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मप्रः हाईकोर्ट ने खंडवा विधायक कंचन तनवे पर लगाया 50 हजार रुपये का जुर्माना

– जाति प्रमाण पत्र में गलत जानकारी देने का मामला

भोपाल (Bhopal)। मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय (Madhya Pradesh High Court) की जबलपुर स्थित मुख्य खंडपीठ ने भारतीय जनता पार्टी (Bharatiya Janata Party) की खंडवा विधायक कंचन तनवे (Khandwa MLA Kanchan Tanve) पर 50 हजार रुपये का जुर्माना (fine of 50 thousand rupees) लगाया है। जुर्माना राशि एक सप्ताह के भीतर हाई कोर्ट रजिस्ट्री में जमा करने के निर्देश दिए गए हैं। यह फैसला भाजपा विधायक कंचन तनवे के जाति प्रमाण पत्र में गलत जानकारी देने को लेकर कांग्रेस प्रत्याशी कुंदन मालवीय द्वारा लगाई याचिका पर मंगलवार को सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति जीएस अहलूवालिया की एकलपीठ में सुनाया है।

पिछले साल नवंबर-दिसंबर में हुए मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव में भाजपा के टिकट पर कंचन मुकेश तनवे चुनाव लड़ा था। विधानसभा चुनाव के समय भाजपा प्रत्याशी कंचन ने रिटर्निंग ऑफिसर को जाति प्रमाण पत्र भी पेश किया था। इसमें पिता की जगह पति मुकेश तनवे का नाम लिख दिया, जो मान्य नहीं होता।

इस पर कांग्रेस प्रत्याशी रहे कुंदन मालवीय ने चुनाव आयोग को शिकायत भी की थी। इसे लेकर जनवरी 2024 में जबलपुर हाईकोर्ट में याचिका भी दायर कर दी। इसमें चुनाव को शून्य करने की मांग की। कुंदल मालवीय ने भाजपा विधायक तनवे के जाति प्रमाण पत्र में गलत जानकारी को आधार बनाकर निर्वाचन निरस्त कर नए सिरे से चुनाव कराए जाने पर बल था। मंगलवार को सुनवाई के दौरान विधायक तनवे को हाजिर होना था, लेकिन वे हाजिर नहीं हुईं। लिहाजा, हाई कोर्ट ने सख्ती बरतते हुए जुर्माना लगा दिया।

इन दो आधारों पर लगाया गया जुर्माना
हाई कोर्ट ने अपने आदेश में साफ किया कि भाजपा विधायक तनवे पर दो आधारों पर जुर्माना अधिरोपित किया गया है। पहला यह कि उन्होंने कोर्ट की सुनवाई को लंबित रखने टालमटोली का रवैया अपनाया। दूसरा और सबसे गंभीर यह कि उन्होंने कोर्ट को गुमराह करते हुए समय पर नोटिस न मिलने की गलतबयानी की। यही नहीं कोर्ट पर एकपक्षीय आदेश पारित करने का मिथ्या दोषारोपण तक कर दिया।

उनका तर्क यह रहा कि 23 अप्रैल, 2024 को हाई कोर्ट द्वारा जारी नोटिस उन्हें आठ मई को प्राप्त हुआ, जबकि इससे पूर्व ही छह मई को हाई कोर्ट ने 13 मई को हाजिर होने का एकपक्षीय आदेश पारित कर दिया। वास्तविकता यह है कि भाजपा विधायक को हाई कोर्ट से भेजा गया नोटिस 27 अप्रैल को ही प्राप्त हो गया था, जो उनके नजदीकी से हस्तगत किया था।

जिला पंचायत चुनाव के समय दिया था शपथ-पत्र
बताया जाता है कि कंचन मुकेश तनवे ने जिला पंचायत का चुनाव लड़ रही थीं, तब रिटर्निंग ऑफिसर ने उन्हें नोटिस दिया था। कहा था कि जाति प्रमाण पत्र प्रॉपर नहीं है। तब उन्होंने शपथ-पत्र दिया। इसमें समय नहीं होने का हवाला दिया। इसे स्वीकार करते हुए चुनाव प्रक्रिया आगे बढ़ाएं। उसके बाद वे जिला पंचायत अध्यक्ष बन गईं।’

दोबारा जब कंचन तनवे विधानसभा चुनाव लड़ीं, तो उन्होंने दोबारा वही जाति प्रमाण-पत्र पेश किया। सामने आया कि विवाहित महिला भी है, तब भी उनकी जाति प्रमाण-पत्र पर पिता के बजाय पति का नाम होना गलत है। जाति प्रमाण-पत्र और पेन कार्ड पर पिता का ही नाम आता है।