– योगेश कुमार सोनी
केंद्र ने इसी साल फरवरी में खुलासा किया था कि देश में पहली बार जम्मू-कश्मीर में 59 लाख टन लिथियम का भंडार मिला है। इस लिथियम की कीमत अंतरराष्ट्रीय बाजार में भारतीय मुद्रा के रूप में करीब 3,000 अरब रुपये आंकी गई है। जम्मू-कश्मीर प्रशासन इस साल दिसंबर की शुरुआत में जम्मू-कश्मीर के रियासी जिले में पाए जाने वाले लिथियम भंडार की नीलामी शुरू करेगा। लिथियम क्या होता है, यह भी जानकारी होनी जरूरी है। लिथियम एक तरह का रेअर एलिमेंट है। इसका इस्तेमाल मोबाइल फोन, लैपटॉप, इलेक्ट्रिक व्हीकल समेत दूसरे चार्जेबल बैटरियों को बनाने में किया जाता है। लिथियम एक नरम और चांदी जैसी की तरह दिखने वाली सफेद धातु है। इसका इस्तेमाल रिचार्जेबल बैटरी के लिए सबसे ज्यादा किया जाता है और यह धरती के अंदर नमकीन जलाशयों और सख्त चट्टानों से निकाला जाता है।
यदि दुनियाभर में लिथियम भंडार की स्थिति को देखें तो इस मामले में चिली 93 लाख टन के साथ पहले नंबर पर है। ऑस्ट्रेलिया 63 लाख टन के साथ दूसरे नंबर पर है और अब कश्मीर में 59 लाख टन भंडार मिलने से हमारा देश तीसरे नंबर पर आ गया है। अब मन में सवाल यह है कि क्या हम इसके प्रयोग से अपने देश को अहम देशों में कैसे दर्ज करवा सकते हैं। चूंकि इसे एक ऐसे खजाने के रूप में देखा जा रहा है जिससे हम अपनी तकदीर व तस्वीर बदल सकते हैं। वैसे भी आज हम इलेक्ट्रिक वाहनों की ओर आगे बढ़ रहे है और चीन ने अब तक दुनिया के कई देशों में इलेक्ट्रिक वाहन बेचे हैं। इसका खरीदार भारत भी है। हालांकि बीते लगभग तीन वर्षों में हमारे देश की तमाम कंपनियां अपने इलेक्ट्रिक वाहन बना रही हैं।
इनमें टाटा मोटर्स, महिन्द्रा, हीरो मोटो कॉर्प व अशोक लीलेंड के अलावा तमाम बड़ी कंपनियां हैं। अभी भी यह सारी कंपनियां लिथियम-आयन बैटरी बनाने के लिए लिथियम की अपनी जरूरत के हिसाब से आयात करती हैं। 2020-21 में भारत ने 8,811 करोड़ रुपये मूल्य के लिथियम-आयन का आयात किया था। सरकार के डेटा के मुताबिक, इसका 95 फीसदी हिस्सा हांगकांग और चीन से आया था। इसके लिए बड़ी मात्रा में विदेशी मुद्रा खर्च करनी पड़ती है।
यह बताने का अर्थ यह हुआ कि हम इलेक्ट्रिक वाहनों के बड़े बाजार तो बनते जा रहे हैं लेकिन लिथियम को लेकर हमारी निर्भरता बाहरी देशों पर थी, लेकिन जिस तरह इतनी बड़ी मात्रा में हमें लिथियम मिला है, उससे भारत का बेहतर भविष्य हो सकता है। चूंकि हम बढ़ती जनसंख्या और बढ़ते प्रदूषण की वजह से एक गलत दिशा में जा रहे हैं। इसे रोकने के लिए सरकार इलेक्ट्रिक वाहनों को बढ़ावा दे रही है। लेकिन जितनी रफ्तार से सरकार ने इसको लेकर हुंकार भरी थी हम उतनी तेजी से इस पर विजय प्राप्त नही कर पाए। चूंकि इलेक्ट्रिक वाहन अन्य वाहनों की अपेक्षा महंगे हैं। और यदि इसमें भी कारों की बात करें तो वह अत्यधिक महंगी है। उदाहरण के तौर पर अगर पेट्रोल या डीजल कार 12 से 15 लाख रुपये में मिलती है तो इलेक्ट्रिक कार में लगभग पांच से सात लाख रुपया और खर्च करना पड़ता है। इसका मुख्य कारण इसकी बैटरी को माना जाता है।
इसके अलावा मोबाइल फोन के संदर्भ में बात करें तो चाइनीज फोन आज भी सस्ते हैं। इसका सबसे कारण चीन के पास सबसे अधिक लिथियम और सस्ते श्रमिक हैं। फिलहाल चीन में एक टन लिथियम की कीमत करीब 51,19,375 रुपये है। चीन से मोबाइल फोन का आयात 2020-21 में 1.4 अरब डॉलर था लेकिन कोरोना के बाद से कुछ प्रतिशत कम हुआ है। बावजूद इसके आज भी सस्ते मोबाइल चीन से आयात किये जाते हैं। वह हमारे देश से केवल मोबाइल फोन से करोडों रुपये कमाता है। यदि लैपटॉप की बात करें तो 87 प्रतिशत चीन से आ रहे हैं। पिछले पांच वर्ष में भारत का लैपटॉप आयात मूल्य के लिहाज से पिछले पांच वर्ष में 42 फीसदी बढ़कर 2.97 अरब डॉलर से 4.21 अरब डॉलर हो चुका है।
मंत्रालय ने बताया है कि लिथियम और गोल्ड सहित 50 से अधिक खनिज ब्लॉक संबंधित राज्य सरकारों को सौंप दिए गए हैं। इन खनिज ब्लॉक में से पांच ब्लॉक सोने के हैं और अन्य ब्लॉक 11 राज्यों में हैं। इनमें जम्मू-कश्मीर, छत्तीसगढ़, आंध्र प्रदेश, गुजरात, तेलंगाना, ओडिशा, झारखंड, मध्य प्रदेश, राजस्थान, तमिलनाडु और कर्नाटक शामिल हैं। ये हिस्सा पोटाश, बेस मेटल, मोलिब्डेनम आदि जैसी वस्तुओं से संबंधित हैं। जीएआई द्वारा तैयार फील्ड सीजन 2018-19 से अब तक किए गए कार्यों के आधार पर ब्लॉक तैयार किए गए थे। इनके अलावा लगभग 8000 मिलियन टन संसाधन वाले कोयला और लिग्नाइट की 17 रिपोर्ट भी कोयला मंत्रालय को सौंपी गई हैं।
मंत्रालय इस वर्ष लिथियम की नीलामी का पूरा खाका तैयार कर चुका है। इस पर बड़ा प्रश्न यह है कि लिथियम का वितरण कंपनियों को किस पैमाने पर होगा। चूंकि इसके प्रयोग से इलेक्ट्रिक वाहन और मोबाइल का बाजार सस्ता तो हो जाएगा लेकिन क्या कंपनियों के लिए कोई मात्रा निर्धारित होगी? वैसे तो निश्चित तौर पर तय होनी चाहिए। इसके लेनदेन और वितरण में पूर्ण पारदर्शिता होनी चाहिए। …सवाल तो और भी होंगे पर एक बात पक्की है कि भारत में लिथियम मिलने से हमारी चीन और अन्य देशों से कई चीजों की निर्भरता खत्म हो गई है। भारत नया इतिहास लिखने को तैयार है।
(लेखक, स्वतंत्र टिप्पणीकार हैं।)