Friday, November 22"खबर जो असर करे"

ममता की मूरत होती है मां

– रमेश सर्राफ धमोरा

इस साल 14 मई को मातृत्व दिवस (मदर्स डे ) है। यह दिवस मां को समर्पित होता है। यहां मां को नमन करने का दिवस है। मां एक ऐसा शब्द है जिसमें पूरा ब्रह्माण्ड समा जाए। जब हम मां बोलने के लिए मुंह खोलते हैं तो शब्द के उच्चारण के साथ ही पूरा मुंह भर जाता है। मां ममता की मूरत होती है। पूरी दुनिया के सभी धर्मों ने मां के रिश्ते को सबसे पवित्र माना गया है। अपने बच्चों के प्रति मां का प्यार, दुलार, समर्पण और त्याग अनमोल होता है। मां को सम्मान देने के लिए पूरी दुनिया में मई के दूसरे रविवार को मातृत्व दिवस के रूप में मनाया जाता है।

अंतरराष्ट्रीय मातृत्व दिवस माताओं एवं मातृत्व का सम्मान करने वाला दिन होता है। एक मां ही होती है जो सभी की जगह ले सकती है। लेकिन उनकी जगह कोई और नहीं ले सकता है। मां अपने बच्चों की हर प्रकार से रक्षा और उनकी देखभाल करती है। इसलिए मां को ईश्वर का दूसरा रूप कहा जाता है। मां वह शख्स होती है जो नौ माह तक अपने बच्चे को कोख में पालती है। कुछ भी हो जाए लेकिन एक मां का अपने बच्चों के प्रति स्नेह कभी कम नहीं होता है। वह खुद से भी ज्यादा अपने बच्चों के सुख सुविधाओं को लेकर चिंतित रहती है। मां अपनी संतान की रक्षा के लिए बड़ी से बड़ी विपत्तियों का सामना करने का साहस रखती है।

मां होने का अर्थ है उत्तरदायित्व और निस्वार्थता से पूरी तरह से अभिभूत होना। मातृत्व का मतलब है रातों की नींद हराम करना। मां भगवान की सबसे श्रेष्ठ रचना है। उसके जितना त्याग और प्यार कोई नहीं कर सकता है। मां विश्व की जननी है उसके बिना संसार की कल्पना भी नहीं की जा सकती है। मां ही हमारी सबसे पहली गुरु होती है। इसीलिए हम धरती को भी धरती माता कहते हैं। जो अपने ऊपर हम सब का वजन उठाती है।

हमारे देश में गाय को भी माता कह कर पुकारते हैं जो हमें अपने अपना दूध पिला कर बड़ा करती है। मां हमारे जीवन की सबसे प्रमुख हस्ती होती है जो बिना कुछ पाने की उम्मीद किए सिर्फ देती ही रहती है। मां का प्यार निस्वार्थ होता है जो हम अपने पूरे जीवन में किसी और से प्राप्त नहीं कर सकते हैं।

देखा जाए तो मातृ दिवस का इतिहास सदियों पुराना है। यूनान में परमेश्वर की मां को सम्मानित करने के लिए यह दिवस मनाया जाता था। 16वीं सदी में इंग्लैंड का ईसाई समुदाय ईशु की मां मदर मेरी को सम्मानित करने के लिए इस दिवस को त्योहार के रूप में मनाये जाने की शुरुआत हुई। मदर्स डे मनाने का मूल कारण समस्त माताओं को सम्मान देना और एक शिशु के उत्थान में उसकी महान भूमिका को सलाम करना है।

