– सुरेन्द्र सिंह हुड्डा
“ जो गरजते हैं वो बरसते नहीं ” यह उक्ति वर्तमान भारत के संदर्भ में अनुचित प्रतीत होती है क्योंकि मोदी गरजते भी हैं और बरसते भी हैं। देश का एक नागरिक होने के नाते मेरा यह मानना है कि देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की नीयत और नीति देश की सबसे बड़ी बुराई ‘भ्रष्टाचार’ को नष्ट करने की है। यही कारण है कि इस वर्ष 15 अगस्त 2022 को लाल किले की प्राचीर से देश को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भ्रष्टाचार को समाप्त करने की अपनी गंभीरता को दोहराया और देश की जनता को यह अहसास दिलाने की कोशिश भी की कि नागरिकों का यह कर्तव्य है कि वह भी भ्रष्टाचार को समाप्त करने में सहयोग करें। नरेन्द्र मोदी ने प्रधानमंत्री बनते ही सरकारी तंत्र को पारदर्शी बनाने के अनेक सार्थक प्रयास किए जोकि सफल भी हुए। डिजिटल लेनदेन का व्यापक उपयोग शुरू होना इस दिशा में सबसे बड़ा उदाहरण है।
नरेन्द्र मोदी न होते तो क्या होता? यह एक ऐसा विषय है जिस पर विचार अवश्य होना चाहिए ताकि देश की वर्तमान परिस्थितियों से उनकी तुलना हो सके। मान लो कि यदि 2014 में भाजपा नेतृत्व की मोदी सरकार न आई होती और कांग्रेस के किसी नेता के नेतृत्व में केंद्र सरकार बनी होती तो क्या यह संभव होता कि उनके दूसरे कार्यकाल में जम्मू कश्मीर से धारा 370 हटती और क्या माननीय उच्चतम न्यायालय में राममंदिर को लेकर चल रहे कानूनी मामले में कांग्रेस नेतृत्व की सरकार सकारात्मक रुख रखती? इतना ही नहीं क्या यह भी संभव हो पाता कि दशकों से पिस रही मुस्लिम समुदाय की महिलाओं को कांग्रेस सरकार के रहते न्यायालय से तीन तलाक मामले में न्याय मिलता? देश यह कभी नहीं भूल सकता कि 2014 से पहले कांग्रेस नेतृत्व की सरकार भ्रष्टाचार के प्रति बेहद नकारात्मक रुख अपनाए हुए थी और उसी कारण देश की अधिकांश जनता ने कांग्रेस के विरुद्ध जाते हुए भारतीय जनता पार्टी के प्रधानमंत्री उम्मीदवार नरेन्द्र मोदी पर विश्वास जताते हुए एकतरफा मतदान किया।
यदि देश की जनता 2014 में भी कांग्रेस नेतृत्व वाले गठबंधन को सत्ता में बैठा देती तो हमारे देश में भी श्रीलंका की तरह जनता व्यवहार करती हुई दिखाई देती। इसलिए यहाँ यह भी जिक्र करना आवश्यक हो जाता है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के पिछले 8 वर्षों में भारत सरकार की विदेश नीति के क्या परिणाम रहें और अगले दशक में भारत किस प्रकार ‘शक्ति का केन्द्र’ बनने जा रहा है । इसे समझने के लिए पाकिस्तान के वरिष्ठ पत्रकार दानिश तरार के उस बयान पर ध्यान देना चाहिए जिसमें उन्होंने कहा है कि भारत ने रूस से एस-400 मिसाइल खरीदा, अमेरिका भारत पर प्रतिबंध लगाने की हिम्मत नहीं कर रहा है, भारत का इजरायल और ईरान, दोनों ही देशों से अच्छे संबंध हैं, सऊदी अरब आज भारत के साथ खड़ा है, यूएई और भारत के बीच 70 अरब डॉलर का व्यापार है और यह भारत की परफेक्ट विदेश नीति का उदाहरण है।
