जबलपुर। मध्य प्रदेश में सिविल जज भर्ती 2022 का विज्ञापन, जो 17 नवंबर 2023 को जारी किया गया था और 17 फरवरी 2024 को सुधार पत्र (कोरिजॉन्डम) जारी किया गया, उस पर उच्च न्यायालय ने स्टे लगा दिया है। मुख्य न्यायाधीश सुरेश कुमार कैत की युगलपीठ ने शुक्रवार को सुनवाई करते हुए इस विज्ञापन के आधार पर हुई समस्त भर्ती प्रक्रिया पर रोक लगा दी।
सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता ने अदालत में तर्क दिया कि इस भर्ती विज्ञापन में अनारक्षित वर्ग के 17 बैकलॉग पदों को भी शामिल कर लिया गया था, जो प्रक्रिया के नियमों का उल्लंघन है। अदालत ने मामले की गंभीरता को देखते हुए फिलहाल भर्ती प्रक्रिया पर रोक लगा दी है।
मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय में सिविल जज भर्ती परीक्षा 2022 के विज्ञापन (दिनांक 17/11/23) और शुद्धि पत्र (दिनांक 17/02/24) की संवैधानिकता को लेकर एडवोकेट यूनियन फॉर डेमोक्रेसी एंड सोशल जस्टिस द्वारा जनहित याचिका दायर की गई। हाईकोर्ट की चीफ जस्टिस सुरेश कुमार कैत और जस्टिस विवेक जैन की खंडपीठ ने मामले की सुनवाई की।
याचिकाकर्ता की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता रामेश्वर सिंह ठाकुर और विनायक प्रसाद शाह ने तर्क दिया कि मध्य प्रदेश सिविल जज भर्ती परीक्षा नियम 1994 और इसके संशोधन (23/06/23) में आरक्षित वर्ग (ओबीसी, एससी, एसटी) को प्रारंभिक और मुख्य परीक्षा में अंकों में छूट का प्रावधान है। लेकिन, विज्ञापन और नियमों में इस छूट को लागू नहीं किया गया, जो संविधान के अनुच्छेद 14, 16, और 335 का उल्लंघन है।
याचिकाकर्ता ने यह भी तर्क दिया कि 17/11/23 के विज्ञापन में कुल 195 पदों में से 134 बैकलॉग पद और 61 नए पद बताए गए हैं। इनमें 17 अनारक्षित बैकलॉग पदों का उल्लेख किया गया है, जो संविधान के अनुरूप नहीं है। उच्च न्यायालय ने कहा कि सिविल जज भर्ती परीक्षा नियमों में विसंगतियों के संदर्भ में संशोधन का प्रस्ताव मध्य प्रदेश शासन को भेजा जा चुका है। प्रथम दृष्टि में सामान्य वर्ग के 17 बैकलॉग पद संविधान के अनुरूप नहीं पाए गए।
कोर्ट ने विज्ञापन, शुद्धि पत्र, और भर्ती प्रक्रिया पर रोक लगाते हुए हाईकोर्ट प्रशासन और राज्य सरकार के विधि विभाग को नोटिस जारी किया। याचिका पर अगली सुनवाई चार सप्ताह बाद होगी। याचिकाकर्ता का पक्ष वरिष्ठ अधिवक्ता रामेश्वर सिंह ठाकुर, विनायक प्रसाद शाह, परमानंद साहू, रामभजन लोधी, और पुष्पेंद्र शाह ने रखा।