम करता है, जो आप मन में सोच रहे होते हैं। जैसे, गिलास पकड़ना, दरवाजे खोलना या अंडों को संभालकर पकड़ना। कंपनी ने इन हाथों में ब्लूटूथ डिवाइस जोड़ा ताकि, दूर से इसे अपडेट किया जा सके। कोववी के संस्थापक साइमन पोलार्ड ने कहा कि हम चाहते थे कि हमारी कंपनी का हर बायोनिक हाथ अपने शरीर यानी कस्टमर के मन मुताबिक काम करे। इसे कहीं भी बैठे अपडेट किया जा सकता है।

बायोनिक हाथ ने बदला जीने का तरीका
जेसिका स्मिथ कहती हैं कि इस हाथ से न सिर्फ मेरा जीवन बदला है, बल्कि मेरे तीन बच्चों का भी। मेरे बच्चे समझते हैं कि मैं आधा रोबोट और आधा इंसान हूं। बायोनिक हाथ से मेरा आत्मसम्मान बढ़ा है। यह दिखने में भी खूबसूरत और आधुनिक लगता है। अब मैं अपने हाथ छिपाती नहीं हूं। उसे आराम से खुले में लेकर चलती हूं।