– देश में 56 फीसदी महिलाओं के पास प्रधानमंत्री जन-धन खाते मौजूद
– 46 करोड़ से ज्यादा बैंक खाते में 1.74 लाख करोड़ रुपये की राशि जमा
नई दिल्ली। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Finance Minister Nirmala Sitharaman) ने प्रधानमंत्री जन-धन योजना (पीएमजेडीवाई) (Pradhan Mantri Jan-Dhan Yojana (PMJDY)) के 8 साल पूरे होने पर रविवार को कहा कि बैंकिंग सेवा (banking service) के दायरे से बाहर मौजूद लोगों को वित्तीय व्यवस्था का अंग बनाकर वित्तीय समावेशन की दिशा में कदम बढ़ाए गए हैं। इससे समाज के सभी वंचित तबकों का पूरा आर्थिक विकास सुनिश्चित किया जा सकता है।
सीतारमण ने कहा कि वित्तीय समावेशन समावेशी वृद्धि की ओर बढ़ने वाला एक बड़ा कदम है। इस योजना की मदद से देश की 67 फीसदी ग्रामीण आबादी की पहुंच अब बैंकिंग सेवाओं तक हो चुकी है। इसके अलावा अब 56 फीसदी महिलाओं के पास भी जन-धन खाते मौजूद हैं। जन धन योजना को 2018 के बाद भी जारी रखने का फैसला देश में वित्तीय समावेशन के उभरते परिदृश्य की जरूरतों और चुनौतियों का सामना करने की मंशा से प्रेरित था।
उन्होंने कहा कि जन धन खातों के जरिए लोगों के पास सीधे सरकारी पैसा भेजने और रुपे कार्ड के इस्तेमाल से डिजिटल भुगतान को प्रोत्साहन देने का तरीका अपनाया गया है। सीतारमण ने कहा कि लोगों के जन-धन खातों को उनकी सहमति से आधार नंबर और मोबाइल नंबर से जोड़ने की व्यवस्था (जेएएम) ने विभिन्न सरकारी कल्याण योजनाओं के लाभार्थियों को सीधे पैसे भेज पाना सुविधाजनक हो गया है। उन्होंने कहा कि वित्तीय समावेशन के लिए बनाई गई यह व्यवस्था कोरोना महामारी के समय जरूरतमंद लोगों तक फौरन मदद पहुंचाने में काफी कारगर साबित हुई है।
इस अवसर पर वित्त राज्यमंत्री भागवत कराड ने कहा कि जन-धन योजना न सिर्फ भारत बल्कि, दुनियाभर में वित्तीय समावेशन की दिशा में उठाई गई एक दूरगामी पहल है। उन्होंने कहा कि इसकी वजह से गरीब और वंचित लोगों को अब साहूकारों के चंगुल में नहीं फंसना पड़ता है।
प्रधानमंत्री जन धन योजना की शुरुआत 28 अगस्त, 2014 को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की पहल पर हुई थी। इस योजना के तहत 46 करोड़ से ज्यादा बैंक खाते खोले जा चुके हैं, जिनमें 1.74 लाख करोड़ रुपये जमा हैं। (एजेंसी, हि.स.)