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मप्रः कूनो में दो माह में छह चीतों की मौत के बाद चीता परियोजना संचालन समिति गठित

भोपाल (Bhopal)। मध्य प्रदेश के कूनो राष्ट्रीय उद्यान में पिछले दो माह में दक्षिण अफ्रीका और नामीबिया से लाए गए छह चीतों की मौत हो चुकी है। इनमें तीन युवा चीते और तीन शावक शामिल है। इसके बाद भारत सरकार के पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने ‘चीता परियोजना संचालन समिति’ का गठन कर दिया है। अब चीतों से संबंधित कोई भी निर्णय इस समिति के सदस्यों की सहमति से ही लिया जाएगा।

कूनो राष्ट्रीय उद्यान में नामीबिया से लाई गई मादा चीता ज्वाला के दो शावकों की गुरुवार को मौत हो गई। प्रधान मुख्य वन संरक्षक (वन्य-प्राणी) जे.एस.चौहान ने बताया कि मादा चीता ज्वाला ने दो माह पहले 27 मार्च को ही कूनो राष्ट्रीय उद्यान में चार शावकों को जन्म दिया था। इनमें से एक शावक की मौत गत मंगलवार (23 मई) को हो गई थी। इसके पश्चात शेष 03 शावक एवं मादा चीता “ज्वाला” की पालपुर में तैनात वन्य-प्राणी चिकित्सकों और मॉनीटरिंग टीम द्वारा दिन भर लगातार निगरानी की गई। दिन में चीता ज्वाला को सप्लीमेंट फूड दिया गया। दोपहर बाद निगरानी के दौरान शेष 03 शावक की स्थिति सामान्य प्राप्त नहीं हुई।

उन्होंने बताया कि तीनों शावक की असामान्य स्थिति और गर्मी को देखते हुए प्रबंधन एवं वन्य-प्राणी चिकित्सकों की टीम ने तत्काल तीनों शावकों को रेस्क्यू कर उपचार किया गया पर दो शावक की स्थिति अधिक खराब होने से बचाया नहीं जा सका। एक शावक को गंभीर हालत में गहन उपचार एवं निगरानी में पालपुर स्थित चिकित्सालय में उपचार किया जा रहा है। मादा चीता ज्वाला स्वस्थ है, जिसकी सतत निगरानी की जा रही है।

उन्होंने बताया कि मादा चीता “ज्वाला” हैण्ड रियर्ड चीता है जो पहली बार माँ बनी है। चीता शावकों की उम्र लगभग 8 हफ्ते की है। इस अवस्था में चीता शावक सामान्यत: जिज्ञासु होते है एवं माँ के साथ लगातार चलते है। चीता शावकों ने लगभग 8-10 दिन पहले ही माँ के साथ घूमना शुरू किया था। चीता विशेषज्ञों के अनुसार अफ्रीका में सामान्यत: चीता शावकों का जीवित रहने का प्रतिशत बहुत कम रहता है। स्टेंडर्ड प्रोटोकाल के तहत पोस्टमार्टम की कार्यवाही की जा रही है।

कूनो राष्ट्रीय उद्यान में दो माह में छह चीते दम तोड़ चुके हैं। इनमें सबसे पहले 26 मार्च को नामीबिया से लाई गई मादा चीता साशा की मौत हुई थी। इसके बाद 23 अप्रैल को साउथ अफ्रीका से लाए गए चीता उदय ने दम तोड़ दिया था। फिर 9 मई को दक्षिण अफ्रीका से लाई गई मादा चीता दक्षा की मौत हो गई थी। अब एक सप्ताह के भीतर मादा चीता ज्वाला के तीन शावकों ने भी दम तोड़ दिया।

बताया गया है कि अब चीता परियोजना संचालन समिति गठित का गठन किया गया है। समिति में राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (एनटीसीए) के पूर्व सदस्य सचिव, कान्हा टाइगर रिजर्व के पूर्व संचालक और ग्लोबल टाइगर फोरम के महासचिव डॉ. राजेश गोपाल, भारतीय वन्यजीव संस्थान देहरादून के पूर्व निदेशक पीआर सिन्हा, पूर्व अपर प्रधान मुख्य वनसंरक्षक डॉ. एचएस नेगी सहित देश के 11 वन्यप्राणी विशेषज्ञों को सदस्य बनाया गया है।

संचालन समिति का कार्यकाल दो साल होगा। इसमें दक्षिण अफ्रीका और नामीबिया के चीता विशेषज्ञों को भी आमंत्रित सदस्य बनाया गया है। समिति का काम चीता परियोजना की समीक्षा एवं निगरानी करना और सलाह देना रहेगा। वह चीता पर्यटन के लिए कूनो पार्क पर्यटकों के लिए खोलने और परियोजना में सामुदायिक भागीदारी बढ़ाने पर निर्णय लेगी।

समिति के सदस्य आवश्यकता पड़ने पर कूनो पार्क का दौरा करेंगे और महीने में कम से कम एक बैठक करेंगे। आवश्यकता पड़ने पर समिति देश और अंतरराष्ट्रीय चीता विशेषज्ञों को परामर्श के लिए बुला भी सकेगी। उनके आने-जाने का प्रबंध एनसीटीए करेगा, वहीं गैर सरकारी सदस्यों का यात्रा एवं अन्य आकस्मिक खर्च भी उठाएगा।