– डॉ. प्रभात ओझा
हेलिकॉप्टर हादसे में ईरान के राष्ट्रपति इब्राहिम रईसी और विदेश मंत्री हुसैन अमीर अब्दुलाहियन सहित अन्य सभी लोगों की मौत हो गई। आधिकारिक घोषणा से पहले इस्लामिक रिवोल्यूशनरी गार्ड कॉर्प्स (आईआरजीसी) की वेबसाइट से लेकर ईरानी टेलीविजन्स के एंकर और समाचार वाचकों के काले कपड़ों ने देश के लिए सबसे बड़े शोक का संकेत दे दिया था। मुख्य बात यह है कि इसके पहले ही ईरान में जिस तरह की हलचल दिख रही थी, वह स्वयं ईरान और मध्य एशिया के लिए शुभ नहीं कही जा सकती। आशंका का तत्काल कारण इजराइल-हमास के बीच चली झड़पें हैं।
इन झड़पों की वजह से यह भी कहा जा रहा है कि ईरानी राष्ट्रपति की हेलिकॉप्टर दुर्घटना दरअसल, साजिश है। ईरान अपने राष्ट्रपति की स्थिति पर कुछ बोले, उसके काफी पहले इजराइल की इस बारे में प्रतिक्रिया सिर्फ असावधानी नहीं कही जा सकती। इजराइल ने दुनिया में सबसे पहले इस पर टिप्पणी की और कहा कि हादसे में अब किसी के भी बचने की संभावना नहीं है। उधर, अमेरिकी कांग्रेस के एक सीनेटर ने तो यहां तक कह डाला कि इस हादसे में एक बड़े ‘आतंकवादी’ का अंत हो गया। उसका इशारा ईरानी राष्ट्रपति के न्यायिक प्रमुख के रूप में लिए गए फैसलों की तरफ रहा होगा।
इजराइल और अमेरिकी सीनेटर के बयान के निहितार्थ निकाले जाएंगे। अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने अवश्य ईरान की सरकारी घोषणा के पहले सीनेट हाउस से किसी भी तरह के बयान को स्थगित रखा। यह इजराइल- हमास संघर्ष में इजराइल के साथ खड़े अमेरिका की कूटनीतिक समझदारी ही हो सकती है। हमास लड़ाकों के साथ ईरानी आईआरजीसी के रिश्तों को लेकर पहले से ही दुनिया में चर्चा रही है। इसीलिए इस युद्ध को इजराइल-ईरान संघर्ष बनने में देर नहीं लगी। अप्रैल में चली झड़पों के बीच ईरानी हमले के बाद इजराइल ने ईरान को इसकी कीमत भुगतने की चेतावनी दी थी। यही कारण है कि हिजबुल्लाह प्रमुख हसन नसरल्लाह के बेटे ने अब इस हादसे के बाद परोक्ष रूप से इजराइल को धमकी दी है। उसने कहा कि यदि यह साजिश है, तो हिजबुल्लाह दुनिया का नक्शा बदल देगा। हिजबुल्लाह एक शिया इस्लामी संगठन है और ईरान भी शिया राष्ट्र है।
स्वाभाविक तौर पर ईरान को अभी कुछ दिन इस आपदा से उबरने का वक्त चाहिए। फिलहाल इब्राहिम रईसी की जगह उपराष्ट्रपति मोहम्मद मोखबर देजफुली को उनकी जगह ईरान के राष्ट्रपति का दायित्व सौंपा गया है। ईरानी व्यवस्था के तहत 50 दिन के अंदर नए राष्ट्रपति का चुनाव कराया जाएगा। इब्राहिम रईसी की तरह मोहम्मद मोखबर देजफुली भी ईरान के सर्वोच्च नेता अली खोमोनेई के बेहद करीबी हैं। उम्मीद की जाती है कि मोहम्मद मोखबर ही अगले राष्ट्रपति हो सकते हैं। राष्ट्रपति इब्राहिम रईसी को सर्वोच्च नेता अली खोमोनेई का उत्तराधिकारी माना जा रहा था। उम्र के 80 साल पार कर चुके खोमोनेई की जगह अब मोहम्मद मोखबर ले सकते हैं।
ईरान में राजनेताओं के साथ सेना और धार्मिक नेता मिलकर ही देश चलाते हैं। इस व्यवस्था के तहत राष्ट्रपति ही न्यायिक प्रमुख भी हुआ करता है। इस तरह ईरान में भावुकता भरे माहौल में एक कट्टर के बाद उसी तरह के राष्ट्रपति का चुनाव सम्भव हो सकेगा। हालांकि समस्या सिर्फ यही नहीं होगी। ईरान के अंदर उथलपुथल का असर उसकी अर्थव्यवस्था पर भी पड़ेगा। इस समय ईरान आर्थिक बदहाली में है। उसे जल्द संभलते हुए अपने तेल व्यवसाय पर भी नजर रखनी होगा। ईरान का तेल सबसे अधिक चीन को निर्यात होता रहा है। चीन और रूस इस परिदृश्य में ईरान के ही साथ हैं। फिर भी अपने लोगों को संभालते हुए दुनिया, खासकर मध्य एशिया में अपनी स्थिति ठीक रखना ईरान के लिए एक चुनौती है। राष्ट्रपति रईसी के जाने से यह चुनौती और अधिक बढ़ गई है।
(लेखक, स्वतंत्र पत्रकार हैं।)