Friday, September 20"खबर जो असर करे"

लॉर्ड्स में झूलन गोस्वामी को यादगार विदाई देना चाहेगी भारतीय महिला क्रिकेट टीम

लंदन। महिला क्रिकेट (women’s cricket) में ‘तेज गेंदबाजी’ का पर्याय बनने वाली झूलन गोस्वामी (Jhulan Goswami) शनिवार को लॉर्ड्स में अपना आखिरी अंतरराष्ट्रीय मैच (last international match) खेलेंगी और भारतीय टीम इस मैच को जीतकर अंग्रेजी धरती पर एक ऐतिहासिक एकदिवसीय श्रृंखला में क्लीन स्वीप करना चाहेगी।

लॉर्ड्स में एक मैच खेलना एक क्रिकेटर के लिए अंतिम सपना होता है। शतक बनाना या पांच विकेट लेना अलग बात है, लेकिन क्रिकेट के मक्का में शानदार करियर के बाद खेल को अलविदा कहने का मौका कुछ भाग्यशाली खिलाड़ियों को ही मिलता है।

सुनील गावस्कर (हालाँकि उन्होंने अपना अंतिम प्रथम श्रेणी मैच यहां खेला था), सचिन तेंदुलकर, ब्रायन लारा और ग्लेन मैक्ग्रा जैसे बड़े खिलाड़ियों को भी यह मौका नहीं मिला है। यहां तक कि लगभग 20 वर्षों तक गोस्वामी की सहयोगी रहीं मिताली राज भी क्रिकेट के मैदान से संन्यास नहीं ले सकीं।

लेकिन इसे नियति कहें या योजना, गोस्वामी का आखिरी मैच लॉर्ड्स में हो रहा है। 5 फीट 11 इंच की झूलन जब अपने आखिरी मैच में उस लॉन्ग रूम से गुजरेंगी, जहां एमसीसी के अधिकारी खड़े होंगे और उनकी साथी खिलाड़ी उन्हें ‘गार्ड ऑफ ऑनर’ देंगी तो यह पल उनके जीवन का कभी न भूलने वाला पल होगा।

सीरीज पहले ही 2-0 की अजेय बढ़त के साथ जीत चुकी है, हरमनप्रीत कौर और उनकी टीम झूलन को एक उपयुक्त विदाई बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ेगी।

पिछली बार भारतीय महिलाओं ने इंग्लैंड में 1999 में एकदिवसीय श्रृंखला जीती थी जब गोस्वामी ने अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में पदार्पण नहीं किया था। इसलिए जब वह अपने 204वें और आखिरी मैच में मैदान पर उतरेंगी तो अपने आपको काफी संतुष्ट पाएंगी।

सुदूर पश्चिम बंगाल के एक छोटे से शहर चकदाह से लेकर ‘आईसीसी वुमन क्रिकेटर ऑफ द ईयर’ जीतने और 20 साल तक भारतीय तेज आक्रमण को संभालने के बाद जब वह आखिरी बार गेंदबाजी करने उतरेंगी तो उनके जेहन में बहुत सी खट्टी मिठी यादें होंगी। साथ ही वह अपने 353 अंतरराष्ट्रीय विकेटों (सभी प्रारूपों में) में कुछ और अंक भी जोड़ना चाहेंगी, जिससे लॉर्ड्स में उनका आखिरी मैच कभी न भूलने वाला मैच हो जाए।

भारत के लिए पदार्पण करने के बाद भी जब वह चकदह स्टेशन से घर वापस जातीं तो एक खुले वैन रिक्शा में बैठी नजर आतीं। जब वह पहली बार भारत के लिए खेली थी, तब शैफाली वर्मा और ऋचा घोष पैदा भी नहीं हुई थीं और जेमिमाह रोड्रिग्स शायद काफी छोटी थीं। वहीं, हरमनप्रीत एक ऐसी युवा लड़की थीं, जिनकी आंखों में एक क्रिकेटर बनने का सपना था। अब जब वह रिटायर हो रही हैं तो हरमनप्रीत उनकी कप्तान हैं और शैफाली, जेमिमाह, ऋचा और यास्तिका उनकी साथी खिलाड़ी हैं।

और हां, वर्तमान में महिलाओं के लिए आईपीएल शुरू होने वाला है, महिला क्रिकेटरों के पास केंद्रीय अनुबंध हैं और उनमें से ज्यादातर मर्सिडीज, बीएमडब्ल्यू और ऑडी चला रही हैं।

वहीं झूलन द्वितीय श्रेणी के डिब्बों में यात्रा करने के संघर्षों, एक कमरे में रहने और कॉमन शौचालयों वाले युवा छात्रावासों से लेकर बिजनेस क्लास यात्रा तक और उचित केंद्रीय अनुबंधों और वित्तीय सुरक्षा के साथ शानदार फाइव-स्टार में रहने के बीच एक सेतु रही है। कोई भी आश्वस्त कर सकता है कि इंग्लैंड के खिलाफ आखिरी मुकाबले में भी उनकी तीव्रता में कोई कमी नहीं आएगी। एक बात और अब कोई और झूलन गोस्वामी नहीं होगी। (एजेंसी, हि.स.)