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मप्रः पांच जून से शुरू होगा नमामि गंगे अभियान, मुख्यमंत्री ने दिए आमजन को अभियान से जोड़ने से निर्देश

भोपाल (Bhopal)। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव (Chief Minister Dr. Mohan Yadav) ने मंगलवार को मंत्रालय में एक बैठक में प्रदेश में पांच जून से प्रारंभ हो रहे नमामि गंगे अभियान (Namami Gange Campaign) की तैयारियों के संबंध में अब तक की गई तैयारियों की समीक्षा की। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि नमामि गंगे अभियान (Namami Gange Campaign) से आमजन को जोड़ा जाए। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने प्रदेश में जल स्रोतों के जीर्णोद्धार और जल संरक्षण के संबंध में वरिष्ठ अधिकारियों से चर्चा कर निर्देश दिए।

मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने पर्यावरण दिवस पांच जून (Environment Day 5th June.) से प्रारंभ हो रहे जल संरक्षण अभियान, जल सम्मेलन आयोजन, जल संरचनाओं के अतिक्रमण हटाने के अभियान और जल स्रोतों को उपयोगी बनाने के कार्यों के संबंध में विस्तार पूर्वक चर्चा की। बैठक में मुख्य सचिव वीरा राणा और संबंधित विभागों के अपर मुख्य सचिव, प्रमुख सचिव आदि उपस्थित थे।

मुख्यमंत्री डॉ यादव ने निर्देश दिए कि शहरों के साथ ही ग्रामीण क्षेत्रों में भी सार्वजनिक प्याऊ संचालित हों। पेयजल के कारण कहीं भी समस्या नहीं होना चाहिए। तेज गर्मी से नागरिकों को बचाने के लिए शहर और गांव में आवश्यक शेड और छांव की व्यवस्था की जाए। जहां आवश्यक हो ग्रीन नेट और वाटर स्प्रे के माध्यम से तेज गर्मी से लोगों को राहत दिलवाई जाए। स्थानीय निकाय सक्रिय भूमिका निभाएं।

बैठक में बताया गया कि जीआईएस सर्वे के आधार पर प्रदेश के नगरीय निकायों में आवश्यक सर्वे का कार्य किया गया है। प्रदेश में झील तथा तालाब संरक्षण की 48 परियोजनाएं स्वीकृत हैं। इंदौर में तलावली चांदा तालाब, खुरई में झील संरक्षण, अशोक नगर में जलाशय के संरक्षण कार्यों की व्यापक सराहना हुई है। प्रदेश में अन्य स्थानों पर भी नगरीय निकायों द्वारा जलाशयों के संरक्षण और उन्नयन के कार्य लगातार हो रहे हैं। नमामि गंगे अभियान के संबंध में सभी जिलों में आवश्यक निर्देश भेजे गए हैं। जनजागरूकता अभियान के माध्यम से भी गतिविधियों का सक्रिय रूप से संचालन किया जाएगा।

मुख्यमंत्री डॉ. यादव के निर्देश
– जल स्रोतों के स्वच्छता का अभियान संचालित कर जहां आवश्यकता है गहरीकरण के कार्य किए जाएं।
– लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग अमृत योजना के क्रियान्वयन की नियमित समीक्षा करें।
– प्रदेश के अनेक स्थानों पर पारम्परिक जल स्रोतों को और जल संरचनाओं के अतिक्रमण हटाए जाएं।
– कुएं और बावड़ियों को स्वच्छ बनाने के कार्य हों।
– उज्जैन में शनिघाट, भोपाल के छोटे तालाब, इंदौर में लालबाग आदि के निकट जल स्रोतों की स्वच्छता पर ध्यान दिया जाए।
– गौवर्धन सागर उज्जैन की स्वच्छता और सौंद्रर्यीकरण भी सुनिश्चित किया जाए।
– नदियों के विकास की योजनाओं के जानकारी आम जनता को भी दी जाए।
– ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में पर्याप्त पेयजल प्रबंध सुनिश्चित करें,जहां अधिक कठिनाई है वहां टैंकर आदि से जलापूर्ति की जाए। आवश्यक समन्वय कर समाधान निकाला जाए। सार्वजनिक प्याऊ जन सहयोग से प्रारंभ करें।
– भूमिगत जल के उपयोग के लिए भी अभियान संचालित किया जाए।