शहडोल । मध्य प्रदेश की शिवराज सरकार बच्चों के हित के लिए कितनी गंभीर है, यह उन तमाम योजनाओं से समझा जा सकता है जोकि राज्य में बच्चों के हित संचालित की जा रही हैं। किंतु जब शासन इन बच्चों को योजनाओं के लाभ एवं आवश्यक संसाधनों को पहुंचाने के लिए यदि गंभीर नहीं दिखे तब फिर ऐसे में संविधानिक संस्थाएं ही इन्हें ठीक कराने के लिए आगे आती हैं । ये संविधानिक संस्थाएं जो भी बेहतर हो सकता है, उसके लिए प्रयास करती हुई दिखाई देती हैं।
दरअसल, मध्य प्रदेश बाल संरक्षण आयोग की सदस्य डॉ. निवेदिता शर्मा अपने दो दिन के प्रवास पर मंगलवार शहडोल पहुंची । अपने दौरे के दौरान उन्होंने पाया कि शहडोल जिला अब भी बच्चों के हित को लेकर शासन स्तर पर गंभीर नजर नहीं आ रहा है। इसके बाद कई कमियों को पाया जाकर वे तत्काल बच्चों के हित शासन स्तर पर सुधार करने की मंशा से कमिश्नर शहडोल राजीव शर्मा से मिलने पहुंच गईं । जहां उन्होंने तमाम समस्याओं का जिक्र किया।
यह सोचनीय है कि 14 जून, 2008 से शहडोल ने संभागीय केंद्र के रूप में कार्य करना आरंभ कर दिया था। जबकि जिले के रूप में शहडोल एक नवम्बर 1956 को ही अपने अस्तित्व में आ गया था। शहडोल को संभाग बने 14 साल हो चुके हैं, वहीं एक जिले के रूप में वह 66 साल पूरे कर चुका है, बावजूद इसके यहां अब तक बच्चों के लिए कोई भी बालक-बालिका गृह या नशा मुक्ति केंद्र नहीं खोला जा सका है। इस संदर्भ में जिले की विभिन्न सामाजिक संस्थाओं के भ्रमण के बीच कमिश्नर शहडोल राजीव शर्मा से मिलने पहुंची मध्य प्रदेश बाल संरक्षण आयोग की सदस्य डॉ. निवेदिता शर्मा ने उनसे मांग की कि वे इन सभी समस्याओं को अपने संज्ञान में लेवें जिससे कि बच्चों के हित में जल्द निराकरण किया जा सके।
इसके साथ ही उन्होंने संभागीय कमिश्नर को बताया और आग्रह किया कि जुवेनाइल जस्टिस एक्ट के तहत जिन बच्चों को आरोपित किया जाता है उनके प्रकरणों को सुनने के लिए चलाए जा रहे किशोर न्याय बोर्ड एवं बालिका सम्प्रेक्षण गृह दोनों ही यहां एक स्थान पर संचालित किए जा रहे हैं जोकि उचित नहीं। यहां बच्चियों के आनेजाने का रास्ता एवं आरोपित बच्चों तथा उनके एडवोकेट, परिवार जन जेजेबी सदस्य, जज एवं पुलिस वालों के लिए भी एक ही रास्ता दिया गया है जोकि सीधे तौर पर बालिकाओं की निजता का हनन करते हैं। बच्चियों की सुरक्षा की दृष्टि से भी यह जरूरी है कि उनके आने-जाने का गेट अलग हो। वहीं अभी उन्हें 24 घण्टे की सुरक्षा के लिए सिर्फ एक ही गार्ड शासन स्तर से मुहैया कराया गया है, जबकि कम से कम तीन गार्ड यहां होना जरूरी है ।
मप्र बाल संरक्षण आयोग की सभी बातें सुनने के बाद कमिश्नर शहडोल राजीव शर्मा ने कहा कि जिला कलेक्टर के ध्यान में भी ये सभी बातें लाने की आवश्यकता है। वहीं उन्होंने आश्वासन दिया है कि शहडोल संभागीय मुख्यालय को लेकर ध्यान दिलाई गईं सभी कमियों को शीघ्र दूर करने का प्रयास यहां का प्रशासन करेगा। अपने दो दिन के प्रवास में बाल आयोग सदस्य डॉ. निवेदिता शिवालय शिशुगृह सतगुरु मिशन शहडोल, चाईल्ड लाइन -1098 सतगुरू मिशन शहडोल, मध्यप्रदेश, बालिका संप्रेक्षण गृह शहडोल, वन स्टॉप सेंटर शहडोल का निरीक्षण करने पहुंची थीं। निरक्षण के समय उनके साथ संजीता भगत सहायक संचालक डब्लू. सी. डी., प्रदीप सिंह अध्यक्ष सीडब्ल्यूसी, अभिषेक श्रीवास्तव, शिवालय शिशुगृह सतगुरु मिशन शहडोल के अधीक्षक बृजेंद्र कुमार दुबे, चाईल्ड लाइन 1098 के समन्वयक राहुल अवस्थी, नवीन कुमार शुक्ला सामाजिक कार्यकर्ता और शिवालय शिशुगृह सतगुरु मिशन शहडोल मध्यप्रदेश के महिला कर्मचारी उर्मिला, रुकमणी एवं सुमन उपस्थित रहीं।
उल्लेखनीय है कि प्रदेश में सरकारें किसी की भी रही हों, किंतु इस ओर किसी ने ध्यान नहीं दिया कि शहडोल जैसे जनजाति बहुल्य जिले में बाल गृह, बालिका गृह और यदि बच्चों को नशे की बुरी आदत पड़ गई है तो उसे दूर करने के लिए नशा मुक्ति केंद्र की स्थापना शासन स्तर पर या शासन के सहयोग से किसी एनजीओ द्वारा अथवा कोई स्वयंसेवी संस्था अपने निजि प्रयासों से यहां करती ।