Friday, November 22"खबर जो असर करे"

इजरायल भी करने जा रहा गलती, आतंकियों को छोड़ने का निर्णय पड़ेगा भारी

– डॉ. मयंक चतुर्वेदी

आतंकवादी अंत तक आतंकी ही रहता है, बहुत कम देखा गया है कि सुधार कैंपों में रहने के बाद उसकी सोच में परिवर्तन आता है, अक्सर दिखाई यही दिया है, खासतौर पर इस्लामी आतंकवाद और नक्सलवादी विचारधारा में कि वर्षों तक सुधार गृह में रहने के बाद भी इनका मानस नहीं बदलता। बाहर आते ही ये फिर से हिंसा के अपने पुराने रास्ते पर चल पड़ते हैं। वर्षों से भारत जो गलतियां कर रहा है, वही अब इजरायल करने जा रहा है, ऐसा लग रहा है।

अभी इस घटना को बहुत दिन नहीं गुजरे हैं, भारत के मोस्ट वॉन्टेड अपराधी शाहिद लतीफ को पाकिस्तान के पंजाब में मार दिया गया। जब यह हुआ, तब भारत के संदर्भ में इसके आतंकी इतिहास की चर्चा भी होने लगी। तारीख 24 दिसंबर 1999, दिन शुक्रवार, काठमांडू से दिल्ली के लिए उड़े आईसी 814 विमान को हथियारबंद आतंकवादियों ने हाइजैक कर लिया था। इंडियन एयरलाइंस के इस विमान में 176 यात्री और 15 क्रू मेंबर्स सवार थे। इस प्लेन हाईजैक के बदले यात्रियों की जान बचाने के लिए भारत सरकार ने तीन आतंकियों मसूद अजहर, उमर शेख और अहमद जरगर को छोड़ा था। इन आतंकियों ने छूटने के बाद किया क्या? वस्तुत: यह जानना और इससे जुड़ी जो आतंकवादियों की सूची भारत सरकार को छोड़ने के लिए दी गई थी, उसके बारे में हम सभी को जरूर जानना चाहिए।

शाहिद लतीफ ने 1993 में पाक अधिकृत कश्मीर के रास्ते जम्मू-कश्मीर में घुसपैठ की थी, जिसे 1994 में गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए) के तहत आतंकवाद के आरोप में गिरफ्तार किया गया और आतंकी मसूद अजहर के साथ उसे 16 साल तक जम्मू की जेल में बंद रखा गया था। साल 2010 में 24 आतंकवादियों के साथ भारत सरकार ने उसे भी रिहा कर दिया। लेकिन क्या उसकी सोच बदली? इस्लामिक जिहाद खासकर हिन्दुओं और भारतीय सेना को अपना निशाना बनाने से वह आगे चूका? यदि इसका उत्तर खोजेंगे तो वह है नहीं।

इस आतंकी से जुड़ा एक तथ्य यह भी है कि आतंकियों ने हाइजैक किए गए जिस विमान को कंधार एयरपोर्ट पर उतारा था, उसमें उन्होंने अपने 26 आतंकी साथियों की रिहाई और 20 करोड़ अमेरिकी डॉलर की फिरौती की मांग तत्कालीन भारत सरकार से की थी। शाहिद लतीफ भी उन 25 पाकिस्तानी आतंकियों की सूची में शामिल था। आगे जब शाहिद को 2010 में मनमोहन-सोनिया-राहुल गांधी की कांग्रेस सरकार ने पाकिस्तान के प्रति सद्भावना प्रेम के तहत रिहा किया, तब भी उसकी मूल इस्लामिक मजहबी कट्टरवादी आतंकी सोच में कोई परिवर्तन नहीं आया और उसने रिहा होने के छह साल बाद पठानकोट हमले को अंजाम दिया। पठानकोट में दो जनवरी 2016 को एयरफोर्स एयरबेस पर भारी हथियारों से लैस आतंकवादियों ने हमला कर दिया था । लगभग चार दिनों तक चली गोलीबारी में सात सुरक्षाकर्मियों और एक नागरिक की मौत हो गई थी।

यहां थोड़ा रुकिए। गंभीरता से सोचिए, एक आतंकवादी को छोड़ने का कितना बड़ा नुकसान भारत को उठाना पड़ गया, कूटनीति के नाम पर पहले अटल सरकार, फिर मनमोहन-सोनिया की कांग्रेस सरकार के निर्णय ने भारत को कितना कष्ट में डाला है ! यह सिर्फ इस एक आतंकी के खौफनाक मंसूबों की यहां बात नहीं है। ज्यादातर हर आतंकी का इतिहास ही इसी प्रकार का है । कंधार प्लेन हाईजैक के बदले यात्रियों की जान बचाने के लिए भारत सरकार ने तीन आतंकियों मसूद अजहर, उमर शेख और अहमद जरगर को छोड़ा था। इन्होंने आगे क्या किया, वह भी हम सभी के सामने आज मौजूद है।

