Friday, September 20"खबर जो असर करे"

कार्बी आंगलोंग की लपटों से झुलस सकता है शिलांग

– असरार अंसारी

असम-मेघालय सीमा पर असम के पश्चिम कार्बी आंगलोंग जिला में हुई गोलीबारी में एक वन रक्षक सहित छह लोगों की मौत के बाद लोगों का गुस्सा ठंडा नहीं पड़ा है। मेघालय सरकार दिखावे के तौर पर इसे काफी दुखद बता रही है पर वह इसका फायदा आने वाले चुनाव में उठाने की तैयारी में है। हालात अगर ऐसे ही रहे तो आने वाले समय में मेघालय की राजधानी शिलांग में रह रहे अन्य राज्य के लोगों के साथ बड़ी अनहोनी घट सकती है।

मेघालय का इतिहास रहा है कि स्थानीय खासी समुदाय बाहरी लोगों के हमले को बर्दाश्त नहीं कर पाता। वह बदले की आग में सुलगने लगता है। हिंसा पर आमादा हो जाता है। पेट्रोल बम फटने लगते हैं। समुदाय के अगर एक व्यक्ति के साथ भी बाहर के लोग मामूली मारपीट भी कर दें तो बवाल मचा देते हैं। यह बवाल बाद में दो समुदायों के बीच दंगा का रूप ले लेता है।

मेघालय सरकार ने कार्बी आंगलोंग की घटना के बाद खासी समुदाय के सिर पर हाथ रख दिया है। इसलिए यह लोग बेखौफ होकर सड़कों पर नंगा नाच कर रहे हैं। मारपीट और आगजनी की घटनाओं से मेघालय पहुंचने वाले पर्यटक असुरक्षित महसूस कर रहे हैं।

फोन पर हुई बातचीत में अन्य राज्य के लोगों ने खुद को मेघालय में असुरक्षित बताया। इन लोगों का कहना है कि कल तक जो यहां के खासी समुदाय के लोग हमें अपना भाई समझते थे, अब दुश्मन समझ रहे हैं। घटना के जिम्मेदार कोई और हैं लेकिन सजा अन्य लोगों को भुगतनी पड़ रहा है। लोग यह बात अनायास नहीं कह रहे। उन्होंने देखा है कि खासी छात्र संगठन के सामने मेघालय सरकार नतमस्तक रहती है। यह भी सच है कि अगर खासी छात्र संगठन नाराज हो गया तो वोट बैंक परबड़ा असर पड़ता है।

घटना के सात दिन बीत जाने के बाद भी मेघालय में स्थिति सामान्य होती नहीं दिख रही है। सरकार के बयान के बावजूद विरोध प्रदर्शन जारी है। हालात ऐसे हो गए हैं कि मेघालय के वाहन असम में प्रवेश नहीं कर रहे।असम के वाहनों को असम पुलिस मेघालय की ओर नहीं जाने दे रही है। इस वजह से मेघालय में आवश्यक खाद्य और अन्य सामग्री की धीरे-धीरे किल्लत होने लगी है।

आने वाले वर्ष में मेघालय विधानसभा का चुनाव है। इसलिए मेघालय सरकार वहां की जनता को नाराज नहीं करना चाहती। स्थिति ऐसी ही बनी रही तो आने वाले समय में हालात और बिगड़ सकते हैं। अभी समय है सरकार शांति के प्रयास करे। हालात नहीं सुधरे तो मेघालय में पेट्रोल और डीजल की किल्लत हो सकती है। पेट्रोल और डीजल के टैंकर चालक और खलासी डरे हुए हैं। वह किसी भी कीमत पर मेघालय नहीं जाना चाहते।

(लेखक, हिन्दुस्थान समाचार से संबद्ध हैं।)