Friday, September 20"खबर जो असर करे"

मोदी कैबिनेट में मप्र से पांच मंत्री, शिवराज पहली बार बने केन्द्रीय मंत्री

– सिंधिया और डॉ. वीरेंद्र कुमार ने भी ली कैबिनेट मंत्री की शपथ, दुर्गादास उइके और सावित्री ठाकुर बने राज्यमंत्री

भोपाल (Bhopal)। भाजपा के वरिष्ठ नेता और एनडीए संसदीय दल के नेता नरेन्द्र मोदी (Narendra Modi) ने रविवार देर शाम राष्ट्रपति भवन में आयोजित भव्य समारोह (Grand ceremony) में तीसरी बार देश के प्रधानमंत्री पद की शपथ (Country Prime Minister Oath) ली। उनके साथ केन्द्रीय मंत्रिमंडल (Union Cabinet) के सदस्यों ने भी शपथ ली है। इनमें मध्य प्रदेश से पांच सांसदों (Five MPs from Madhya Pradesh) को केन्द्र में मंत्री बनाया गया है। इनमें शिवराज सिंह चौहान (Shivraj Singh Chauhan), ज्योतिरादित्य सिंधिया (Jyotiraditya Scindia), डॉ. वीरेन्द्र कुमार खटीक, सावित्री ठाकुर और दुर्गादास उईके शामिल हैं।

विदिशा सीट से सांसद चुने गए शिवराज सिंह चौहान पहली बार केंद्रीय मंत्री बने हैं। उन्होंने कैबिनेट मंत्री के रूप में शपथ ली है। वहीं ज्योतिरादित्य सिंधिया को दूसरी बार और डॉ. वीरेंद्र कुमार खटीक को लगातार तीसरी बार मोदी सरकार में कैबिनेट मंत्री बनाया गया है। उन्होंने भी कैबिनेट मंत्री के तौर पर पद और गोपनीयता की शपथ ली है। मध्यप्रदेश से केंद्र में कैबिनेट मंत्रियों में शिवराज और सिंधिया ओबीसी वर्ग से आते हैं, जबकि डॉ. वीरेंद्र कुमार एससी वर्ग से हैं। शिवराज छठवीं बार और सिंधिया पांचवीं बार सांसद बने हैं, जबकि डॉ. वीरेंद्र कुमार आठवीं बार के सांसद हैं।
इसके अलावा मध्य प्रदेश के बैतूल से सांसद दुर्गादास उईके और धार से सांसद सावित्री ठाकुर भी पहली बार केंद्र में मंत्री बनाया गया है। इन दोनों ने राज्य मंत्री के रूप में पद एवं गोपनीयता की शपथ ली। दुर्गादास उईके और सावित्री ठाकुर लगातार दूसरी बार अपने-अपने क्षेत्रों से निर्वाचित हुए हैं।

विदिशा से छठवीं बार सांसद चुने गए शिवराज सिंह चौहान प्रदेश में भाजपा के सबसे कद्दावर नेता हैं। वह मध्य प्रदेश के पहले ऐसे मुख्यमंत्री हैं, जिन्होंने सर्वाधिक समय तक मुख्यमंत्री पद का कार्यभार संभाला है। वह चार बार मप्र के मुख्यमंत्री रह चुके हैं। उनका कार्यकाल करीब 16.5 वर्ष का रहा। पिछले साल नवंबर में हुए विधानसभा चुनाव में जब भाजपा ने शानदार प्रदर्शन करते हुए 163 सीटें जीतीं, तब अटकलें लगाई जा रही थीं कि वह पांचवी बार मुख्यमंत्री पद की शपथ लेंगे, लेकिन पार्टी नेतृत्व ने जब डॉ. मोहन यादव के नाम पर मुहर लगाई, तो शिवराज ने शालीनतापूर्वक इस फैसले को शिरोधार्य किया।

शिवराज ने राजनीति में कदम रखने से पहले राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ में कार्यकर्ता के रूप में कार्य किया था। वह छह बार उस सीट से सांसद हैं, जहां से कभी पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी सांसद थे। प्रदेश में मुख्यमंत्री पद का दायित्व संभालने से पहले शिवराज पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष और भाजयुमो के राष्ट्रीय अध्यक्ष भी रह चुके हैं। मध्य प्रदेश में उन्हें ‘मामा’ नाम से भी पुकारा जाता है।

