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भारत में कितना घातक है मंकीपॉक्स, जानिए कैसे करें बचाव और क्‍या है इसके लक्षण

नई दिल्‍ली । कोरोना का कहर झेल चुकी दुनिया मंकीपॉक्स संक्रमण (monkeypox infection) से एक बार फिर दशहत में है। अब तक 80 देशों में 16 हजार से ज्यादा लोग इसकी चपेट में आ चुके हैं पर विश्व स्वास्थ्य संगठन (World Health Organization) ने मंगलवार को कहा कि इसका संक्रमण तो संभव है लेकिन यह घातक नहीं।

आमतौर पर इससे पीड़ित लोगों में बुखार, बदन दर्द, सूजन और शरीर पर मवाद से भरे घाव नजर आते हैं पर दो से चार हफ्ते के भीतर मरीज बिल्कुल ठीक हो जाता है। तो आइए जानते हैं कि इससे डरना कितना जरूरी है।

यह कितना घातक
-विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक, किसी संक्रमित शख्स के नजदीकी संपर्क में आने से मंकीपॉक्स हो सकता है। हालांकि, यूरोपीय देशों में ज्यादातर पुरुषों के साथ यौन संबंध रखने वाले पुरुषों में यह संक्रमण देखा जा रहा है।

-संक्रमित जानवरों जैसे बंदरों, चूहों और गिलहरियों से भी फैल सकता है। यह आमतौर पर 14 से 21 दिनों तक रहता है और अपने आप ठीक हो जाता है। हालांकि, कुछ मामलों में मरीज की हालत गंभीर हो जाती है।

-पश्चिमी अफ्रीका में इससे मौत होने के मामले भी दर्ज किए गए हैं, हालांकि, यह एक फीसदी से भी कम हैं। डब्ल्यूएचओ के अनुसार, सामान्य आबादी में इससे मृत्यु दर 0 से 11% तक हो सकती है और छोटे बच्चों में यह ज्यादा जानलेवा होने की आशंका है।

कौन सी वैक्सीन कारगर
-इस संक्रमण का फिलहाल कोई उपचार नहीं पर यूरोपीय देशों और अमेरिका में चेचक का टीका इलाज में इस्तेमाल किया जा रहा। यूरोपीय देश इम्वेनेक्स वैक्सीन लगा रहे, इसे डेनिश दवा कंपनी बवेरियन नॉर्डिक ने तैयार किया है। जाइनॉस की भी दो खुराक दी जा रही है।

-अफ्रीका में इसके इस्तेमाल के आंकड़े बताते हैं कि यह मंकीपॉक्स को रोकने में 85 फीसदी प्रभावी है। चेचक का टीका एसीएएम2000 भी काफी प्रभावी है। अमेरिका, फ्रांस, इटली, जर्मनी, ब्रिटेन समेत कई देशों में कैंप लगाकर इसे ऐहतियात के तौर पर बुजुर्ग लोगों को दिया जा रहा है।

कैसे लड़ते हैं यह टीके
एसीएएम2000 वैक्सीन में ऑर्थोपॉक्स वायरस की एक अलग प्रजाति का कमजोर करके डाला गया वायरस होता है। जब ये शरीर में जाता है तो प्रतिरक्षा तंत्र को लगता है कि हमला हो गया और वह इसे खत्म करने में जुट जाता है। इसके बाद जब असल वायरस आता हो तो शरीर उससे लड़ने के लिए पहले से तैयार रहता है। ऐसे में वो ज्यादा गंभीर नुकसान नहीं पहुंचा पाता। इस वैक्सीन को लैब में काम करने वाले या स्वास्थ्यकर्मी जैसे जोखिमपूर्ण लोगों को लगाया जा रहा है।

भारत में खतरा कितना बड़ा
विशेषज्ञों के मुताबिक, भारत में 1980 के दशक तक बच्चों को जन्म के समय ही चेचक के टीके लगा दिए जाते थे। ऐसे में 40 साल से ऊपर वाले ऐसे लोग जिन्हें चेचक के टीके उस समय लगे थे, उन पर अब मंकीपॉक्स का खतरा कम हो सकता है।

संक्रमण पर रिसर्च क्या कहती हैं
मैसाचुसेट्स जनरल अस्पताल के डॉ. मार्टिन हिर्श ने एक अध्ययन में बताया कि कोरोना सांस के जरिए फैलता है और अत्यधिक संक्रामक है मगर मंकीपॉक्स में इस तरह का खतरा नहीं दिखता। अगर किसी को हो जाए तो उसे सबसे पहले उन्हें जांच करानी चाहिए। तरल पदार्थों का सेवन करना चाहिए। एक एंटीवायरल दवा जिसे टेकोविरिमैट कहा जाता है, उसका इस्तेमाल किया जा सकता है। यह दवा अमेरिका और यूरोपीय देशों में मरीजों को दी जा रही है।

क्या शारीरिक संबंध बनाने से फैल रहा?
सर गंगा राम अस्पताल के सीनियर कंसल्टेंट डॉ. धीरेन गुप्ता ने बताया, यौन संपर्क के दौरान मंकीपॉक्स फैलता है। इसके साथ-साथ गले लगाने, मालिश करने और चुंबन के साथ-साथ लंबे समय तक आमने-सामने संपर्क से भी वायरस फैलने का खतरा है। फोर्टिस अस्पताल वसंत कुंज के निदेशक और डॉ. मनोज शर्मा ने कहा कि यह स्पष्ट हो चुका है कि मंकीपॉक्स अंतरंग संपर्क से फैलता है। इसलिए सतर्कता बेहद जरूरी है।