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मध्य प्रदेश की पांच हस्तियां होंगी पद्मश्री से सम्मानित, मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने दी बधाई

भोपाल। गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर पद्म पुरस्कारों की घोषणा कर दी गई। इसमें मध्य प्रदेश की भी पांच हस्तियां शामिल हैं, जिन्हें पद्मश्री सम्मान से नवाजा जाएगा। इनमें रेशम और सूती महेश्वरी साड़ियां बनाने के लिए जानी जाने वाली सैली होल्कर, निमाड़ के प्रसिद्ध उपन्यासकार जगदीश जोशीला, निर्गुण कबीर गायक भेरू सिंह चौहान, सतना के समाजसेवी डॉ. बुधेंद्र कुमार जैन और भोपाल के प्रसिद्ध चित्रकार हरचंदन सिंह भट्टी के नाम शामिल हैं।

मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने पद्मश्री से सम्मानित होने वाली मध्य प्रदेश की पांच विभूतियों को हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं दी हैं। उन्होंने कहा है कि भेरूसिंह चौहान (कला), बुधेन्द्र कुमार जैन (चिकित्सा), हरचंदन सिंह भट्टी (कला), जगदीश जोशिला (साहित्य एवं शिक्षा) और सैली होल्कर (व्यापार एवं उद्योग) ने अपने-अपने क्षेत्रों में उत्कृष्ट कार्य कर प्रदेश के नाम को गौरवान्वित किया है।

मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने केन्द्र सरकार द्वारा मध्यप्रदेश की पांच प्रतिष्ठित विभूतियों को पद्मश्री सम्मान प्रदान करने की घोषणा पर आभार जताया है। उन्होंने कहा है कि यह अत्यन्त गर्व का क्षण है। मध्य प्रदेश की विभूतियों का पद्म पुरस्कारों से सम्मानित किया जाना उनकी कड़ी मेहनत और अपने कार्यक्षेत्र में की गई सेवा का सच्चा सम्मान है। मुख्यमंत्री ने सम्मानित होने वाली सभी विभूतियों के उज्ज्वल भविष्य की कामना की है।

मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि यह सम्मान न केवल इन व्यक्तियों की उपलब्धियों को रेखांकित करता है, बल्कि समाज को प्रेरणा भी प्रदान करता है। उन्होंने विश्वास जताया कि देश और प्रदेश के विकास में इन विभूतियों का योगदान आगे भी महत्त्वपूर्ण साबित होगा।

प्रसिद्ध निर्गुण कबीर गायक भैरू सिंह
भैरू सिंह इंदौर जिले के महू के रहने वाले हैं। वे निर्गुण कबीर गायक हैं। भैरू सिंह चौहान बचपन से ही पारंपरिक मालवी लोक शैली में भजन गायन से जुड़े रहे। वे भक्ति संगीत की मंडलियों में भजन गाया करते थे। संत कबीर, गोरक्षनाथ, संत दादु, संत मीराबाई, पलटुदास और अन्य संतों की वाणियों को गाया करते थे। उन्हें ये कला विरासत में मिली है। इनके पिता माधु सिंह चौहान भी लोक गायन किया करते थे।

सैली ने महिलाओं को दिया रोजगार
महेश्वर की शालिनीदेवी (सैली) होलकर रेशम और सूती महेश्वरी साड़ियां बनाने के लिए जानी जाती हैं। उन्होंने महेश्वर के पास गुड़ी मुड़ी के नाम से बुनकर परिवारों को बसाया है। यहां की महेश्वरी साड़ी देश-विदेश में पहुंचती है। महेश्वर के साहित्यकार हरीश दुबे बताते हैं कि 1978 में बाजार मंदी के दौर से गुजर रहा था, तब उन्होंने संवेदनशीलता का परिचय देते हुए महेश्वरी साड़ी व सूती कपड़ों के उत्पादन के लिए रेवा सोसायटी स्थापित की और लोगों को रोजगार उपलब्ध कराया।

2003 में उन्होंने महिलाओं को सशक्त बनाने के लिए वूमनवीव चैरिटेबल ट्रस्ट की स्थापना की। मध्य प्रदेश के महेश्वर और डिंडौरी की महिलाओं को अर्ध-स्वचालित चरखों पर खादी कातने की पहल की। इसके बाद, 2009 में उन्होंने वूमनवीव के गैर-बुनाई पृष्ठभूमि की महिलाओं के लिए गुड़ी मुडी परियोजना शुरू की, जो बिना आजीविका के परिवारों को स्थानीय कपास से सूत कातने के माध्यम से आर्थिक स्वतंत्र बना रही है। फिलहाल यहां 250 से ज्यादा महिला बुनकर और 110 हथकरघे है।

60 से ज्यादा किताबें लिख चुके जगदीश जोशीला
निमाड़ के उपन्यासकार जगदीश जोशीला (76) गोगांवा पांच दशक से हिंदी साहित्य व लोकभाषा निमाड़ी में सृजन कर रहे हैं। उन्होंने साहित्य की हर विधा में कलम चलाई है। उनकी 60 से ज्यादा पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं। उनके उपन्यास देवीश्री अहिल्याबाई, जननायक टंट्या मामा, संत सिंगाजी, राणा बख्तावर सिंह, आद्यगुरु शंकराचार्य समेत कई ऐतिहासिक उपन्यास चर्चित रहे हैं। साहित्यकार हरीश दुबे बताते हैं कि 1953 में उन्होंने स्वतंत्रता संग्राम सेनानी जगदीश विद्यार्थी, बंकिम जोशी, रमाकांत खोड़े, पद्मश्री रामनारायण उपाध्याय, बाबूलाल सेन, गौरीशंकर गौरीश के साथ अखिल निमाड़ लोक परिषद संस्था स्थापित की। जिसके देशभर में 3000 सदस्य हैं। हाल में इस कालातीत संस्था को पुनर्जीवित कराया।

समाजसेवी हैं सतना के डॉ. बुधेंद्र कुमार जैन
डॉ. बुधेंद्र कुमार जैन सतना जिले के चित्रकूट के सदगुरु नेत्र चिकित्सालय के निदेशक हैं। वे जनरल मेडिसिन/इंटरनल मेडिसिन के क्षेत्र में विशेषज्ञता रखते हैं। सतना शहर के मूल निवासी हैं। उन्हें यह सम्मान सतना शहर के गौरव दिवस के अवसर पर मिला है। कलेक्टर अनुराग वर्मा ने डॉ. जैन को बधाई दी है। इन्होंने शासकीय वेंकट क्रमांक एक विद्यालय से प्रारंभिक शिक्षा ग्रहण की। सतना जिले में ये दूसरा पद्मश्री पुरस्कार है। इनसे पूर्व बाबूलाल दाहिया को जैव विविधिता एवं अनाज के देसी बीजों के सरंक्षण संवर्धन के लिए 2019 में पद्मश्री मिल चुका है। डॉ. जैन के बेटे डॉ. इलेश जैन ने कहा कि चिकित्सा सेवा में जीवनभर की तपस्या का फल मिला है। ईश्वर की कृपा है। इससे हमारे मानव सेवा के संकल्प को और ऊर्जा मिलेगी।

इसके अलावा हरचंदन सिंह भट्टी को कला के क्षेत्र में पद्मश्री सम्मान मिला है। भोपाल के बहुकला केन्द्र भारत भवन से जुड़े हरचंदन सिंह भट्टी जनजातीय कला एवं संस्कृति के सुप्रसिद्ध चित्रकार हैं।