
शुक्रवार देर रात सरकार द्वारा पारित इस प्रस्ताव को अब संसद में पेश किया जाएगा, जहां दोनों सदनों से स्वीकृति मिलने के बाद यह कानून का रूप ले सकेगा।
इटली की प्रधानमंत्री जियोर्जिया मेलोनी, जो इस पहल की प्रबल समर्थक रही हैं, ने इसे देश के कानूनी ढांचे में एक ऐतिहासिक कदम बताया। उन्होंने कहा, यह एक अत्यंत महत्वपूर्ण विधेयक है, जो पहली बार फेमिसाइड को एक अलग अपराध के रूप में मान्यता देता है और इसके लिए आजीवन कारावास की सजा का प्रावधान करता है। इसके अलावा, इसमें व्यक्तिगत उत्पीड़न, स्टॉकिंग, यौन हिंसा और रिवेंज पोर्न जैसे अपराधों के लिए दंड बढ़ाने और कड़ी सजा देने का प्रावधान किया गया है।
सरकार के इस प्रस्ताव का विपक्ष ने समर्थन तो किया है लेकिन यह भी कहा कि यह केवल अपराध के कानूनी पक्ष को मजबूत करता है, जबकि महिलाओं से जुड़े आर्थिक और सामाजिक मुद्दों को अनदेखा करता है।
हाल के वर्षों में इटली में महिलाओं के खिलाफ हिंसा एक गंभीर समस्या बनकर उभरी है, जिसे वहां की परंपरागत पितृसत्तात्मक संस्कृति से भी जोड़ा जा रहा है। कई जघन्य घटनाओं ने देश में लिंग-आधारित अपराधों पर बहस को और तेज कर दिया है।
नवंबर 2023 में 22 वर्षीय विश्वविद्यालय छात्रा जूलिया चेकेटिन की उसके पूर्व प्रेमी फिलिपो तुरेट्टा द्वारा निर्मम हत्या कर दी गई थी। इस घटना ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया और लिंग-आधारित हिंसा पर कानून को और कठोर बनाने की मांग उठी। दिसंबर 2024 में तुरेट्टा को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी।
आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, 2024 में इटली में कुल 113 फेमिसाइड के मामले दर्ज किए गए, जिनमें से 99 हत्याएं पीड़िता के रिश्तेदार, पति या पूर्व-साथी द्वारा की गई थीं, जबकि इटली में कुल हत्या के मामलों में गिरावट देखी गई है, लेकिन महिलाओं की हत्या की दर स्थिर बनी हुई है और यह मुख्य रूप से पारिवारिक या भावनात्मक संबंधों से जुड़ी होती है। (हि.स.)