भारत के दो पूर्व विदेश सचिव व आठ अलग-अलग रणनीतिकार विश्लेषकों ने मिलकर भारत की विदेश नीति पर एक किताब लिखी है। किताब का नाम है ‘इंडियाज पाथ टू पॉवर: स्ट्रैटजी इन ए वर्ल्ड एड्रिफ्ट”, इस किताब के संदर्भ में सभी वरिष्ठ पूर्व अधिकारी एक बात पर सहमत हैं, कि भारत की विदेश नीति में व्यापक बदलाव हुए है जो बहुत सकारात्मक है । नरेन्द्र मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल का शुरूआती समय उन सभी संवेदनशील मुद्दों को ‘निपटाना’ के रहें हैं जो भारत के सामने कई दशकों से चुनौती दे रहे थे । कश्मीर से अनुच्छेद 370 को खत्म करना , भारत में नागरिकता कानून “ सीएए” पर विचार करना प्रमुख थे और इन पर ज़बर्दस्त काम भी हुआ है हालाँकि इन बदलावों पर पश्चिमी देशों के साथ-साथ विपक्षी दलों ने भी मानवाधिकार उल्लंघन के सवाल उठाए ।
मोदी सरकार की परीक्षा कोरोना महामारी के रूप में तथा उसके कारण उत्पन्न हुई देश की आर्थिक परिस्थितियां भी रहीं हैं । मुश्किल समय में लद्दाख में चीन की आक्रामकता ने भी सरकार की परीक्षा को और कठोर कर दिया। हमारे विपक्ष ने कठिन समय पर मोदी सरकार के साथ खड़े होने की बजाए, राजनीतिक लाभ लेने की कई कोशिशें की। विपक्षी दलों की नकारात्मक सोच के कारण मोदी सरकार के लिए विदेश नीति पर ‘आम राय’ कायम करना काफी मुश्किल हो गया और सरकार विदेश नीति पर अपने हिसाब से आगे बढ़ती रही। नरेन्द्र मोदी सरकार को हर मोर्चे पर मिली बड़ी चुनौतियाँ और उनकी कामयाबी सरकार की स्पष्ट नीति के कारण ही जीत दर्ज करने में सफल रहीं।
विदेश नीति पर निरंतर अग्रसर नरेन्द्र मोदी सरकार ने भारत के सभी पड़ोसी देशों के साथ मित्रता भावना अपनाने में कोई कसर नहीं छोड़ी परंतु पाकिस्तान की तरफ से निरंतर छल मिलता रहा जिसका पर्याप्त जवाब देना बनता था जोकि मोदी सरकार ने बेहतरीन प्रदर्शन कर बालाकोट सर्जिकल स्ट्राइक के रूप में दिया। जब नेपाल में भयंकर भूकंप से वहाँ बहुत क्षति हुई, तब भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आपात बैठक बुलाई और हरसम्भव मदद देने के लिए आदेश दिए जो शाम 4 बजे नेपाल पहुँच गई । हाल ही में हमारे पड़ोसी देश श्रीलंका में जनता भुखमरी के कगार पर पहुँच गई तब भी मोदी सरकार ने अपने पड़ोसी देश के लिए सम्भव सहयोग किया । मोदी सरकार के नेतृत्व में मालदीव के साथ बिगड़े हमारे सम्बन्ध अच्छे हुए हैं वहीं श्रीलंका के पोर्ट पर भारत का नियंत्रण चीन से पुनः लेकर स्थापित हो गया है ।
