– ललित मोहन बंसल
ईरान ने खाड़ी में अपने वर्चस्व के लिए आतंकवादी संगठनों-लेबनान में हिज़्बुल्लाह, फ़िलिस्तीन-गाजा में हमास और यमन में हाउती को खूब पाला-पोसा। अब इन्हीं की गलतियों की सजा अगर ईरान भुगतता है तो वह समझ ले कि शिया आतंकवादियों के माई-बाप आयतुल्ला खुमैनी को खाड़ी में सिर छुपाने की भी जगह नहीं मिलेगी?
इज़राइल के यहूदी समुदाय की नसों में खून खौल रहा है। इज़राइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहु विवश होते जा रहे हैं कि वह अपनी अंतिम चाल चल दें, वहीं रूस खुले तौर पर और चीन दबे स्वर में इज़राइल को घेरने की कोशिश में हैं। अन्तरराष्ट्रीय स्तर पर खेमेबंदी जारी है। ध्यान में यह भी रहे कि अमेरिका में अगले महीने राष्ट्रपति चुनाव हैं। प्रतिष्ठा के इस चुनावी माहौल में डेमोक्रेट को चुनाव जीतना है तो राष्ट्रपति पद की उम्मीदवार कमला हैरिस को इज़राइल के पक्ष में खुल कर सामने आना होगा।
बेंजामिन नेतन्याहु ने ईरान की ओर से किए गए क़रीब डेढ़ सौ मिसाइल और ड्रोन हमलों के तुरंत बाद कैबिनेट मीटिंग में फ़ैसला कर लिया कि ईरान ने दूसरी बार मिसाइलों व ड्रोन से सीधे हमला कर बड़ी भारी गलती कर दी है और जल्दी ही इसका करारा जवाब दिया जाएगा।
लेबनान में हिज़्बुल्लाह के मुखिया हसन नस्रुल्लाह और उसके क़रीब एक दर्जन कमांडरों को मौत के मुँह में धकेलने के हफ़्ते-दस दिन बाद आयतुल्लाह खुमैनी के इशारे पर सोमवार रात ईरान ने इज़राइल की राजधानी ‘तेल अवीव’ और धर्मस्थल यरूशलम के पश्चिम तथा अन्याय शहरों को क़रीब डेढ़ सौ मिसाइलों और ड्रोन का सीकर बनाया है। इसमें कुछ मिसाइलें लंबी दूरी की थीं, जिन्हें लक्ष्य तक से पहले ही अमेरिका के लड़ाकू विमानों और इज़राइली आयरन डोम ने निष्क्रिय कर दिया। मिसाइलों से हमले के लिए अमेरिका और इज़राइल पहले से तैयार थे। इससे एक ओर सायरन बजने से लोग सचेत हो गये और घरों एवं आसपास की ख़ंदकों/बंकरों में सिर छुपाने चले गये। वहीं, नेतन्याहु प्रशासन की नजरें व्हाइट हाउस पर टिक गयीं तो बाजुएं ईरान को छठी का दूध याद दिलाने के लिए मचल उठीं। बेंजामिन नेतन्याहु ने अपने मंत्रिमंडल में एक स्वर में फ़ैसला कर लिया।
वहीं, आयतुल्ला खुमैनी को इज़राइल पर मिसाइल छोड़ने पड़े क्योंकि गत जुलाई में राष्ट्रपति मसूद पेशकियाँ के शपथ ग्रहण समारोह में शामिल होने आए हमास के पॉलिटिकल चीफ इस्माइल हानिये को तेहरान में ही लक्ष्यभेदी मिसाइली हमले में मार गिराया था। इसके बाद लेबनान में हिजबुल्ला के प्यादों को पेजर बम, बॉकी-टॉकी बम से हैरान परेशान किया तो अब हिजबुल्ला चीफ हसन नस्रुल्लाह समेत अनेक कमांडरों को जमींदोज कर दिया। हसन नस्रुल्लाह को तो इजरायली सेना ने सटीक निशाना साधते हुए जमीन के 200 फीट नीचे बने सुरक्षित बंकर में ही मौत की नींद सुला दिया। इससे हिजबुल्ला, हमास सहित ईरान और खुमैनी द्वारा पोषित सभी आतंकवादी घबरा गए और उनमें भगदड़ मचने लगी। इन्हें रोके रखने के लिए ही ईरान ने इजरायल पर निशाना साध कर मिसाइलें दागीं।
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार ईरान ने भारतीय समयानुसार मंगलवार शाम को इज़राइल के सेना मुख्यालय सहित तेल अवीव और यरूशलम को निशाना बनाते हुए दूसरी बार एक असाधारण कृत्य किया है। इससे पहले इज़राइली सेना मंगलवार सुबह सुबह लेबनान के दक्षिण में अपने टैंकों और बख्तरबंद गाड़ियों के साथ दलबल सहित घुस गई थी। उसने एक दिन पूर्व गाँव और बस्तियों को ख़ाली करने की पहले चेतावनी दे दी थी। इस घटना पर मध्य पूर्व के इस्लामिक देशों में मातम पसरा हुआ है और जगह जगह से पलायन जारी है। बता दें, पिछली अप्रैल के बाद ईरान ने यह दूसरी बार इज़राइल पर मिसाइल से बड़ा हमला किया है।
इस घटना पर संयुक्त राष्ट्र के महासचिव एंटोनियो गुटेरस ने गहरी चिंता जताई है। बुधवार को सुरक्षा परिषद् की बैठक बुलाई गई है। रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने लेबनान में भारी तबाही और हिज़्बुल्लाह के मुखिया हसन नस्रुल्लाह की ‘हत्या’ किये जाने पर इज़राइल की कड़ी निंदा करते हुए तत्काल युद्ध विराम की माँग की है। चीन के प्रवक्ता ने भी इजरायली हमलों में हिज़्बुल्लाह के मुखिया साहित दर्जन कमांडरों को लक्ष्य भेदी मिसाइलों से मार गिराये जाने पर इज़राइल की निंदा की है। इसी तरह नाटो के सदस्य तुर्की के राष्ट्रपति ने भी इज़राइल की निंदा करते हुए संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में इज़राइल के खिलाफ प्रस्ताव पास किए जाने की मांग की है।
इज़राइली प्रशासन का आरोप है कि पिछले वर्ष सात अक्तूबर से गाजा पट्टी के लड़ाकों के साथ-साथ लेबनान में हिज़्बुल्लाह के लड़ाकों ने इज़राइल के उत्तर में रॉकेट लांचर छोड़ते हुए साठ हज़ार यहूदियों को घर-बेघर करने में का दुस्साहस किया, वर्तमान संघर्ष उसी का परिणाम है। अमेरिका पहले दिन से कहता आ रहा है कि इज़राइल उसका मित्र देश है। उनकी सुरक्षा करना अमेरिका का दायित्व है। इजरायल ने भी कह दिया है कि ईरान ने यह अब तक की सबसे बड़ी भूल कर दी है और इसका खामियाजा उसे भुगतना पड़ेगा। साफ है कि इजरायल चुप बैठने वाला नहीं है। वह हमास और हिज्बुल्ला के पूरी तरह से सफाए का अभियान चलाए हुए है। ऐसे में इज़राइल ईरान के खिलाफ बदले में कार्रवाई करता है तो मध्य पूर्व के देशों में होने वाली तबाही का अनुमान लगाना मुश्किल होगा। और इसका प्रभाव सारे विश्व पर पड़ेगा।
(लेखक, वरिष्ठ पत्रकार हैं।)