भारत के कब्जे से छूटने के बाद मसूद अजहर ने पाकिस्तान में आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद का गठन किया। मसूद अजहर ने उसके बाद भारत पर सबसे ज्यादा आतंकी हमलों को अंजाम दिया, जिसमें भारतीय संसद पर हमला, मुंबई हमला, पठानकोट एयरबेस हमला और पुलवामा हमला मुख्यत: शामिल है। इसी तरह आतंक के रास्ते चलते हुए उमर शेख ने 2002 में वॉल स्ट्रीट जर्नल के पत्रकार डेनियल पर्ल की भी हत्या ही नहीं की बल्कि कई बड़े आतंकी प्रोग्राम चलाए और खासकर हिन्दुओं और भारतीय फौज को अपना निशाना बनाया। मुश्ताक अहमद जरगर ने छोड़े जाने के बाद कश्मीर में कई ग्रेनेड हमले करवाता रहा है। उसके द्वारा भारतीय सेना, सीआरपीएफ के जवानों पर अब तक अनेक आतंकी हमलों को अंजाम दिया जा चुका है, जिसमें हमारे कई सैनिक आहूत हो चुके हैं। मुश्ताक अब तक पता नहीं है, कितने भारतीयों का कत्ल कर चुका है। वस्तुत: यह है आतंकियों को छोड़ने का नतीजा।

अब यही गलती भारत की तरह इजरायल करने जा रहा है। आज इजरायल की सरकार ने हमास द्वारा बंधक बनाए गए 50 महिलाओं और बच्चों की रिहाई के बदले 150 लोगों को जेल से रिहाई के साथ चार दिनों के संघर्ष विराम को मंजूरी दी है। इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू के ऑफिस ने कह भी दिया है कि इजरायल सरकार ने गाजा में बंधकों के रूप में रखी गई 50 महिलाओं और बच्चों को मुक्त करने के लिए फिलिस्तीनी हमास आतंकवादियों के साथ एक समझौते का समर्थन किया है, इसके बदले में इजरायल सुरक्षा संबंधी अपराधों के लिए अपनी जेलों में बंद लगभग 150 फिलिस्तीनियों को रिहा कर देगा, हालांकि इसमें यह भी कहा गया है कि उन लोगों को रिहा किया जाएगा, जिन पर सीधे तौर पर किसी भी घातक आतंकी हमलों में शामिल होने का आरोप नहीं होगा। आखिरकार ये सभी कहीं न कहीं हैं तो इजरायल के दुश्मन ही। यहूदी कौम से इन्हें नफरत है, जिन्हें रिहा किया जा रहा है, जैसा कि भारत में आतंकियों की यहां के बहुसंख्यक हिन्दू समाज से नफरत जगजाहिर है।

इसे नकारा नहीं जा सकता है कि युद्ध विराम की आड़ में आतंकी संगठन ‘हमास’ अपनी ताकत बढ़ायेगा और अपने ठिकाने, अड्डे बदलेगा, हथियार इकट्ठे करेगा। उसे इन चार दिनों में वह सब करने का भरपूर मौका मिल जाएगा, जो वह अभी इजरायल की सेना की गाजा में मौजूद सक्रिय गतिविधि के बीच नहीं कर पा रहा है। ‘हमास’ लगभग 120 इजरायलियों को बंधक बनाकर अपने साथ लेकर गया था, पचास को छोड़ा जा रहा है, अन्य का क्या? कल फिर उसकी इसी प्रकार की मांग सामने आएगी। इजरायल सरकार अब से आगे बार-बार इसी तरह झुकती दिखाई देगी, आम नागरिकों की रक्षा और अंतरराष्ट्रीय दबाव के सामने और ये आतंकी जैसे भारत में आज भी पल रहे हैं, दुनिया के कई देशों में पल रहे हैं, वैसे ही यहां फिलस्तीन में पलते रहेंगे और उनके समर्थन में इस्लामिक देश एक जुटता दिखाएंगे तो कभी चीन और रूस जैसे देश अपने व्यापारिक स्वार्थों के लिए उसके समर्थन में आगे आते रहेंगे! और भारत में तो ‘हमास’ के समर्थन में विरोध प्रदर्शन आम बात है ही!