केन्द्र की मोदी सरकार में दूसरी बार मंत्री बनाए गए ज्योतिरादित्य सिंधिया गुना-शिवपुरी लोकसभा सीट से सांसद निर्वाचित हुए हैं। साल 2001 में पिता माधव राव सिंधिया के निधन के बाद ज्योतिरादित्य ने राजनीति में प्रवेश किया था। अमेरिका के हार्वर्ड कॉलेज से ग्रेजुएशन, स्टैनफोर्ड विश्वविद्यालय में ग्रेजुएट स्कूल ऑफ बिजनेस से एमबीए डिग्री हासिल करने के बाद ज्योतिरादित्य ने एक बैंकर के रूप में अपने करियर की शुरुआत की थी, लेकिन 30 सितम्बर 2001 को अचानक उनके पिता माधवराव सिंधिया का एक विमान हादसे में निधन हो गया। इसके बाद ज्योतिरादित्य ने कांग्रेस की सदस्यता ले ली और अपने पिता की लोकसभा सीट गुना से चुनाव लड़ा। वहां से पहली बार संसद पहुंचे।

2004 के चुनाव में वे दूसरी बार सांसद चुने गए और 2007 में केंद्रीय संचार और सूचना प्रौद्योगिकी राज्यमंत्री बने। वर्ष 2009 के चुनाव में वे लगातार तीसरी बार जीते और वाणिज्य और उद्योग राज्य मंत्री बने। फिर, 2014 में सिंधिया चुनाव जीतने के बाद एक बार फिर मंत्री बने, लेकिन साल 2019 उनके लिए कठिन समय रहा। गुना लोकसभा सीट से ज्योतिरादित्य को भाजपा के डॉ. केपी यादव ने हरा दिया। इसके बाद वे खुद को उपेक्षित महसूस करने लगे। मार्च 2020 में उन्होंने अपने समर्थकों के साथ भाजपा की सदस्यता ले ली। भाजपा ने उन्हें राज्यसभा भेजा और 2021 में उन्हें मोदी कैबिनेट में नागरिक उड्डयन मंत्रालय का जिम्मा सौंपा गया। अब 2024 के लोकसभा चुनाव में वह सिंधिया राजघराने की परंपरागत सीट गुना से भारी वोटों से चुनाव जीते हैं। वे पांचवीं बार लोकसभा में पहुंचे हैं। इस बार फिर वे मंत्री बनने जा रहे हैं।

लगातार आठवीं बार चुनाव जीते हैं डॉ. वीरेंद्र कुमार
टीकमगढ़ सीट से अपराजित डॉ. वीरेंद्र कुमार अपनी सादगी के लिए पहचाने जाते हैं, जो 403312 वोटों से कांग्रेस प्रत्याशी पंकज अहिरवार को चुनाव हराकर लोकसभा पहुंचे हैं। लगातार चौथी जीत उन्हें टीकमगढ़ से मिली है, जबकि इससे पहले वे चार बार सागर लोकसभा सीट से सांसद रहे हैं। मोदी सरकार के पहले कार्यकाल में उन्हें 2017 में राज्यमंत्री बनाया गया। फिर उन्हें 2019 में कैबिनेट मंत्री बनाया गया और अब फिर उन्हें कैबिनेट मंत्री बनाया गया है। डॉ. कुमार 1996 में पहली बार सागर लोकसभा सीट से सांसद बने। फिर वे 1998, 1999 और 2004 में भी इसी क्षेत्र से लोकसभा के लिए चुने गए। इसके बाद 2009 में टीकमगढ़ लोकसभा सीट अस्तित्व में आने के बाद उन्होंने टीकमगढ़ से चुनाव लड़ा और फिर जीते और 2014, 2019 और 2024 में वह इसी सीट से लोकसभा के लिए चुने गए।

