भोपाल (Bhopal)। गांधी मेडिकल कालेज (जीएमसी) (Gandhi Medical College -GMC) के हमीदिया अस्पताल (Hamidia Hospital) में छह दिन तक हजारों मरीज और उनके परिजन इलाज के लिए भटकते रहे। अंतत: जब जूनियर डॉक्टर एसोसिएशन (Junior Doctors Association) (जूडॉ) के पदाधिकारियों ने प्रदेश भर के सीनियर रेसीडेंट के साथ मिलकर दबाव बनाया तो चिकित्सा शिक्षा मंत्री विश्वास सारंग (Medical Education Minister Vishwas Sarang) और विभाग के अधिकारियों को हस्तक्षेप करना पड़ा और शनिवार शाम होते-होते गतिरोध खत्म हो गया। जूनियर डॉक्टरों ने हड़ताल खत्म कर दी और काम पर लौट गए। कुछ देर बाद आदेश सामने आया कि डॉ. अरुणा कुमार को जीएमसी से हटाया जाता है और चिकित्सा शिक्षा विभाग में भेजा जाता है।
दरअसल, भोपाल के गांधी मेडिकल कालेज में पिछले पांच दिनों से जूनियर डॉक्टरों की हड़ताल चल रही थी। गांधी मेडिकल कॉलेज की जूनियर डॉक्टर बाला सरस्वती द्वारा आत्महत्या करने के मामले में जूनियर डॉक्टर स्त्री एवं प्रसूति रोग विभाग की प्रोफेसर डॉ. अरुणा कुमार को हटाने की मांग कर रहे थे। चिकित्सा शिक्षा मंत्री विश्वास सारंग ने शनिवार को जूनियर डॉक्टर्स से चर्चा की। उन्होंने हड़ताली जूनियर डॉक्टरों को उचित कार्रवाई का भरोसा दिया, जिसके बाद जूनियर डॉक्टरों ने हड़ताल खत्म करने की घोषणा की। जूनियर डॉक्टर्स के काम पर लौटते ही गांधी मेडिकल कॉलेज की गायनिकोलॉजी डिपार्टमेंट की प्रोफेसर डॉ. अरुणा कुमार हटा दिया गया। शासन ने उन्हें डीएमई अटैच किया। देर शाम इसका आदेश भी जारी हो गया है।
जूडा अध्यक्ष संकेत सीते ने बताया कि चिकित्सा शिक्षा मंत्री विश्वास सारंग से मिले, उन्होंने आश्वासन दिया है कि वह उनकी मांगों को सकारात्मक तरीके से पूरा करेंगे। इसलिए यह हड़ताल खत्म की जा रही है। चिकित्सा शिक्षा विभाग ने प्रदेश के मेडिकल कॉलेज में विभागों के हेड को लेकर निर्देश जारी किए हैं। जिसके तहत सीनियर प्रोफेसर को विभाग का अध्यक्ष बनाया जाएगा, जिसका कार्यकाल अधिकतम दो साल का होगा।
जूडा सोमवार से हड़ताल पर थे। यह हड़ताल जीएमसी में पीजी तृतीय वर्ष की डा. बाला सरस्वती द्वारा सुसाइड करने के बाद शुरू हुई थी। असल में मृतिका डाक्टर के पति व परिजनों के आरोप थे कि डा. अरुणा कुमार और अन्य ने उन्हें परेशान किया था। बाद में दूसरे डाक्टरों ने भी कुछ इसी तरह के आरोप लगाए थे। हड़ताल के छठवें दिन शनिवार को मृतिका डा. बाला सरस्वती के माता- पिता और बहन भी जीएमसी पहुंचे और उन्होंने गंभीर आपत्ति दर्ज कराई। यह भी आरोप लगाए कि स्त्री रोग विभाग की एचओडी के साथ बाला की थीसिस करवा रही सीनियर डाक्टरों ने भी सरस्वती को परेशान किया था।
पीड़ित बहन लक्ष्मी का कहना है कि बाला सरस्वती ने आत्महत्या नहीं की है, उसकी हत्या की गई है। बाला सरस्वती को विभाग की डा. पल्लवी और अन्य डाक्टर बहुत परेशान कर रही थीं। उस पर बेहद मानसिक दबाव बनाया गया। ये एक साजिश के तहत किया गया। लक्ष्मी ने बताया कि उनकी बहन बाला सरस्वती पिछले तीन महीने से लगातार उनसे फोन पर संपर्क में थी और बार-बार एचओडी अरुणा कुमार और थीसिस करवाने वाली पल्लवी और अन्य एक सीनियर डाक्टरों पर प्रताड़ना की बात बताती थी। स्वजनों का आरोप है कि अभी तक उनकी शिकायत दर्ज नहीं हुई है और न ही एफआईआर की गई है। घटना के छह दिन बीत चुके हैं, बावजूद इसके पुलिस इस मामले में एफआईआर दर्ज नहीं कर पाई है।
डा. बाला सरस्वती की मां सुजाता राव ने बताया कि, हम सिर्फ न्याय चाहते हैं। डा. अरुणा कुमार को यहां से हटाया जाए, ताकि किसी दूसरी बच्ची के साथ ऐसा न हो। नंदिनी, पल्लवी, अपूर्वा, रेखा ने भी बेटी को टार्चर किया। शाहजहांनाबाद पुलिस स्टेशन में लिखित शिकायत भी की।