Friday, September 20"खबर जो असर करे"

भारत में बढ़ते जनसंख्या दबाव के बीच रोजगार देने में सफल मोदी सरकार

– डॉ. मयंक चतुर्वेदी

केंद्र में देश की जनता किसे चुनने जा रही है यह कुछ दिनों में साफ हो जाएगा, किंतु जिस तरह से कांग्रेस समेत समूचे विपक्ष ने भाजपा की केंद्र सरकार और पीएम मोदी को आर्थिक क्षेत्र को आधार बनाकर घेरना जारी रखा है उसने आज पिछली मनमोहन सरकार और मोदी सरकार के कार्यकाल के तुलनात्मक अध्ययन के लिए प्ररित जरूर किया है। कांग्रेस का आरोप है कि मोदी सरकार के कार्यकाल में देश में बेरोजगारी की दर बढ़ी है और जनता परेशान है। किंतु हकीकत में यह लगता नहीं है, क्योंकि सरकारी स्तर पर या निजी संस्थाओं के इस संबंध में अब तक किए गए सभी सर्वे एवं अध्ययन मोदी सरकार के पक्ष में जाते हुए दिखाई दे रहे हैं।

वस्तुत: देश की जनता ने अटल सरकार के बाद दस साल कांग्रेस को भी दिए थे, लेकिन आंकड़े यही बता रहे हैं कि एनडीए की सत्ता में जिस गति से अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार कार्य कर रही थी, वह गति कांग्रेस की मनमोहन सरकार आते ही धीमी पड़ गई थी। इस स्थिति में भारत की आम जनता ने फिर से भाजपा की ओर आशा भरी नजरों से देखा। उसके बाद की स्थिति पूरी दुनिया के सामने मौजूद है। भारत कहां था और अब कहां से कहां पहुंच गया है! यह विश्व देख रहा है, कहना होगा कि दुनिया की सबसे अधिक जनसंख्या वाला देश भारत विकास के सभी आंकड़े तोड़ रहा है।

मोदी सरकार और पिछली मनमोहन सरकार के बीच भारत की जनसंख्या और उसके दबाव के बीच संतुलन को यदि देखें तो जब मनमोहन सरकार 2004 में सत्ता में आई तब देश की जनसंख्या 1.136 बिलियन थी जो दस वर्ष के कार्यकाल में बढ़कर 2014 की स्थिति में 1.307 बिलियन पर जा पहुंची थी। जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बने, तब यही जनसंख्या का ग्राफ बढ़कर 2015 में 1,322,866,505 हो गया और 2024 आते-आते यह जनसंख्या का आंकड़ा 1,441,719,852 को पार कर गया।

पिछले दस सालों में 12 करोड़ अनुमानित जनसंख्या बढ़ी है। यह नवीनतम आंकड़ा भारत की जनसंख्या (लाइव) वर्ल्डोमीटर के अनुसार है। यानी कि देश में एक ओर जनसंख्या का दबाव बढ़ रहा था तो दूसरी ओर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनका मंत्रीमण्डल अपने प्रयासों से आर्थिक क्षेत्र में नवाचार करते हुए रोजगार बढ़ाने के कार्य में जुटे हुए थे । देखा जाए तो मनमोहन सिंह के कांग्रेस कार्यकाल की 4.7 प्रतिशत’, भारत की आर्थिक विकास दर निराश करती है। 2012-13 में औद्योगिक विकास दर घटकर 20 साल के निचले स्तर एक प्रतिशत पर आ गई थी। बैंकों के नॉन परफॉर्मिंग एसेट्स 2013 में 50 प्रतिशत बढ़ गए थे, जिसकी रिपोर्ट भी मौजूद है। रुपया विश्व की सबसे खराब प्रदर्शन करने वाली मुद्राओं में से एक हो गया था । लेकिन आज ऐसा बिल्कुल नहीं है। वर्तमान में भारत की अर्थव्यवस्था 8.4 प्रतिशत की वृद्धि दर के साथ अपेक्षा से अच्छा प्रदर्शन कर रही है। सीएजीआर मुद्रास्फीति पर 2004-14 के बीच यह 8.7 प्रतिशत थी, जो अब 2014-24 के बीते दस सालों के बीच 4.8 प्रतिशत हो गई है।

