मुंबई। महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव में अभी काफी वक्त है, लेकिन भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) राज्य में चुनावों की तैयारियों में जुट गई है। वहीं राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) नेता अजित पवार ने रविवार को घोषणा की कि उनकी पार्टी महाराष्ट्र में होने वाले निकाय चुनाव स्वतंत्र रूप से लड़ेगी। लोकसभा चुनाव में एनसीपी के खराब प्रदर्शन के बाद से स्थानीय नेताओं और कार्यकर्ताओं की ओर से पाला बदलने की खबरों के बीच यह घोषणा आई है। निकट भविष्य में होने वाले विधानसभा चुनावों में अपनी राजनीतिक ताकत साबित करने की चुनौती का सामना कर रहे अजित पवार ने कहा कि स्थानीय नेतृत्व को पार्टी को मजबूत बनाने के लिए अपने-अपने क्षेत्रों में कड़ी मेहनत करनी चाहिए।
दरअसल, पहले शिवसेना से एकनाथ शिंदे और फिर अजित पवार से बीजेपी ने गठबंधन किया और राज्य की सत्ता में भागीदारी दी. अब तैयारी है आगामी विधानसभा चुनावों में भी शिंदे की शिवसेना और अजित पवार की राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के साथ जाने की.
भ्रष्टाचार का मुद्दा हाशिए पर हो जाएगा
ऐसे में बीजेपी कार्यकर्ताओं को लग रहा है कि अजित पवार के साथ चुनाव में जाने से पार्टी का भ्रष्टाचार का मुद्दा हाशिए पर चला जाएगा. बीजेपी के कई नेताओं को ऐसा लगता है कि अजित पवार से गठबंधन करने के कारण भ्रष्टाचार के खिलाफ बीजेपी की लड़ाई कमजोर पड़ी है. इन नेताओं को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के प्रदेश कार्यकारिणी में दिए उस बयान से मजबूती मिली जिसमें उन्होंने शरद पवार को भ्रष्टाचार का सरगना बताया था.
शिंदे गुट का एक धड़ा पक्ष में नहीं
दूसरी ओर, शिवसेना (एकनाथ शिंदे) का एक बड़ा धड़ा भी अजित पवार से गठबंधन जारी रखने के पक्ष में नहीं है. शिवसेना का कहना है कि अभी तक राज्य में उसका सीधा मुकाबला एनसीपी से ही होता आया जिसकी अगुवाई तब अजित पवार करते थे, ऐसे में अब शिवसेना कार्यकर्ता अजित पवार के लिए काम करने में खुद को असहज पा रहे हैं.
बीजेपी कार्यकर्ताओं की चिंता का एक और सबब है. उनका मानना है कि एकनाथ शिंदे सीएम और देवेंद्र फणनवीस डिप्टी सीएम तो बन गए पर सरकार में तमाम पॉलिटिकल पद खाली पड़े हैं जिन्हें भरा ही नहीं गया. इसमें निगम, बोर्ड और ट्रस्ट जैसे सरकार के ढेरों राजनीतिक पद शामिल हैं.
अकेले चुनाव लड़े तो हो सकता है नुकसान
यही वजह है कि बीजेपी कार्यकर्ताओं के एक बड़े तबके का मत है कि विधानसभा चुनाव में अकेले जाया जाए. बीजेपी के कुछ वरिष्ठ नेताओं ने महाराष्ट्र बीजेपी के इन कार्यकर्ताओं की ये इच्छा दिल्ली में बीजेपी आलाकमान तक भी पहुंचाई. लेकिन बीजेपी आलाकमान का आकलन है कि दोनों दलों के साथ ही चुनावों में जाने का फायदा होगा.
इस आकलन के पीछे बीजेपी के केंद्रीय नेतृत्व का तर्क है कि अगर बीजेपी अकेले चुनाव में गई तो संभावना है कि अजित पवार की पार्टी शरद पवार के दल से और शिंदे (शिवसेना) के ज्यादातर नेता उद्धव ठाकरे गुट में जा सकते हैं. जिसका सीधा चुनावी नुकसान बीजेपी को होगा. साथ ही पार्टी आलाकमान का ये भी मानना है अजीत पवार की एनसीपी के लगभग डेढ़ दर्जन से ज्यादा विधायक अपने- अपने क्षेत्रों के अपने दम पर क्षत्रप हैं और वे जीत के लिए किसी भी दल के मोहताज नहीं है. ऐसे में वो गठबंधन में रहें या अलग लड़ें जीत उनकी तय है.
कार्यकर्ताओं की नाराजगी दूर करने की कोशिश
ऐसे में बीजेपी आलाकमान ने अपने नेताओं को संदेश दिया है कि कार्यकर्ताओं से बात करें, उनको जमीनी हकीकत बताएं. महाराष्ट्र की एनडीए सरकार जल्द ही खाली पड़े राजनीतिक पदों को भरेगी जिसमें बीजेपी कार्यकर्ताओं और नेताओं को एडजस्ट कर नाराजगी दूर करने की कोशिश की जाएगी.
इसके साथ ही कार्यकर्ताओं को ये भी आश्वासन दिया जाएगा कि भले पार्टी गठबंधन में है पर स्थानीय निकाय, नगर निगम और नगरपालिका के चुनाव पार्टी अकेले ही लड़ेगी और जिसमें कार्यकर्ताओं के हितों का ध्यान रखा जाएगा. विधानसभा चुनाव से पहले बीजेपी अपने कार्यकर्ताओं को जोड़े रखने, एकजुट करने और जोश भरने के लिए पूरे राज्य में शिवाजी महाराज के नाम पर एक यात्रा निकालने पर भी विचार कर रही है.