काठमांडू (Kathmandu)। एक राजनीतिक दल (Political party), पति संस्थापक (husband founder), पत्नी अध्यक्ष तथा संसदीय दल की नेता। पति सत्ता गठबन्धन के खिलाफ (wife president ), पत्नी समर्थन में। पति कुछ और आदेश जारी करते हैं और पत्नी कुछ और निर्देश देती हैं। इसका नतीजा यह हुआ कि दोनों के समर्थक आपस में मारपीट कर बैठे।
यह घटना आज काठमांडू में हुई, जब नागरिक उन्मुक्ति पार्टी की केन्द्रीय समिति की बैठक में नेता आपस में ही मारपीट करने लगे। पार्टी के संस्थापक रेशम चौधरी और उनकी पत्नी रंजीता श्रेष्ठ के बीच प्रचण्ड सरकार के समर्थन और विरोध को लेकर पिछले एक महीने से अनबन चल रही है। कुछ दिन पहले तक पार्टी के अध्यक्ष रहे रेशम चौधरी को चुनाव आयोग ने अध्यक्ष पद के लिए अयोग्य घोषित कर दिया था, जिसके बाद पत्नी रंजीता को अध्यक्ष का पद सौंप दिया गया। अब रंजीता सांसद भी हैं और पार्टी के चार सांसदों की संसदीय दल की नेता भी है। प्रचण्ड सरकार को विश्वास मत देने के समय से ही दोनों पति पत्नी के बीच पार्टी के फैसले को लेकर मतभेद सार्वजनिक हो गया था।
पार्टी के संस्थापक रेशम चौधरी ने प्रचण्ड सरकार द्वारा बनाए गए वाम गठबन्धन में नहीं जाने की बात कही लेकिन इसके ठीक विपरीत रंजीता ने अपना अधिकार प्रयोग करते हुए प्रचण्ड सरकार के पक्ष में रहने का फैसला किया और विश्वास मत के दौरान प्रचण्ड के पक्ष में वोट भी दिया। इसके विरोध में रेशम ने रंजीता के नाम एक खुला पत्र लिखते हुए इस फैसले को वापस लेने को कहा था। हालांकि यह मामला नहीं सुलझा। पुराने गठबन्धन के टूटने के बाद उसका असर प्रांतीय सरकारों पर भी पड़ना स्वाभाविक था। नागरिक उन्मुक्ति पार्टी के विधायक दो प्रांतीय सरकारों में जिस पक्ष में रहेंगे, उनकी ही सरकार बनने की स्थिति है।
प्रांतीय सरकार के समर्थन के मुद्दे पर रेशम चौधरी ने कांग्रेस गठबन्धन की सरकार के पक्ष में रहने का फैसला किया लेकिन पत्नी रंजीता चौधरी ने यहां भी कांग्रेस गठबन्धन से अलग होकर वामपंथी गठबन्धन को समर्थन करने का निर्देश दिया था। पत्नी पत्नी के बीच की राजनीतिक अनबन इतनी अधिक बढ़ गई है कि दोनों ने सार्वजनिक रूप से एक दूसरे से तलाक तक लेने की बात कह दी थी। बीच में कुछ दिनों तक स्थिति सामान्य होने के बाद एक बार फिर यह पारिवारिक तनाव अब उनके समर्थकों के बीच देखने को मिल रहा है।
सोमवार को नागरिक उन्मुक्ति पार्टी की केन्द्रीय समिति की बैठक में इसी बात को लेकर रेशम और रंजीता के समर्थकों में मारपीट होने की सूचना है। इस विषय में रेशम चौधरी का कहना है कि रंजीता सत्ता के नशे में इतनी अंधी हो गई है कि उसे सही गलत का कोई फर्क नजर नहीं आ रहा है। रेशम का कहना था कि हमारी पार्टी थारूओं के बीच संघर्ष करके बनी है लेकिन अब सत्ता के लिए समझौता कर रही है। इसके ठीक विपरीत रंजीता का कहना है कि पहले भी हम सत्ता में थे। हम कम सांसदों वाली पार्टी हैं, इसलिए एक गठबन्धन के विरोध में रहने का क्या मतलब हो सकता है। रंजीता का कहना है कि वो पार्टी की अध्यक्ष हैं और संसदीय दल की नेता भी हैं, इसलिए अपने अधिकार का प्रयोग कर वो फैसला लेने के लिए स्वतंत्र है।