बचपन से ही राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़े रहे डॉ. वीरेंद्र कुमार 1975 में जयप्रकाश नारायण के संपूर्ण क्रांति आंदोलन में शामिल रहे। 1982 से 1984 तक वे बीजेपी युवा मोर्चा के महामंत्री रहे। 1987 में उन्होंने बजरंग दल का जिला मंत्री का पद संभाला। उन्हें साल 1995 में भाजपा अनुसूचित जाति मोर्चा का प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया था। वे उच्च शिक्षित हैं। उन्होंने पीएचडी कर रखी है। उनके पिता अमर सिंह और माता सुमत रानी हैं। उनका विवाह 1987 में कमल वीरेंद्र से हुआ है। उनकी तीन बेटियां और एक बेटा है। उनका पारिवारिक पेशा खेती-किसानी है। उनके खिलाफ कोई आपराधिक मामला दर्ज नहीं है। डॉ. वीरेंद्र कुमार जमीन से जुड़े नेता हैं। केंद्रीय मंत्री होने के बाद भी वे बिना सुरक्षा क्षेत्र में घूमते रहते हैं। बाइक, स्कूटर घूमते मिल जाते हैं। यहां तक की सब्जी लेने भी पहुंच जाते हैं। वे लोगों से लगातार संवाद करते रहते हैं। आमजन से उनका सीधा जुड़ाव है।

बैतूल से सांसद दुर्गादास उइके बने राज्यमंत्री
बैतूल लोकसभा सीट से लगातार दूसरी बार निर्वाचित हुए दुर्गादास (डीडी) उइके को मोदी सरकार में राज्यमंत्री बनाया गया है। उन्होंने शिक्षक के पद से त्यागपत्र देकर वर्ष 2019 में पहली बार भाजपा की टिकट पर बैतूल संसदीय क्षेत्र से चुनाव लड़ा था और तीन लाख 60 हजार से अधिक मतों से जीत हासिल की थी। बेहतर कार्य प्रणाली के कारण भाजपा ने वर्ष 2024 के चुनाव में दूसरी बार उन्हें मैदान में उतारा था। यह चुनाव भी वे 3 लाख 79 हजार मतों से जीतने में सफल रहे हैं। दुर्गादास उइके का जन्म 29 अक्टूबर 1963 में ग्राम मीरापुर जिला बैतूल में हुआ था। उनके पिता स्व. सूरतलाल उइके, माता स्व. रामकली उइके, पत्नी ममता उइके हैं। राजनीति में आने से पहले वे शिक्षक थे। उन्होंने एमए और बीएड किया है।

सावित्री ठाकुर- छोटे से गांव से दिल्ली तक का सफर
मोदी सरकार में राज्यमंत्री बनाई गईं सांसद सावित्री ठाकुर धार जिले के धरमपुरी तहसील के ग्राम तारापुर की रहने वाली हैं। पहाड़ी में बसा हुआ यह एक छोटा सा गांव है। वे 46 साल की उम्र में दूसरी बार सांसद चुनी गई हैं। उन्होंने अपने सामाजिक जीवन की शुरुआत 1996 से की थी। वे एक स्वयंसेवी संस्था के माध्यम से जुड़ी और महिला समन्वयक के तौर पर धार, खरगोन और अन्य क्षेत्रों में आदिवासी और गरीब महिलाओं के उत्थान के लिए कार्य किया। उन्होंने 2003 में राजनीतिक में भारतीय जनता पार्टी के माध्यम से अपना पहला चुनावी सफर शुरू किया वे जिला पंचायत सदस्य चुनी गईं। भाजपा ने उन्हें 2004 में जिला पंचायत अध्यक्ष का दायित्व दिया और 2009 तक उन्होंने इस पद पर सफलतापूर्वक कार्य भी किया। वहीं पार्टी स्तर पर कई महत्वपूर्ण दायित्व भी दिए गए। उन्हें 2014 में अनुसूचित जनजाति बहुल क्षेत्र की महत्वपूर्ण लोकसभा सीट पर भी दायित्व दिया गया। पार्टी ने उन्हें टिकट दिया। इसके चलते उन्होंने 2014 में लोकसभा चुनाव में एक लाख से अधिक मतों से जीत हासिल की। इसके बाद भाजपा ने 2019 के चुनाव में उन्हें टिकट नहीं दिया, लेकिन हाल ही में हुए चुनाव में दो लाख से अधिक मतों से धार लोकसभा सीट से एक बड़े अंतर के साथ जीत हासिल करते हुए दूसरी बार सांसद चुनी गईं।

सावित्री ठाकुर का जन्म 1 जून 1978 को हुआ था। वे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ) की पृष्ठभूमि से आती हैं। सावित्री के नाम में ही सिर्फ ठाकुर लगा है, लेकिन मूल रूप से वे आदिवासी समाज से आती हैं। वे 10वीं तक पढ़ी हुई हैं।