मातृत्व दिवस को आधिकारिक बनाने का निर्णय पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति वूडरो विलसन ने आठ मई 1914 को लिया था। वुडरो विल्सन ने मई के दूसरे रविवार को मदर्स डे मनाने और मां के सम्मान में एक दिन के अवकाश की सार्वजनिक घोषणा की थी। वे समझ रहे थे कि सम्मान, श्रद्धा के साथ माताओं का सशक्तिकरण होना चाहिए, जिससे मातृत्व शक्ति के प्रभाव से युद्धों की विभीषिका रुके। तत्पश्चात हर वर्ष मई के दूसरे रविवार को मदर्स डे मनाया जाता है। वर्तमान में ये भारत के साथ यूके, चीन, यूएस, मेक्सिको, डेनमार्क, इटली, फिनलैण्ड, तुर्की, ऑस्ट्रेलिया, कैनेडा, जापान, बेल्जियम सहित कई देशों में मनाया जाता है।

हिंदू धर्म में मां शब्द की कई व्याख्याएं हैं। वाल्मीकि रामायण में भगवान राम ने कहा है कि “जननी जन्मभूमिश्च स्वर्गादपि गरियसि”। इसका मतलब है कि मां और मातृभूमि स्वर्ग से बेहतर हैं। मां शब्द की उत्पत्ति और अर्थ के बारे में कई मत हैं। विभिन्न शैलियों ने मां शब्द की व्याख्या की है। ये एक अक्षर वाला मां संबोधन पूरे ब्रह्मांड में सबसे ताकतवर शब्द माना जाता है।

मां सिर्फ शब्द नहीं बल्कि एक भावना है। इसका वर्णन शब्दों में करना नामुमकिन है। मां वो है जो न सिर्फ हमे जन्म देती है बल्कि हमें जीना भी सिखाती है। मां वो होती है जो खुद भूखी सो जाए पर अपने बच्चों को भूखा रहने नहीं देती। उसे खुद कितनी भी तकलीफ हो वो जताती नहीं और ऐसे में भी सिर्फ अपने बच्चों की ही सलामती की दुआ करती है। मां की ममता समुद्र से भी गहरी है।

दुनिया में हर शब्द का अर्थ समझा और समझाया जा सकता है। लेकिन मां शब्द का अर्थ समझना और समझाना दोनों ही लगभग नामुमकिन है। मां शब्द का अर्थ समझाना इसलिए नामुमकिन है क्योंकि मां के प्यार को, मां के बलिदान को शब्दों में नहीं समझाया जा सकता। इसे सिर्फ अनुभव किया जा सकता है। मां के दिल में जितना प्यार अपने बच्चों के लिए होता है। अगर मां के सभी बच्चे कोशिश भी करें तो उसका कुछ अंश भी अदा नहीं कर सकते।

मां को संस्कृत में मातर कहते हैं। मां ईश्वर की सर्वश्रेष्ठ कृति है जिसके माध्यम से परमेश्वर अपने अंश द्वारा अपनी शक्ति का संचार और विस्तार करता है। पुराणों के अनुसार मां का अर्थ लक्ष्मी है। जिस प्रकार मां लक्ष्मी सृष्ठि का पालन करती है उसी प्रकार मां भी शिशु का पालन करती है। इस प्रकार मां को लक्ष्मी का स्वरूप माना गया। एक मत यह है कि इस सृष्टि का आरंभ मनु और शतरूपा नामक स्त्री-पुरुष के समागम से हुआ। मनु के नाम पर ही उनकी संतान को मनुज या मानव कहा गया। मनु की संतान को जिसने जन्म दिया उसे मां कहा गया। और इस प्रकार मां शब्द की उत्पत्ति हुई।

भारतीय संस्कृति तथा कुछ ग्रंथों के अनुसार मां शब्द की उत्पत्ति गोवंश से हुई। गाय का बछड़ा जब जन्म लेता है तो उसके सर्वप्रथम रंभाने में जो स्वर निकालता है वह मां होता है। यानी कि बछड़ा अपनी जन्मदात्री को मां के नाम से पुकारता है। इस प्रकार जन्म देने वाली को मां कहकर पुकारा जाने लगा।

(लेखक, हिन्दुस्थान समाचार से संबद्ध हैं। )