इसी तरह से भारत का विनिर्माण पीएमआई 2008 के बाद से उच्चतम स्कोर पर मार्च में 59.1, वित्त वर्ष 24 के अंत तक बैंक एनपीए दशक के सबसे निचले स्तर 3.8 प्रतिशत पर पहुंच जाने की उम्मीद जताई जा रही है। अन्य विदेशी मुद्राओं के मुकाबले रुपया सबसे बेहतर स्थिति में है। अभी भारत तेजी से बढ़ती प्रमुख अर्थव्यवस्था बना रहेगा, यही अनुमान दुनिया की हर एजेंसी का है।

मोदी शासन के दौरान 51.40 करोड़ रोजगार पैदा हुए
देश में मोदी सरकार के दस साल के कार्यकाल में 51.40 करोड़ रोजगार पैदा हुए हैं। घरेलू शोध संस्थान स्कॉच की एक रिपोर्ट जो हाल ही में ‘मोदीनॉमिक्स का रोजगार सृजनात्मक प्रभाव: प्रतिमान में बदलाव’ (“Employment Generative Impact of ModiNomics: The Paradigm Shifts”) शीर्षक से सामने आई है। पूरी केस स्टडी पर आधारित है, जिसमें मुख्यतौर पर 80 अध्ययनों को शामिल किया गया है, जिसमें सरकारी योजनाओं के आंकड़े भी शामिल हैं। यहां ये सामाजिक-आर्थिक मुद्दों पर समावेशी विकास के उद्देश्य से काम कर रहा ये घरेलू शोध संस्थान स्कॉच ग्रुप 2014 से 2024 के बीच सालाना कम से कम 5.14 करोड़ पर्सन-ईयर्स रोजगार पैदा करने का डेटा प्रस्तुत करता है । वस्तुत: पर्सन-ईयर इस बात का पैमाना है कि किसी व्यक्ति ने पूरे साल कितने घंटे काम किया।

यह रिपोर्ट बता रही है कि गत दस साल में 19.79 करोड़ रोजगार सरकारी योजनाओं के जरिए इनडायरेक्ट रोल की वजह से पैदा हुए हैं, जबकि 31.61 करोड़ रोजगार सरकार की लोन-आधारित योजनाओं के कारण संभव हो सके हैं। इस संबंध में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मीडिया द्वारा पूछे गए एक प्रश्न के उत्तर में जो कहा है वह भी समझने योग्य है। पीएम मोदी ने बताया है कि पिछले 10 साल में जो माइक्रो फाइनेंस हुआ है, इस माइक्रो फाइनेंस के कारण देश में बहुत रोजगार उपलब्ध हुआ है।

वे कह रहे हैं कि ‘‘केंद्र की 10-12 योजनाएं ऐसी हैं, जिसके आधार पर उन्होंने एनालिसिस किया है कि एक घर बनता है तो कितने पर्सन आवर्स को रोजगार मिलता होगा। इस आधार पर भारत में पांच करोड़ पर्सन आवर्स वार्षिक नौकरी जेनरेट हुई हैं। देश में चार करोड़ गरीबों के घर बने हैं। 11 करोड़ टॉयलेट बने हैं। दुनिया में सबसे तेज गति से 5जी रोलआउट हुआ, इसके लिए इन्फास्ट्रक्चर लगता है। पीएलएफएस के मुताबिक 6-7 साल में 6 करोड़ नए जॉब ऑन रिकॉर्ड दर्ज हुए हैं। ईपीएफओ में 10 साल में कवर होने वाले लोगों में 167 परसेंट बढ़ोतरी हुई है। मुद्रा लोन के तहत करीब 43 करोड़ लोन्स दिए गए, इसमें 70 परसेंट ऐसे हैं, जो पहली बार रोजगार कर रहे हैं। वे भी दूसरों को रोजगार दे रहे हैं।’’

इस आधार पर कहना होगा कि किसी भी सरकार की मंशा ठीक हो तो वह अपने कार्यकाल में क्या कुछ कर सकती है और विकास के स्तर पर कितना बड़ा परिवर्तन ला सकती है, इसका सबसे अच्छा दुनिया में कोई उदाहरण वर्तमान में है तो वह भारत की मोदी सरकार का आज आपको दिखाई देता है। यदि आगे भी विकास की गति इसी प्रकार की बनी रही तो निश्चित मानिए, भारत की वैभव, सम्पन्नता के साथ आत्मिक सुख में दुनिया का कोई देश बराबरी नहीं कर पाएगा।

(लेखक, फिल्म सेंसर बोर्ड एडवाइजरी कमेटी के सदस्य एवं पत्रकार हैं।)