विश्व में अमरीका, रूस, युरोपीय देश, अरब देश भारत को मित्र मानकर सम्मान करते हैं वहीं चीन भी कोई दुस्साहस करने की हिम्मत नहीं जुटा पा रहा। यूक्रेन युद्ध के दौरान बड़ी संख्या में भारतीय छात्रों को सुरक्षित निकाल कर लाना पूरे विश्व ने देखा है। यह सभी नरेन्द्र मोदी जी के कुशल नेतृत्व के कारण ही सम्भव हुआ है। इसके अलावा मोदी सरकार ने “बिम्सटेक” पर खासा ध्यान दिया है, जिसमें बांग्लादेश, भारत, म्यांमार, श्रीलंका, थाईलैंड, नेपाल और भूटान शामिल हैं और भारत सरकार की मौजूदा विदेश नीति में इस संगठन को काफी प्रमुखता दी जा रही है। इन सभी के चलते यह कहा जा सकता है कि आने वाला दशक भारत के लिए एक नायक की भूमिका वाला होने वाला है।
नरेन्द्र मोदी ने भारत को नया भारत बनाने के लिए अनेक प्रभावशाली योजनाओं को धरातल पर उतार कर कामयाब भी किया है । जिसमें प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना छोटे किसानों को प्रोत्साहन दे रही है । बात करें प्रधानमंत्री मुद्रा योजना की तो इससे गैर-कॉर्पोरेट, गैर-कृषि , लघु या सूक्ष्म उद्यम से जुड़े लोगों को दस लाख रुपये तक का ऋण दिया जा रहा है जो भारत जैसे विशाल जनसंख्या वाले देश में जीवन रेखा का काम कर रही है । आयुष्मान भारत जोकि स्वास्थ्य बीमा की योजना है, जिसमें सीधे तौर पर मध्यम वर्ग और गरीब परिवारों को मदद मिल रही है । सबको घर मिले इस लक्ष्य को प्राप्त करने की दृष्टि से मोदी सरकार की ओर से घर बनाने में भी आर्थिक मदद दी जा रही है। मोदी सरकार में उज्जवला योजना महिलाओं के लिए शुरू की गई सबसे महत्वपूर्ण योजनाओं में से एक है। इस योजना के अंतर्गत बड़ी संख्या में गरीब परिवारों को निःशुल्क गैस कनेक्शन बांटे गए हैं ।
जीवन बीमा के महत्व को समझते हुए मोदी सरकार की ओर से दो बीमा योजना शुरू की गई है। इन योजनाओं में प्रधानमंत्री सुरक्षा बीमा योजना और प्रधानमंत्री जीवन ज्योति बीमा योजना शामिल है । ग़रीबों को बैंकिंग सेवाओं से जोड़ने के लिए जन-धन खाता योजना के अंतर्गत हर परिवार को बैंकिंग सुविधा मिल रही है । इस योजना के तहत एक परिवार के दो सदस्य जन-धन योजना में जीरो बैलेंस खाता खोल सकते हैं। देश में गरीबी के कारण बहुत बड़ी संख्या भूखे पेट ही रह जाती थी , इसी कारण को देखते हुए मोदी सरकार ने प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना में 5 किलो राशन प्रति व्यक्ति, प्रति महीने मुफ्त देना शुरू किया है । इस योजना से देश के 80 करोड़ से अधिक लोगों को लाभ मिल रहा है । कोरोना महामारी वर्ष 2020 में नरेन्द्र मोदी सरकार ने प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना (पीएम-जीकेएवाई) की घोषणा की थी। इस योजना को खाद्य सुरक्षा कानून के रूप शुरू किया गया है ।
कुल मिलाकर कहा जा सकता है कि मोदी जी वास्तव में देश के विकास के पहिये की धुरी हैं और धुरी ही समस्त चक्र को चलाती हुई आगे की ओर ले चलती है। कहने की आवश्यकता नहीं कि विकास का यह पहिया यूँ ही चलता रहना चाहिए, इसका रुकना देश के विकास में बाधा का काम करेगा जो कोई भी सच्चा भारतीय कभी नहीं चाहेगा।
(लेखक, भाजपा हरियाणा मीडिया सह-प्रमुख हैं।)